नई दिल्लीः पूर्व डिप्टी CM मनीष सिसोदिया की मुश्किलें कम नहीं हो रही है. दिल्ली शराब घोटाले के ED के मनी लांड्रिंग के केस में शुक्रवार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया. इसके बाद वह अब दिल्ली हाईकोर्ट जाएंगे. शाम चार बजे विशेष सीबीआई जज एमके नागपाल ने फैसला सुनाया.
इससे पहले 26 अप्रैल को जमानत याचिका पर फैसला आना था, लेकिन फैसला तैयार न होने की वजह से जज ने अगली तारीख 28 अप्रैल तय की थी. सिसोदिया 29 अप्रैल तक ED वाले केस में न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं. अब जमानत याचिका खारिज हो गई है, ऐसे में उन्हें ED शनिवार को कोर्ट में पेश करेगी और उनकी न्यायिक हिरासत को आगे बढ़ाया जाएगा.
यह कहते हुए कोर्ट ने खारिज की याचिका
- मनीष सिसोदिया आपराधिक षड्यंत्र के आर्किटेक्ट हैं.
- प्रॉफिट मार्जिन को 12% करने के पीछे सिसोदिया का दिमाग है.
- सिसोदिया ने थोक विक्रेताओं के लिए पात्रता मानदंडों में 100 करोड़ को बढ़ाकर 500 करोड़ रुपए किया.
- रिटेलर के लिए प्रॉफिट मार्जिन 185% करने लिए सिसोदिया जिम्मेदार हैं.
- पत्नी का खराब स्वास्थ्य जमानत का आधार नहीं हो सकता.
- जांच में खुलासा हुआ है कि हवाला चैनलों के जरिए कुछ नकद भुगतान गोवा में भेजा गया है.
CBI केस में 12 मई तक है कस्टडीः गुरुवार को कोर्ट ने CBI वाले केस में सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 12 मई तक बढ़ाई है. इससे पहले सीबीआई वाले केस में भी राउज एवेन्यू कोर्ट सिसोदिया की जमानत याचिका को खारिज कर चुका है. इसके बाद सिसोदिया ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है. गुरुवार को सिसोदिया की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट में भी सुनवाई हुई.
इसमें सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सिसोदिया की जमानत का विरोध करते हुए सिसोदिया के आबकारी नीति घोटाले में शामिल होने को लेकर कई सबूत पेश किए. साथ ही कहा कि अगर सिसोदिया को जमानत दी जाती है तो वह मामले में गवाहों और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने में सक्षम हैं.
क्या है मामलाः आरोप है कि 2021-2022 के लिए दिल्ली की नई आबकारी नीति तैयार करने के दौरान शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए शराब की बिक्री पर कारोबारियों को मिलने वाले कमीशन को बढ़ाकर पांच प्रतिशत से 12 प्रतिशत किया गया. जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ. इसके बदले में 90 से 100 करोड़ रुपए AAP नेताओं ने लिए. इसी पैसे को ठिकाने लगाने के लिए मनी लांड्रिंग भी की गई, जिस पर ईडी ने भी केस दर्ज किया है. जबकि, सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले में केस दर्ज किया है.