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मणिपुर सरकार अगस्त में विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित करेगी: मंत्री

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Published : Jul 28, 2023, 7:07 AM IST

मणिपुर मुद्दे पर केंद्र सरकार का कहना है कि मैतेई और कुकी समुदाय के साल बातचीत करके जल्द ही शांति और सामान्य स्थिति बहाल की जाएगी. उधर, अगस्त के दूसरे या तीसरे सप्ताह में मणिपुर सरकार विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करेगी.

Manipur Legislative Assembly
Manipur Legislative Assembly

नई दिल्ली/इंफाल: मणिपुर सरकार ने गुरुवार को घोषणा की कि वह अगस्त के दूसरे या तीसरे सप्ताह में विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करेगी. सरकारी प्रवक्ता तथा सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री सपाम राजन ने बताया कि सरकार इसके लिए प्रयास कर रही है. विभिन्न वर्गों से राज्य की वर्तमान स्थिति पर चर्चा के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाये जाने की मांग उठ रही है.

राजन ने इन खबरों का भी खंडन किया कि राज्य सरकार ने भाजपा विधायक वुंगजागिन वाल्टे के इलाज की परवाह नहीं की. वह मई में जातीय संघर्ष शुरू होने के प्रारंभिक दिनों में हमले में घायल हो गये थे. राज्य में पिछले करीब तीन महीने में जातीय हिंसा में 160 से अधिक लोगों की जान चली गयी जबकि सैंकड़ों अन्य घायल हुए हैं.

मणिपुर में शांति बहाल करने में जुटी सरकार: एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने विपक्ष के इस दावे को गुरुवार को खारिज किया कि मणिपुर 'जल रहा है' और कहा कि 18 जुलाई के बाद से राज्य में हत्या की कोई घटना नहीं हुई है. उन्होंने दावा किया कि दो विरोधी समुदायों मैतेई और कुकी के साथ जारी बातचीत के माध्यम से जल्द ही शांति और सामान्य स्थिति बहाल की जाएगी.

विपक्षी गठबंधन 'इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस' (इंडिया) द्वारा केंद्र पर निष्क्रियता का आरोप लगाए जाने पर उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में तीन दिन बिताए, 41 विभिन्न समूहों से मुलाकात की और राज्य में प्रमुख हिंसा स्थलों का दौरा किया. उन्होंने दावा किया कि किसी मंत्री ने संसद में केवल एक बार अगस्त 1993 में जवाब दिया था जब तत्कालीन गृह राज्य मंत्री ने कुकी-नगा संघर्ष के दौरान सैकड़ों लोगों की हत्या और 350 से अधिक गांवों के प्रभावित होने के बाद बात की थी.

उन्होंने कहा कि केवल एक बार एक मंत्री तत्कालीन गृह राज्य मंत्री राजेश पायलट ने साढ़े तीन घंटे के लिए राज्य का दौरा किया था. उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के व्यावहारिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला. सरकारी अधिकारी ने कहा कि मौजूदा गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने 25 मई से 17 जून के बीच राज्य में 22 दिन बिताए. इस मुद्दे पर मोदी पर विपक्ष के हमले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हिंसा भड़कने के बाद सरकार का रुख तय करने के लिए हर दिन शाह से बात करते थे.

उन्होंने कहा कि कई ऐसे भी दिन थे, जब मोदी ने गृह मंत्री से तीन बार भी बात की है. उन्होंने दावा किया कि विपक्ष इस मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ उठाने के लिए कर रहा है और 'झूठी कहानी' पेश कर रहा है कि मणिपुर जल रहा है. उन्होंने हिंसा में किसी भी धार्मिक नजरिये को भी खारिज कर दिया.

उन्होंने कहा कि उनके बीच अविश्वास की खाई है जिसे पाटने के लिए सरकार काम कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकारी एजेंसियां मैतेई और कुकी समूहों के साथ अलग-अलग बातचीत कर रही हैं ताकि उनकी बात सुनी जा सके और शांति तथा सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद के लिए सभी पक्षों के एक साथ बैठने से पहले उनकी मांगों पर काम किया जा सके.

उन्होंने कहा कि अब तक प्रत्येक पक्ष के साथ अलग-अलग छह दौर की बातचीत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि 35,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात करके सरकार मैतेई और कुकी आबादी वाले क्षेत्रों के बीच एक 'बफर जोन' बनाने में सफल रही है. उन्होंने कहा कि दोनों समुदायों के 50,000 से अधिक विस्थापित लोगों को सात मई तक सफलतापूर्वक उनके क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया गया था. उन्होंने कहा, 'अभी भी अशांति और हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाएं हो सकती हैं. लेकिन तथ्य यह कि 18 जुलाई के बाद से हिंसा में कोई भी नहीं मारा गया है, एक संदेश देता है.'

मणिपुर की हिंसा के लिए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह जिम्मेदार- माकपा: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को राज्य की जातीय हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने उन पर मेइती समुदाय का पक्ष लेने तथा कुकी आदिवासी अल्पसंख्यकों को 'विदेशी' एवं 'अफीम की खेती' करने वालों के रूप में पेश करने का आरोप लगाया.

पार्टी के मुखपत्र 'पीपुल्स डेमोक्रेसी' के नवीनतम संपादकीय में माकपा ने आरोप लगाया कि सिंह कुकी समुदाय के विरुद्ध खुलेआम बोलते रहे हैं. संपादकीय में आरोप लगाया गया, 'जातीय हिंसा में बीरेन सिंह का हाथ है जिसे नरेन्द्र मोदी और भाजपा छिपाना चाहते हैं.' इसमें कहा गया कि केंद्र सरकार ने यह जानते हुए भी दखल नहीं दिया कि मुख्यमंत्री और राज्य प्रशासन पक्षपातपूर्ण हो गए हैं तथा वे तटस्थ तरीके से काम करने में अक्षम हैं.

संपादकीय में कहा गया, 'कई तरीके से बीरेन सिंह ने उसी तरह बर्ताव किया जिस तरह नरेन्द्र मोदी ने 2002 की हिंसा के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में किया था. मोदी को अच्छी तरह पता है कि मणिपुर के वर्तमान संकट की असली वजह क्या है. जातीय रूप से विविधता भरे एवं सवंदेनशील राज्य में विभाजनकारी हिंदुत्व राजनीति. मोदी सत्तावादी नेता के रूप में यह मानते ही नहीं कि वह किसी के प्रति जवाबदेह हैं, यहां तक संसद के प्रति भी नहीं.'

उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगे के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 64 लोगों को विशेष जांच दल द्वारा दी गई क्लीन चिट को पिछले साल बरकरार रखा था तथा दिवंगत कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की अर्जी खारिज कर दी थी.
(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली/इंफाल: मणिपुर सरकार ने गुरुवार को घोषणा की कि वह अगस्त के दूसरे या तीसरे सप्ताह में विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करेगी. सरकारी प्रवक्ता तथा सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री सपाम राजन ने बताया कि सरकार इसके लिए प्रयास कर रही है. विभिन्न वर्गों से राज्य की वर्तमान स्थिति पर चर्चा के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाये जाने की मांग उठ रही है.

राजन ने इन खबरों का भी खंडन किया कि राज्य सरकार ने भाजपा विधायक वुंगजागिन वाल्टे के इलाज की परवाह नहीं की. वह मई में जातीय संघर्ष शुरू होने के प्रारंभिक दिनों में हमले में घायल हो गये थे. राज्य में पिछले करीब तीन महीने में जातीय हिंसा में 160 से अधिक लोगों की जान चली गयी जबकि सैंकड़ों अन्य घायल हुए हैं.

मणिपुर में शांति बहाल करने में जुटी सरकार: एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने विपक्ष के इस दावे को गुरुवार को खारिज किया कि मणिपुर 'जल रहा है' और कहा कि 18 जुलाई के बाद से राज्य में हत्या की कोई घटना नहीं हुई है. उन्होंने दावा किया कि दो विरोधी समुदायों मैतेई और कुकी के साथ जारी बातचीत के माध्यम से जल्द ही शांति और सामान्य स्थिति बहाल की जाएगी.

विपक्षी गठबंधन 'इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस' (इंडिया) द्वारा केंद्र पर निष्क्रियता का आरोप लगाए जाने पर उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में तीन दिन बिताए, 41 विभिन्न समूहों से मुलाकात की और राज्य में प्रमुख हिंसा स्थलों का दौरा किया. उन्होंने दावा किया कि किसी मंत्री ने संसद में केवल एक बार अगस्त 1993 में जवाब दिया था जब तत्कालीन गृह राज्य मंत्री ने कुकी-नगा संघर्ष के दौरान सैकड़ों लोगों की हत्या और 350 से अधिक गांवों के प्रभावित होने के बाद बात की थी.

उन्होंने कहा कि केवल एक बार एक मंत्री तत्कालीन गृह राज्य मंत्री राजेश पायलट ने साढ़े तीन घंटे के लिए राज्य का दौरा किया था. उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के व्यावहारिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला. सरकारी अधिकारी ने कहा कि मौजूदा गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने 25 मई से 17 जून के बीच राज्य में 22 दिन बिताए. इस मुद्दे पर मोदी पर विपक्ष के हमले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हिंसा भड़कने के बाद सरकार का रुख तय करने के लिए हर दिन शाह से बात करते थे.

उन्होंने कहा कि कई ऐसे भी दिन थे, जब मोदी ने गृह मंत्री से तीन बार भी बात की है. उन्होंने दावा किया कि विपक्ष इस मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ उठाने के लिए कर रहा है और 'झूठी कहानी' पेश कर रहा है कि मणिपुर जल रहा है. उन्होंने हिंसा में किसी भी धार्मिक नजरिये को भी खारिज कर दिया.

उन्होंने कहा कि उनके बीच अविश्वास की खाई है जिसे पाटने के लिए सरकार काम कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकारी एजेंसियां मैतेई और कुकी समूहों के साथ अलग-अलग बातचीत कर रही हैं ताकि उनकी बात सुनी जा सके और शांति तथा सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद के लिए सभी पक्षों के एक साथ बैठने से पहले उनकी मांगों पर काम किया जा सके.

उन्होंने कहा कि अब तक प्रत्येक पक्ष के साथ अलग-अलग छह दौर की बातचीत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि 35,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात करके सरकार मैतेई और कुकी आबादी वाले क्षेत्रों के बीच एक 'बफर जोन' बनाने में सफल रही है. उन्होंने कहा कि दोनों समुदायों के 50,000 से अधिक विस्थापित लोगों को सात मई तक सफलतापूर्वक उनके क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया गया था. उन्होंने कहा, 'अभी भी अशांति और हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाएं हो सकती हैं. लेकिन तथ्य यह कि 18 जुलाई के बाद से हिंसा में कोई भी नहीं मारा गया है, एक संदेश देता है.'

मणिपुर की हिंसा के लिए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह जिम्मेदार- माकपा: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को राज्य की जातीय हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने उन पर मेइती समुदाय का पक्ष लेने तथा कुकी आदिवासी अल्पसंख्यकों को 'विदेशी' एवं 'अफीम की खेती' करने वालों के रूप में पेश करने का आरोप लगाया.

पार्टी के मुखपत्र 'पीपुल्स डेमोक्रेसी' के नवीनतम संपादकीय में माकपा ने आरोप लगाया कि सिंह कुकी समुदाय के विरुद्ध खुलेआम बोलते रहे हैं. संपादकीय में आरोप लगाया गया, 'जातीय हिंसा में बीरेन सिंह का हाथ है जिसे नरेन्द्र मोदी और भाजपा छिपाना चाहते हैं.' इसमें कहा गया कि केंद्र सरकार ने यह जानते हुए भी दखल नहीं दिया कि मुख्यमंत्री और राज्य प्रशासन पक्षपातपूर्ण हो गए हैं तथा वे तटस्थ तरीके से काम करने में अक्षम हैं.

संपादकीय में कहा गया, 'कई तरीके से बीरेन सिंह ने उसी तरह बर्ताव किया जिस तरह नरेन्द्र मोदी ने 2002 की हिंसा के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में किया था. मोदी को अच्छी तरह पता है कि मणिपुर के वर्तमान संकट की असली वजह क्या है. जातीय रूप से विविधता भरे एवं सवंदेनशील राज्य में विभाजनकारी हिंदुत्व राजनीति. मोदी सत्तावादी नेता के रूप में यह मानते ही नहीं कि वह किसी के प्रति जवाबदेह हैं, यहां तक संसद के प्रति भी नहीं.'

उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगे के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 64 लोगों को विशेष जांच दल द्वारा दी गई क्लीन चिट को पिछले साल बरकरार रखा था तथा दिवंगत कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की अर्जी खारिज कर दी थी.
(पीटीआई-भाषा)

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