कोलकाता: संसद में 'आप' के साथ गठबंधन करने पर कांग्रेस अभी भी फैसला नहीं ले पाई है, वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने अपना पूरा जोर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) पर लगाया है. दरअसल केंद्र ने प्रशासनिक सेवाओं को नियंत्रित करने के लिए एक अध्यादेश जारी किया है, जिसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को सौंप दिया था. ऐसे में अब उन्होंने सभी समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों से सामूहिक रूप से अध्यादेश का विरोध करने की अपील की है.
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#WATCH सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी केंद्र सरकार जो दिल्ली सरकार के खिलाफ अध्यादेश लेकर आई है उसका हम विरोध करेंगे और मैं सभी पार्टियों को भी इसपर साथ आने का आग्रह करती हूं: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, हावड़ा pic.twitter.com/QzL3EcTjxU
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 23, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से मुलाकात के बाद बनर्जी ने कहा, 'सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही देश को बचा सकता है. शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद अध्यादेश लाना एक निर्वाचित सरकार की अनदेखी करने की केंद्र की कोशिश को दर्शाता है. मैं सभी पार्टियों से एक साथ विरोध करने की अपील करूंगी.'
उन्होंने कहा कि 'यह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ एक मजबूत संदेश हो सकता है. हमारी पार्टी इस अध्यादेश का विरोध करेगी और हम सुप्रीम कोर्ट से न्याय की मांग करेंगे.'
इसी तर्ज पर बोलते हुए, केजरीवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के लोगों को न्याय दिया है जो पिछले आठ साल से लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि 'केंद्र सरकार की यह प्रवृत्ति रही है कि वह चुनी हुई सरकारों को भाजपा का समर्थन न करने पर कुचल देती है. पंजाब सरकार को अपना बजट सत्र आयोजित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा और कई गैर भाजपा दलों को भी इसी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. यह मेरी नहीं सभी गैर भाजपा सरकारों की लड़ाई है.'
सिसोदिया मुद्दे पर की आलोचना: दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के मुद्दे पर केजरीवाल ने केंद्रीय एजेंसियों की आलोचना करते हुए कहा कि एक पूर्व उपमुख्यमंत्री के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह एक आरोपी हैं जो दोषी साबित नहीं हुए हैं.
केजरीवाल के सुर में सुर मिलाते हुए बनर्जी ने कहा कि जिस तरह से सीबीआई ने पार्टी नेता और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी को एक दिन का नोटिस दिया, ऐसा लगता है कि वे उनके नौकर हैं.
उन्होंने कहा कि 'किसी के अहंकार की एक सीमा होती है. हमें डर है कि भाजपा अपनी पार्टी के नाम पर देश का नाम बदलने या संविधान को बदलने के लिए भी नीचे जा सकती है. अगर हम आज कार्रवाई नहीं करते हैं, तो जनता हमें नहीं बख्शेगी. क्या यह सरकार बुलडोजर से चलेगी? वे (भाजपा) सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी सम्मान नहीं करते हैं.'
2024 के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी एकता का संदेश जारी करते हुए, बनर्जी ने कहा कि वह तेलंगाना, पंजाब, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, बिहार और झारखंड के लिए 100 प्रतिशत थीं.
उन्होंने कहाकि 'हम सब एक साथ हैं.' मुझे आपका समर्थन चाहिए. केवल छह महीने बचे हैं और कोई चमत्कार हो सकता है. कौन कह सकता है कि कल क्या होगा?'
इससे पहले केजरीवाल आज दोपहर मान और पार्टी के अन्य नेताओं के साथ कोलकाता के नेताजी सुभाष बोस अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उतरे. शाम करीब 4 बजे कोलकाता में राज्य सचिवालय नबन्ना पहुंचने के बाद, बनर्जी और राज्य के मुख्य सचिव एचके द्विवेदी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया.
अध्यादेश को सही ठहराते हुए केंद्र ने तर्क दिया था कि दोहरे अधिकार और जिम्मेदारी से प्रशासनिक समन्वय के साथ सुरक्षा में बाधा आ सकती है. केंद्र छह महीने के भीतर संसद में अध्यादेश की पुष्टि के लिए एक विधेयक लाएगा.
ठाकरे और पवार से मिलेंगे केजरीवाल : बनर्जी के साथ अपनी बैठक से पहले, केजरीवाल ने दिल्ली में बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार और उनके डिप्टी तेजस्वी यादव से मुलाकात की और अध्यादेश को रोकने के लिए एक योजना प्रस्तावित की. वह 24 और 25 मई को मुंबई में शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ भी इस मुद्दे को उठाएंगे.
अध्यादेश के अलावा 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता की चल रही बातचीत के बीच केजरीवाल-बनर्जी की मुलाकात भी अहम है. बनर्जी पहले ही नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव और जद (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी सहित कई विपक्षी नेताओं से मिल चुकी हैं, ताकि अगले साल होने वाले महत्वपूर्ण चुनावों में भाजपा के खिलाफ सामूहिक रणनीति पर चर्चा की जा सके. उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से भी मुलाकात की थी, जिन्होंने पहले ही किसी भी सामूहिक विरोध से दूर रहने की घोषणा की है.