माले : मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत से कहा कि वह उनके देश में तैनात अपने सैन्यकर्मियों को 15 मार्च तक हटा ले. एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी. माले की ओर से भारतीय सैनिकों को हटाने की मांग किये जाने के दो महीने बाद राष्ट्रपति ने यह समय सीमा तय की है.
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The first meeting of the India-Maldives High Level Core Group was held in Male today. During the meeting, both sides held discussions on wide-ranging issues related to bilateral cooperation towards identifying steps to enhance the partnership, including expediting the… pic.twitter.com/5wXFJMSLe4
— ANI (@ANI) January 14, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) January 14, 2024
नवीनतम सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मालदीव में 88 भारतीय सैन्यकर्मी हैं. 'सनऑनलाइन' अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति कार्यालय में सार्वजनिक नीति सचिव अब्दुल्ला नाजिम इब्राहिम ने एक प्रेसवार्ता में कहा कि राष्ट्रपति मुइज्जू ने औपचारिक रूप से भारत से कहा है कि वह 15 मार्च तक अपने सैन्यकर्मियों को वापस बुला ले.
उन्होंने कहा, 'भारतीय सैन्यकर्मी मालदीव में नहीं रह सकते. यह राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू और इस प्रशासन की नीति है.' मालदीव और भारत ने सैनिकों की वापसी पर बातचीत के लिए एक उच्च स्तरीय कोर समूह का गठन किया है. इस समूह ने रविवार सुबह माले स्थित विदेश मंत्रालय के मुख्यालय में अपनी पहली बैठक की.
रिपोर्ट में कहा गया है कि बैठक में भारतीय उच्चायुक्त मुनु महावर भी शामिल थे. नाजिम ने बैठक की पुष्टि की और कहा कि बैठक का एजेंडा 15 मार्च तक सैनिकों को वापस बुलाने का अनुरोध करना था. भारत सरकार ने अभी इस मीडिया रिपोर्ट की पुष्टि नहीं की है और ना ही इस पर टिप्पणी की है.
पिछले साल 17 नवंबर को मालदीव के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद मुइज्जू ने औपचारिक रूप से भारत से भारतीय सैन्यकर्मियों को मालदीव से वापस बुलाने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा कि मालदीव के लोगों ने उन्हें नई दिल्ली से यह अनुरोध करने के लिए 'मजबूत जनादेश' दिया है. माले अब नई दिल्ली के साथ 100 से अधिक द्विपक्षीय समझौतों की भी समीक्षा कर रहा है.
भारतीय सैन्यकर्मियों की वापसी पर चर्चा मुइज्जू सरकार के तीन उपमंत्रियों द्वारा प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ पोस्ट की गई अपमानजनक टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में दोनों देशों के बीच उत्पन्न विवाद के बीच शुरू हुई है.
मुइज्जू ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले तीन मंत्रियों को निलंबित कर दिया था. इन मंत्रियों के पोस्ट को लेकर भारत में चिंता जताई गई और भारतीय पर्यटकों द्वारा मालदीव के बहिष्कार का आह्वान किया गया. चीन की अपनी हाल ही में संपन्न राजकीय यात्रा के दौरान, मुइज्जू ने मालदीव को बीजिंग के करीब लाने का प्रयास किया.
चीन से लौटने के बाद शनिवार को प्रेस से बातचीत में राष्ट्रपति मुइज्जू ने परोक्ष रूप से भारत पर हमला बोला था. उन्होंने किसी देश का नाम लिए बिना कहा, 'हम छोटे हो सकते हैं, लेकिन इससे आपको हमें धमकाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता.' उन्होंने भारत पर देश की निर्भरता को कम करने की योजनाओं की भी घोषणा की, जिसमें अन्य देशों से आवश्यक खाद्य वस्तुओं, दवाओं और उपभोग की अन्य सामग्रियों का आयात सुनिश्चित करना शामिल है.
उन्होंने वेलाना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, 'हम एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र हैं.' उन्होंने कहा कि किसी भी देश को किसी अन्य देश के घरेलू मामलों को प्रभावित करने का अधिकार नहीं है, चाहे उसका आकार कुछ भी हो.
सैनिकों की वापसी को लेकर आधिकारिक वार्ता शुरू : हिंद महासागर के द्वीपीय राष्ट्र मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों की वापसी को लेकर माले और नई दिल्ली ने रविवार को आधिकारिक वार्ता शुरू की. मीडिया की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.
मालदीव द्वारा भारतीय सैनिकों को हटाये जाने की मांग करने के लगभग दो महीने बाद यह वार्ता शुरू हुई. 'सनऑनलाइन' अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, यह बातचीत माले स्थित मालदीव के विदेश मंत्रालय के मुख्यालय में शुरू हुई.