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महाराष्ट्र सरकार को हाईकोर्ट की फटकार, कहा- शिक्षा प्रणाली का मजाक बनाकर रखा - माध्यमिक स्कूल सर्टिफिकेट (एसएससी)

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा कि सरकार ने शिक्षा प्रणाली का मजाक बनाकर रख दिया है. जस्टिस एसजे कथवाला और एसपी तावड़े की खंडपीठ ने इस मामले पर सरकार से जवाब तलब किया है. खंडपीठ यहां एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी.

बॉम्बे हाईकोर्ट
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Published : May 21, 2021, 1:10 PM IST

मुंबईः महाराष्ट्र में दसवीं की परीक्षा को रद्द करने के फैसले पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा कि सरकार ने शिक्षा प्रणाली का मजाक बनाकर रख दिया है. जस्टिस एसजे कथवाला और एसपी तावड़े की खंडपीठ ने इस मामले पर सरकार से जवाब तलब किया है.

खंडपीठ यहां एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी. यह याचिका धनंजय कुलकर्णी की ओर से सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए दायर की गई है. याचिका में महाराष्ट्र सरकार द्वारा दसवीं की परीक्षा रद्द किये जाने के फैसले को चुनौती दी गई है.

बता दें कि अप्रैल में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार ने दसवीं की माध्यमिक स्कूल सर्टिफिकेट (एसएससी) परीक्षा को रद्द कर दिया था.

सरकारी अधिवक्ता पीबी काकड़े ने अदालत को बताया कि सरकार की ओर से परीक्षा में अनुपस्थित छात्रों के मूल्यांकन के लिए फॉर्मूला तैयार किया जाएगा, जिसपर दो सप्ताह के भीतर वह निर्णय लेंगे.

इस पर जस्टिस कथवाला ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार शिक्षा प्रणाली का मजाक बना रही है.

पढ़ेंः कलकत्ता HC ने TMC के 4 नेताओं को दी अंतरिम जमानत, रहेंगे हाउस अरेस्ट

अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से सवाल किया कि क्या आपने बिना परीक्षा के छात्रों को पास कराने का विचार किया है. अगर हां, तो फिर राज्य की शिक्षा प्रणाली अब भगवान भरोसे है. स्कूल का यह अंतिम और महत्वपूर्ण वर्ष होता है. इसलिए दसवीं की परीक्षा भी उतनी ही जरूरी है. सरकार महामारी की आड़ में छात्रों का भविष्य बिगाड़ने में तूली है.

जस्टिस कथवाला ने कहा कि सरकार का फैसला ग्रहणीय नहीं है. सरकार शिक्षा प्रणाली को तबाह कर रही है.

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि मुंबई समेत महाराष्ट्र के अन्य स्थानों में कोविड-19 के मामले कम हो रहे हैं, इसके बावजूद सरकार ने दसवीं की परीक्षा को रद्द करने का फैसला क्यों किया जबकि 12वीं की परीक्षा रद्द नहीं हुई.

खंडपीठ ने राज्य सरकार से जवाब मांगा कि क्यों अदालत एसएससी परीक्षा को रद्द करने के उनके फैसले को सुरक्षित रखे. उन्होंने सरकार को इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. इस मुकदमे की अब आगे की सुनवाई अगले हप्ते होगी.

मुंबईः महाराष्ट्र में दसवीं की परीक्षा को रद्द करने के फैसले पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा कि सरकार ने शिक्षा प्रणाली का मजाक बनाकर रख दिया है. जस्टिस एसजे कथवाला और एसपी तावड़े की खंडपीठ ने इस मामले पर सरकार से जवाब तलब किया है.

खंडपीठ यहां एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी. यह याचिका धनंजय कुलकर्णी की ओर से सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए दायर की गई है. याचिका में महाराष्ट्र सरकार द्वारा दसवीं की परीक्षा रद्द किये जाने के फैसले को चुनौती दी गई है.

बता दें कि अप्रैल में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार ने दसवीं की माध्यमिक स्कूल सर्टिफिकेट (एसएससी) परीक्षा को रद्द कर दिया था.

सरकारी अधिवक्ता पीबी काकड़े ने अदालत को बताया कि सरकार की ओर से परीक्षा में अनुपस्थित छात्रों के मूल्यांकन के लिए फॉर्मूला तैयार किया जाएगा, जिसपर दो सप्ताह के भीतर वह निर्णय लेंगे.

इस पर जस्टिस कथवाला ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार शिक्षा प्रणाली का मजाक बना रही है.

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अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से सवाल किया कि क्या आपने बिना परीक्षा के छात्रों को पास कराने का विचार किया है. अगर हां, तो फिर राज्य की शिक्षा प्रणाली अब भगवान भरोसे है. स्कूल का यह अंतिम और महत्वपूर्ण वर्ष होता है. इसलिए दसवीं की परीक्षा भी उतनी ही जरूरी है. सरकार महामारी की आड़ में छात्रों का भविष्य बिगाड़ने में तूली है.

जस्टिस कथवाला ने कहा कि सरकार का फैसला ग्रहणीय नहीं है. सरकार शिक्षा प्रणाली को तबाह कर रही है.

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि मुंबई समेत महाराष्ट्र के अन्य स्थानों में कोविड-19 के मामले कम हो रहे हैं, इसके बावजूद सरकार ने दसवीं की परीक्षा को रद्द करने का फैसला क्यों किया जबकि 12वीं की परीक्षा रद्द नहीं हुई.

खंडपीठ ने राज्य सरकार से जवाब मांगा कि क्यों अदालत एसएससी परीक्षा को रद्द करने के उनके फैसले को सुरक्षित रखे. उन्होंने सरकार को इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. इस मुकदमे की अब आगे की सुनवाई अगले हप्ते होगी.

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