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महुआ मोइत्रा मामले में अधीर ने बिरला को पत्र लिखा, कहा-निष्कासन 'अत्यंत गंभीर दंड'

पैसे लेकर प्रश्न पूछने के मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के निष्कासन की आचार समिति की सिफारिश को लेकर लोकसभा में कांग्रेस नेत अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है. चौधरी ने इसे काफी गंभीर दंड बताते हुए कहा है कि यह उनकी अपनी राय है. पढ़िए पूरी खबर... Lok Sabha leader Adhir Ranjan Chowdhury, TMC MP Mahua Moitra

Adhir wrote a letter to Birla in Mahua Moitra case
महुआ मोइत्रा मामले में अधीर ने बिरला को पत्र लिखा
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By PTI

Published : Dec 2, 2023, 6:54 PM IST

नई दिल्ली : लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर धन लेकर प्रश्न पूछने के मामले में तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा के निष्कासन की आचार समिति की सिफारिश को अत्यंत गंभीर दंड करार दिया है. शनिवार को बिरला को लिखे इस पत्र में चौधरी ने नियमों तथा संसदीय समितियों के कामकाज पर पुनर्विचार की मांग भी की है. चौधरी ने चार पृष्ठों वाले अपने पत्र में कहा कि विशेषाधिकार समिति और आचार समिति के लिए उल्लेखित भूमिकाओं में कोई स्पष्ट सीमांकन नहीं है, विशेष रूप से दंडात्मक शक्तियों के प्रयोग के मामलों में.

कांग्रेस नेता ने कहा कि इसके अलावा अनैतिक आचरण की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है और प्रक्रिया नियमावली के नियम 316बी के तहत परिकल्पित आचार संहिता तैयार की जानी बाकी है. पत्र में उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है और यह काम अध्यक्ष के मार्गदर्शन में किया जाना चाहिए. चौधरी लोक लेखा समिति के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.

धन लेकर प्रश्न पूछने के मामले में आचार समिति की रिपोर्ट सोमवार को निचले सदन में पेश की जाएगी. इस रिपोर्ट में मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई है. समिति ने नौ नवंबर को एक बैठक में धन लेकर प्रश्न पूछने के आरोप में मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश संबंधी अपनी रिपोर्ट को मंजूरी दी थी. लोकसभा सचिवालय द्वारा वितरित कार्यसूची के अनुसार आचार समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर समिति की पहली रिपोर्ट सदन के पटल पर रखेंगे. 'धन लेकर सवाल पूछने' के आरोप में मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासन की सिफारिश वाली रिपोर्ट को आचार समिति ने 9 नवंबर की अपनी बैठक में मंजूरी दी थी.

चौधरी ने अपने पत्र में कहा, 'मैं अपनी राय आपके सामने रखने की मंशा से आपको पत्र लिख रखा हूं, ये मेरे निजी विचार हैं. संसदीय समितियों के कामकाज से संबंधित नियमों और प्रक्रियाओं पर पुनर्विचार और उचित समीक्षा की आवश्यकता है... उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि सदस्य अतिसंवेदनशील नहीं बनें और खुद को अप्रिय स्थिति में नहीं पाएं इसके लिए लोकसभा के आधिकारिक पोर्टल के कामकाज से संबंधित नियमों पर गौर करना होगा और समीक्षा करनी होगी.

चौधरी ने पत्र में कहा, 'मुझे यकीन है कि आपके नेतृत्व और नियंत्रण में कोई अन्याय नहीं होगा और संसद की कार्यवाही तथा सदन का कामकाज सभी सदस्यों के लाभ के लिए सुगम बनाया जाएगा.' महुआ के खिलाफ पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोपों की जांच कर रही लोकसभा की आचार समिति ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव डालने वाले अनैतिक आचरण के आधार पर उन्हें संसद के निचले सदन से निष्कासित करने की सिफारिश की है.

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष से शिकायत की थी और उन पर उपहार के बदले व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर अडाणी समूह तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाने के लिए लोकसभा में पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगाया था. वहीं, मोइत्रा ने लोकसभा की आचार समिति की निष्कासन संबंधी सिफारिश को खारिज करते हुए इसे एक तथाकथित मनमानी अदालत द्वारा पहले से किया गया फिक्स मैच करार दिया और कहा था कि यह भारत में लोकतंत्र की मौत है.

ये भी पढ़ें - महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की आचार समिति की सिफारिश पर लोकसभा में चर्चा हो : TMC

नई दिल्ली : लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर धन लेकर प्रश्न पूछने के मामले में तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा के निष्कासन की आचार समिति की सिफारिश को अत्यंत गंभीर दंड करार दिया है. शनिवार को बिरला को लिखे इस पत्र में चौधरी ने नियमों तथा संसदीय समितियों के कामकाज पर पुनर्विचार की मांग भी की है. चौधरी ने चार पृष्ठों वाले अपने पत्र में कहा कि विशेषाधिकार समिति और आचार समिति के लिए उल्लेखित भूमिकाओं में कोई स्पष्ट सीमांकन नहीं है, विशेष रूप से दंडात्मक शक्तियों के प्रयोग के मामलों में.

कांग्रेस नेता ने कहा कि इसके अलावा अनैतिक आचरण की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है और प्रक्रिया नियमावली के नियम 316बी के तहत परिकल्पित आचार संहिता तैयार की जानी बाकी है. पत्र में उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है और यह काम अध्यक्ष के मार्गदर्शन में किया जाना चाहिए. चौधरी लोक लेखा समिति के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.

धन लेकर प्रश्न पूछने के मामले में आचार समिति की रिपोर्ट सोमवार को निचले सदन में पेश की जाएगी. इस रिपोर्ट में मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई है. समिति ने नौ नवंबर को एक बैठक में धन लेकर प्रश्न पूछने के आरोप में मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश संबंधी अपनी रिपोर्ट को मंजूरी दी थी. लोकसभा सचिवालय द्वारा वितरित कार्यसूची के अनुसार आचार समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर समिति की पहली रिपोर्ट सदन के पटल पर रखेंगे. 'धन लेकर सवाल पूछने' के आरोप में मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासन की सिफारिश वाली रिपोर्ट को आचार समिति ने 9 नवंबर की अपनी बैठक में मंजूरी दी थी.

चौधरी ने अपने पत्र में कहा, 'मैं अपनी राय आपके सामने रखने की मंशा से आपको पत्र लिख रखा हूं, ये मेरे निजी विचार हैं. संसदीय समितियों के कामकाज से संबंधित नियमों और प्रक्रियाओं पर पुनर्विचार और उचित समीक्षा की आवश्यकता है... उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि सदस्य अतिसंवेदनशील नहीं बनें और खुद को अप्रिय स्थिति में नहीं पाएं इसके लिए लोकसभा के आधिकारिक पोर्टल के कामकाज से संबंधित नियमों पर गौर करना होगा और समीक्षा करनी होगी.

चौधरी ने पत्र में कहा, 'मुझे यकीन है कि आपके नेतृत्व और नियंत्रण में कोई अन्याय नहीं होगा और संसद की कार्यवाही तथा सदन का कामकाज सभी सदस्यों के लाभ के लिए सुगम बनाया जाएगा.' महुआ के खिलाफ पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोपों की जांच कर रही लोकसभा की आचार समिति ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव डालने वाले अनैतिक आचरण के आधार पर उन्हें संसद के निचले सदन से निष्कासित करने की सिफारिश की है.

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष से शिकायत की थी और उन पर उपहार के बदले व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर अडाणी समूह तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाने के लिए लोकसभा में पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगाया था. वहीं, मोइत्रा ने लोकसभा की आचार समिति की निष्कासन संबंधी सिफारिश को खारिज करते हुए इसे एक तथाकथित मनमानी अदालत द्वारा पहले से किया गया फिक्स मैच करार दिया और कहा था कि यह भारत में लोकतंत्र की मौत है.

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