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ओबीसी श्रेणी के संबंध में जनगणना के आंकड़ों की मांग करने वाली याचिका 4 सप्ताह के लिए स्थगित

ओबीसी को चुनावी कोटा देने वाला अध्यादेश जारी करने का महाराष्ट्र सरकार का निर्णय कानूनी रूप से अनुचित पाया गया जबकि राज्य के कानून एवं न्याय विभाग ने उसे उच्चतम न्यायालय से अनुमति लेने की सलाह दी थी क्योंकि मामला विचाराधीन है.

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Published : Sep 23, 2021, 1:25 PM IST

याचिका 4 सप्ताह के लिए स्थगित
याचिका 4 सप्ताह के लिए स्थगित

नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने ओबीसी श्रेणी के संबंध में जातिगत जनगणना के आंकड़ों की मांग करने वाली महाराष्ट्र की याचिका को 4 सप्ताह के लिए स्थगित कर दी है.

वहीं, इससे पहले महाराष्ट्र कैबिनेट ने ओबीसी कोटे के लिए अध्यादेश के मसौदे में बदलाव को मंजूरी दी थी. बता दें, महाराष्ट्र कैबिनेट ने बुधवार को स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण के लिए अध्यादेश के आदेश में संशोधन करने के प्रावधान वाले प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी थी. इससे पहले इसको लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कुछ सवाल उठाए थे.

मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान यह फैसला लिया गया. राज्य सरकार ने इससे पहले अध्यादेश को कोश्यारी के पास मंजूरी के लिए भेजा था.

उच्चतम न्यायालय ने इस साल मार्च में कहा था कि कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. नगर निकायों और जिला परिषदों (जिला परिषदों) के चुनावी वार्डों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता है.

ओबीसी को चुनावी कोटा देने वाला अध्यादेश जारी करने का महाराष्ट्र सरकार का निर्णय कानूनी रूप से अनुचित पाया गया जबकि राज्य के कानून एवं न्याय विभाग ने उसे उच्चतम न्यायालय से अनुमति लेने की सलाह दी थी क्योंकि मामला विचाराधीन है.

पढ़ें: जातिगत जनगणना और इसके नफा-नुकसान के बारे में जानिये

महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा इस पर सवाल करने के बाद, राज्य मंत्रिमंडल ने आदेश को सुधारने और एक नए अध्यादेश का मसौदा तैयार करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.

नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने ओबीसी श्रेणी के संबंध में जातिगत जनगणना के आंकड़ों की मांग करने वाली महाराष्ट्र की याचिका को 4 सप्ताह के लिए स्थगित कर दी है.

वहीं, इससे पहले महाराष्ट्र कैबिनेट ने ओबीसी कोटे के लिए अध्यादेश के मसौदे में बदलाव को मंजूरी दी थी. बता दें, महाराष्ट्र कैबिनेट ने बुधवार को स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण के लिए अध्यादेश के आदेश में संशोधन करने के प्रावधान वाले प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी थी. इससे पहले इसको लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कुछ सवाल उठाए थे.

मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान यह फैसला लिया गया. राज्य सरकार ने इससे पहले अध्यादेश को कोश्यारी के पास मंजूरी के लिए भेजा था.

उच्चतम न्यायालय ने इस साल मार्च में कहा था कि कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. नगर निकायों और जिला परिषदों (जिला परिषदों) के चुनावी वार्डों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता है.

ओबीसी को चुनावी कोटा देने वाला अध्यादेश जारी करने का महाराष्ट्र सरकार का निर्णय कानूनी रूप से अनुचित पाया गया जबकि राज्य के कानून एवं न्याय विभाग ने उसे उच्चतम न्यायालय से अनुमति लेने की सलाह दी थी क्योंकि मामला विचाराधीन है.

पढ़ें: जातिगत जनगणना और इसके नफा-नुकसान के बारे में जानिये

महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा इस पर सवाल करने के बाद, राज्य मंत्रिमंडल ने आदेश को सुधारने और एक नए अध्यादेश का मसौदा तैयार करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.

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