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Maharashtra Politics: शिंदे गुट के MLAs को अयोग्य ठहराने की मांग, SC में याचिका दायर

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल शिव सेना विधायकों की अयोग्यता के मामले में जल्द सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. उद्धव बाला साहेब ठाकरे पार्टी के नेता सुनील प्रभु ने यह याचिका दायर की है.

Maharashtra Political Crisis Thackeray groups plea in Supreme court for Shinde group MLAs Disqualification by Assembly speaker
शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के मामले में जल्द सुनवाई के लिए SC में याचिका दायर
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Published : Jul 9, 2023, 12:06 PM IST

Updated : Jul 9, 2023, 12:14 PM IST

मुंबई: शिवसेना के बागी विधायकों ने एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर शिवसेना पार्टी तोड़ दी. इस संबंध में अयोग्यता याचिका विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के पास एक साल से लंबित है. इस मामले में जल्द सुनवाई के लिए उद्धव बाला साहेब ठाकरे पार्टी के नेता सुनील प्रभु ने फिर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस पर 14 जुलाई को सुनवाई होगी. विधानसभा का अध्यक्ष संविधान की दसवीं अनुसूची के खंड छह के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करता है. ये एक तरह से उस समय ट्रिब्यूनल की तरह काम करते है. इस वजह से उन्हें अपना काम निष्पक्ष तरीके से करना होगा. इसी को आधार बनाकर सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.

सुनील प्रभु ने याचिका में इस मुद्दे पर प्रकाश डाला है कि विधानसभा अध्यक्ष अयोग्यता के संबंध में तय समय पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. यानि, संविधान की दसवीं अनुसूची के अनुच्छेद 6 को समय पर लागू नहीं किया जाता है. यह संविधान के अनुरूप नहीं है. इसलिए याचिका में कहा गया है कि इस संबंध में तुरंत फैसला देना जरूरी है. याचिका में यह भी कहा गया है कि विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर अब इस पर फैसला दे सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट में अयोग्यता याचिका पर सुनवाई करते हुए साफ हो गया कि अब दोबारा ठाकरे सरकार नहीं बन सकती. क्योंकि, उस समय पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने चुनावी परीक्षा का सामना नहीं किया था.

उन्होंने अचानक इस्तीफा दे दिया. इसलिए, महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को विधायकों की अयोग्यता के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भी इस बात की पुष्टि की कि विधानसभा अध्यक्ष के लिए उचित अवधि के भीतर उन्हें अयोग्य घोषित करने का निर्णय लेना आवश्यक है. एकनाथ शिंदे समूह के बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका 23 जून 2022 को दायर की गई थी.

ये भी पढ़ें- महाराष्ट्र के पूर्व सीएम चव्हाण बोले- एनसीपी को तोड़ने में बीजेपी सफल नहीं हुई तो मुश्किल में पड़ सकता है सत्तारूढ़ गठबंधन

सुनील प्रभु ने व्हिप जारी किया था क्योंकि वह उस समय पार्टी के नेता थे. विधायकों ने उस व्हिप के ख़िलाफ़ आचरण किया. विधानसभा अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल ने अयोग्यता नोटिस जारी कर दिया है. शिंदे गुट ने विधानसभा उपाध्यक्ष के नोटिस को भी कोर्ट में चुनौती दी है.

ठाकरे गुट की याचिका के बाद राहुल नार्वेकर ने विधायकों को भेजा नोटिस: विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने हाल ही में शिंदे गुट के 40 और ठाकरे गुट के 14 विधायकों को नोटिस भेजा है. इन विधायकों को सात दिन के भीतर अपनी बात रखने का मौका दिया गया है. विधायकों के लिखित जवाब के बाद विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की अयोग्यता को लेकर कार्रवाई कर सकते हैं. दूसरी ओर, एनसीपी में अजित पवार की बगावत से राज्य में सत्ता का समीकरण तेजी से बदल रहा है. इसलिए सबकी निगाहें इस पर हैं कि सुप्रीम कोर्ट ठाकरे समूह की याचिका पर क्या आदेश देगा. इस सुनवाई से महाराष्ट्र की सियासत पलट सकती है.

मुंबई: शिवसेना के बागी विधायकों ने एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर शिवसेना पार्टी तोड़ दी. इस संबंध में अयोग्यता याचिका विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के पास एक साल से लंबित है. इस मामले में जल्द सुनवाई के लिए उद्धव बाला साहेब ठाकरे पार्टी के नेता सुनील प्रभु ने फिर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस पर 14 जुलाई को सुनवाई होगी. विधानसभा का अध्यक्ष संविधान की दसवीं अनुसूची के खंड छह के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करता है. ये एक तरह से उस समय ट्रिब्यूनल की तरह काम करते है. इस वजह से उन्हें अपना काम निष्पक्ष तरीके से करना होगा. इसी को आधार बनाकर सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.

सुनील प्रभु ने याचिका में इस मुद्दे पर प्रकाश डाला है कि विधानसभा अध्यक्ष अयोग्यता के संबंध में तय समय पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. यानि, संविधान की दसवीं अनुसूची के अनुच्छेद 6 को समय पर लागू नहीं किया जाता है. यह संविधान के अनुरूप नहीं है. इसलिए याचिका में कहा गया है कि इस संबंध में तुरंत फैसला देना जरूरी है. याचिका में यह भी कहा गया है कि विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर अब इस पर फैसला दे सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट में अयोग्यता याचिका पर सुनवाई करते हुए साफ हो गया कि अब दोबारा ठाकरे सरकार नहीं बन सकती. क्योंकि, उस समय पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने चुनावी परीक्षा का सामना नहीं किया था.

उन्होंने अचानक इस्तीफा दे दिया. इसलिए, महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को विधायकों की अयोग्यता के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भी इस बात की पुष्टि की कि विधानसभा अध्यक्ष के लिए उचित अवधि के भीतर उन्हें अयोग्य घोषित करने का निर्णय लेना आवश्यक है. एकनाथ शिंदे समूह के बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका 23 जून 2022 को दायर की गई थी.

ये भी पढ़ें- महाराष्ट्र के पूर्व सीएम चव्हाण बोले- एनसीपी को तोड़ने में बीजेपी सफल नहीं हुई तो मुश्किल में पड़ सकता है सत्तारूढ़ गठबंधन

सुनील प्रभु ने व्हिप जारी किया था क्योंकि वह उस समय पार्टी के नेता थे. विधायकों ने उस व्हिप के ख़िलाफ़ आचरण किया. विधानसभा अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल ने अयोग्यता नोटिस जारी कर दिया है. शिंदे गुट ने विधानसभा उपाध्यक्ष के नोटिस को भी कोर्ट में चुनौती दी है.

ठाकरे गुट की याचिका के बाद राहुल नार्वेकर ने विधायकों को भेजा नोटिस: विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने हाल ही में शिंदे गुट के 40 और ठाकरे गुट के 14 विधायकों को नोटिस भेजा है. इन विधायकों को सात दिन के भीतर अपनी बात रखने का मौका दिया गया है. विधायकों के लिखित जवाब के बाद विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की अयोग्यता को लेकर कार्रवाई कर सकते हैं. दूसरी ओर, एनसीपी में अजित पवार की बगावत से राज्य में सत्ता का समीकरण तेजी से बदल रहा है. इसलिए सबकी निगाहें इस पर हैं कि सुप्रीम कोर्ट ठाकरे समूह की याचिका पर क्या आदेश देगा. इस सुनवाई से महाराष्ट्र की सियासत पलट सकती है.

Last Updated : Jul 9, 2023, 12:14 PM IST
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