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लता मंगेशकर के निधन पर महाराष्ट्र में सोमवार को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा - उमड़ा जन सैलाब

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar Death) के निधन पर केंद्र सरकार की ओर से 2 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है. वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने सात फरवरी को सार्वजनिक छुट्टी घोषित की है.

Lata Mangeshkar Death
लता मंगेशकर
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Published : Feb 6, 2022, 7:06 PM IST

मुंबई : भारत रत्न लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar Death) के निधन पर केंद्र सरकार की ओर से दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है. वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के सम्मान में सोमवार को सार्वजनिक अवकाश और एक दिन के शोक की घोषणा की है. मंगेशकर (92) का रविवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई थीं.

मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने रविवार को जारी बयान में एक दिन के शोक और सार्वजनिक अवकाश की जानकारी दी. इससे पहले, केंद्र सरकार ने महान गायिका के सम्मान में दो दिन के राजकीय शोक की घोषणा की थी. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पूरे भारत में छह फरवरी से सात फरवरी तक राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और इस दौरान मनोरंजन का कोई कार्यक्रम नहीं होगा.

पढ़ेंः जब पीएम मोदी ने लता मंगेशकर को किया था फोन, सुनें क्या कहा था दीदी ने

बता दें कि लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर, 1929 को इंदौर में हुआ था. वह भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका थीं. जिनका छह दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है. लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर-फ़िल्मी गीत गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है. अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फ़िल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है. लता की जादुई आवाज के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं. लता दीदी को भारत सरकार ने 'भारत रत्न' से सम्मानित किया है.

लता का जन्म इंदौर में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र में हुई थी. वह बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं. पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिर्फ़ तेरह साल की थीं), लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा था. उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की वज़ह से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फ़िल्मों में काम करना पड़ा था. उन्होंने काफी संघर्ष के बाद संगीत की दुनिया में एक अलग मुकाम बनाया था. लता दीदी के निधन से आज पूरे देश में शोक की लहर है.

मुंबई : भारत रत्न लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar Death) के निधन पर केंद्र सरकार की ओर से दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है. वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के सम्मान में सोमवार को सार्वजनिक अवकाश और एक दिन के शोक की घोषणा की है. मंगेशकर (92) का रविवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई थीं.

मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने रविवार को जारी बयान में एक दिन के शोक और सार्वजनिक अवकाश की जानकारी दी. इससे पहले, केंद्र सरकार ने महान गायिका के सम्मान में दो दिन के राजकीय शोक की घोषणा की थी. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पूरे भारत में छह फरवरी से सात फरवरी तक राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और इस दौरान मनोरंजन का कोई कार्यक्रम नहीं होगा.

पढ़ेंः जब पीएम मोदी ने लता मंगेशकर को किया था फोन, सुनें क्या कहा था दीदी ने

बता दें कि लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर, 1929 को इंदौर में हुआ था. वह भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका थीं. जिनका छह दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है. लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर-फ़िल्मी गीत गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है. अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फ़िल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है. लता की जादुई आवाज के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं. लता दीदी को भारत सरकार ने 'भारत रत्न' से सम्मानित किया है.

लता का जन्म इंदौर में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र में हुई थी. वह बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं. पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिर्फ़ तेरह साल की थीं), लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा था. उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की वज़ह से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फ़िल्मों में काम करना पड़ा था. उन्होंने काफी संघर्ष के बाद संगीत की दुनिया में एक अलग मुकाम बनाया था. लता दीदी के निधन से आज पूरे देश में शोक की लहर है.

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