चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट के वकील टी. अरुण, एस. अय्यादुरई, ए. राजा मोहम्मद, टी.आई.नाथन, गो.बावेन्डन, एस.टी.मुस्तहीम राजा और अन्य ने हस्ताक्षर कर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र भेजा है. मद्रास उच्च न्यायालय के इन वकीलों ने पत्र में राज्यपाल आरएन रवि को वापस बुलाने की मांग की है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि राज्यपाल यह सोचकर काम कर रहे हैं कि उनके पास अपार शक्ति है. वकीलों ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि राज्यपाल लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन कर रहे हैं.
वह मनमाने ढंग से कार्य कर रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि राज्यपाल यह महसूस करते हैं कि वह संविधान से बढ़कर हैं. वकीलों ने यह पत्र तमिलनाडु सरकार के मंत्रिमंडल से सेंथिल बालाजी को बर्खास्त करने के संदर्भ में आया है. वकीलों ने अपने पत्र में कहा है कि राज्यपाल केंद्र सरकार के फैसले को तमिलनाडु में लागू करने की मंशा से काम कर रहे है. राज्यपाल का कृत्य निंदनीय है. उन्होंने राज्यपाल की गतिविधियों की निंदा की और आरोप लगाया कि वह व्यक्तिगत लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं.
इसलिए वकीलों ने पत्र लिखकर राष्ट्रपति से राज्यपाल को वापस बुलाने का आग्रह किया है. इससे पहले राज्यपाल आरएन रवि ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के चलते तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन से मंत्री सेंथिल बालाजी को बर्खास्त करने का अनुरोध किया था. राज्यपाल के इस पत्र का मुख्यमंत्री स्टालिन और विभिन्न पार्टी नेताओं ने कड़ा विरोध किया.
15 जून को मुख्यमंत्री स्टालिन ने राज्यपाल को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि खराब स्वास्थ्य के कारण अस्पताल में इलाज करा रहे मंत्री सेंथिल बालाजी का विभाग अन्य मंत्रियों को आवंटित कर दिया जाये. लेकिन राज्यपाल ने यह कहते हुए पत्र स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि सेंथिल बालाजी को प्रवर्तन विभाग ने गिरफ्तार कर लिया है. 29 जून को राज्यपाल ने सेंथिल बालाजी को बर्खास्त करने की घोषणा कर दी.
इससे राजनीतिक गलियारों में हंगामा मच गया. द्रमुक ने सरकार के मामलों में हस्तक्षेप के लिए राज्यपाल की आलोचना की. साथ ही मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि वह कानूनी तौर पर राज्यपाल के फैसले को चुनौती देंगे. बाद में उनकी घोषणा के कुछ ही घंटों के भीतर राज्यपाल ने सेंथिल बालाजी की बर्खास्तगी की घोषणा को निलंबित कर दिया. उन्होंने यह भी घोषणा की कि यह निर्णय केंद्र सरकार के मुख्य अधिवक्ताओं के परामर्श से लिया गया है. अब तमिलनाडु के वकीलों ने भारतीय संविधान और लोकतंत्र का सम्मान नहीं करने वाले राज्यपाल को पद से हटाने के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखा है.