चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट में मुख्य वन्यजीव वार्डन शेखर कुमार नीरज के टी23 टाइगर का शिकार करने के आदेश के खिलाफ याचिका पर आज सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हमारे देश में कुछ ही बाघ बचे हैं, इसलिए तुरंत उसकी हत्या मत करो. यह बाघ आदमखोर नहीं हो सकता.
वहीं, कोर्ट ने तमिलनाडु वन विभाग को बताया कि मुदुमलाई बाघ अभयारण्य के बाघ टी23 को पकड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं. इससे पहले नीलगिरि जिले के मसिनगुडी इलाके में वन विभाग ने सोमवार को लगातार 10वें दिन बाघ की तलाश की.
मुदुमलाई बाघ अभयारण्य के शिविर से दो हाथियों और तीन कुत्तों की सहायता से वन विभाग के अधिकारी बाघ की खोज कर रहे हैं. तमिलनाडु वन विभाग और केरल तथा कर्नाटक से विशेष कार्यबल के कुल 120 कर्मी इस तलाशी अभियान का हिस्सा हैं. जानकारी के मुताबिक बाघ अब तक चार लोगों और 20 से ज्यादा पशुओं को मार चुका है.
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उत्तर प्रदेश की एक कार्यकर्ता संगीता डोगरा और 'पीपुल फॉर कैटल इन इंडिया-चेन्नई' के एक अन्य व्यक्ति की और से एक याचिका दायर की गई है. इस बीच, वन विभाग ने स्पष्ट किया कि उनका काम घायल बाघ को पकड़ना है, न कि उसे मारना.