जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस पी. के. कौरव की युगलपीठ ने तीसरी मेटर्निटी लीव (मातृत्व अवकाश ) पर एक अहम फैसला दिया है. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का कहना है कि- "एक महिला सरकारी कर्मचारी तीसरी बार मातृत्व अवकाश की हकदार है, यदि वह अपने पहले पति को तलाक देती है, पुनर्विवाह करती है और गर्भधारण करती है". सामान्य परिस्थितियों में मातृत्व अवकाश की अनुमति केवल दो बार दी जाती है.
ये है मामला: जबलपुर जिले के पौड़ी कलां गांव में प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका प्रियंका तिवारी ने तलाक के बाद दोबारा शादी की और वह गर्भवती हो गईं. चूंकि, सिविल सेवा नियमों के अनुसार महिला कर्मचारी केवल दो बार मातृत्व अवकाश की हकदार है, ऐसे में तीसरी बार मातृत्व अवकाश के लिए उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया. कोर्ट में उन्होंने अपनी तीसरी संतान के लिए स्कूल शिक्षा विभाग को मातृत्व अवकाश देने के लिए याचिका लगाई.
याचिका में ये कहा गया: प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका तिवारी ने याचिका में कहा कि- " मेरी पहली शादी 2002 में हुई थी और 2018 में तलाक हो गया. मैंने 2021 में फिर से शादी की और अब गर्भवती हूं, लेकिन नियम तीसरी बार मातृत्व अवकाश लेने से रोकते हैं ". प्रियंका तिवारी की याचिका में आगे कहा गया कि- " अगर कोई महिला कर्मचारी तलाक के बाद दोबारा शादी करती है, तो उसे दो बार से अधिक मातृत्व अवकाश का हकदार होना चाहिए. "
कोर्ट ने दिया मातृत्व अवकाश: शिक्षिका प्रियंका तिवारी ने अपनी याचिका के साथ इसी तरह की स्थिति में हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश की एक प्रति भी पेश की. चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस पी. के. कौरव की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि राज्य सरकार ने अभी तक याचिका का जवाब नहीं दिया है. स्थिति की तात्कालिकता को देखते हुए हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में स्कूल शिक्षा विभाग से कहा है कि प्रियंका तिवारी को तीसरी बार मातृत्व अवकाश दिया जाये. (Third Maternity leave) (MP High court news )