लखनऊ : लखनऊ में इंडियन प्रीमियर लीग यानि आईपीएल के मुकाबले अब हो रहे हैं, मगर लखनऊ में स्टार क्रिकेटरों का जलवा पहले भी था. 70 के दशक से लेकर साल 2000 तक टीम इंडिया के बड़े खिलाड़ी लखनऊ के टूर्नामेंट में खेलते नजर आते थे. 60 साल तक लखनऊ में होने वाली शीशमहल ट्रॉफी का रुतबा आईपीएल से कुछ कम नहीं था. कपिल देव, श्रीकांत, नवजोत सिद्धू, अजय जडेजा, हरभजन सिंह समेत कई स्टार क्रिकेटर लखनऊ के शीशमहल टूर्नामेंट में खेले. मगर जब आईपीएल की धमक बढ़ी तो शीशमहल टूर्नामेंट का रंग फीका पड़ गया.
![शीशमहल टूर्नामेंट की पुरानी तस्वीर.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18236358_old_ipl.jpg)
18 साल के धोनी ने जड़ी थी हाफ सेंचुरी : महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में भारत ने दूसरी बार वर्ल्ड कप जीता था. आज भी लोग उनके फाइनल में लगाए गए फिनिशिंग शॉट को याद करते हैं. एक वक्त था कि विकेटकीपर-बल्लेबाज के तौर पर धोनी पहली बार लखनऊ की शीश महल ट्राफी में सामने आए थे. तब 18 साल के महेंद्र सिंह धोनी ने सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड के लिए एक शानदार अर्धशतक बनाया था. शीशमहल टूर्नामेंट में हाफ सेंक्चुरी लगाने के बाद से ही धोनी क्रिकेट की दुनिया में पॉपुलर होने लगे.
शीशमहल टूर्नामेंट हर साल गर्मियों के दौरान लखनऊ में खेला जाता था. प्रचंड गर्मी के बीच भारत के दिग्गज खिलाड़ी खेलते थे. उस समय लाखों उत्साही घरेलू क्रिकेट प्रशंसक क्रिकेट देखने के लिए स्टेडियम में मौजूद रहते थे. भीषण गर्मी से बचने के लिए खेल सुबह 6:00 बजे शुरू होता था. उत्तर प्रदेश के सबसे वरिष्ठ क्रिकेटरों में से एक अशोक बांबी ने बताया कि जब शीश महल टूर्नामेंट अपने चरम पर था, तब भारत के पूर्व कप्तान मंसूर अली खान पटौदी, कपिल देव और बिशन सिंह बेदी सहित शीर्ष खिलाड़ियों भी इसके मुरीद हो गए.
![60 साल तक क्रिकेटरों का फेवरेट रहा ही शीशमहल टूर्नामेंट.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18235517_sheesh.jpg)
1951 में शुरू हुआ शीशमहल क्रिकेट टूर्नामेंट : शीश महल टूर्नामेंट 1951 में शुरू हुआ था. यह वरिष्ठ क्रिकेट प्रेमी एम. अस्करी हसन के दिमाग की उपज थी. हसन ने उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ में शीर्ष पदों पर काम किया था. उन्होंने दो-दिवसीय और तीन-दिवसीय मैचों के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की, लेकिन यह धीरे-धीरे 50 ओवर के मैच में बदल गया. 1970 के दशक के अंत में संयुक्त अरब अमीरात औऱ कुवैत जैसे दूर-दराज से टीमें यहां खेलने के लिए आईं. इस टूर्नामेंट की इनामी राशि बहुत ज्यादा नहीं थी. टेस्ट खिलाड़ियों को भी कोई मोटी रकम का भुगतान नहीं किया गया. क्लब अपने स्टार खिलाड़ियों की यात्रा और होटलों के लिए खर्च करता था. शीशमहल टूर्नामेंट में बढ़िया प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी नेशनल सिलेक्टर की नजर में आ जाते थे. आज ऐसा आईपीएल में हो रहा है.
बेदी अमृतसर के लिए पांच साल तक खेले : उत्तर प्रदेश के सबसे वरिष्ठ क्रिकेटरों में से एक अशोक बांबी ने बताया कि उन्होंने 28 साल तक शीश महल टूर्नामेंट में पार्टिसिपेट किया. अपनी यादों को ताजा करते हुए अशोक कहते हैं कि वह क्रिकेट खेल का एक अलग युग था. भारत के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में से एक स्पिनर बेदी अपने गृह शहर अमृतसर की एक टीम के लिए पांच साल तक खेले. अशोक बांबी उस समय एक स्थापित क्रिकेटर नहीं था मगर टूर्नामेंट ने उन्हें बहुत पहचान दी. क्रिकेट खेलने के लिए सुंदर माहौल था. यह शुद्ध क्रिकेट था, जैसा कि होना चाहिए. बांबी ने कहा कि शीश महल ने कई खिलाड़ियों का करियर बचाया.
![आईपीएल ने देश में होने वाले प्रतिष्ठित टूर्नामेंट पर भी असर डाला](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18235517_sheeshmahal.jpg)
शीशमहल ट्रॉफी में सिद्धू पाजी ने लगाए थे दो शतक : बांबी ने बताया कि 1969 में राजकोट से एक टीम आई थी, जिसमें अशोक मांकड़ और एकनाथ सोलकर थे. इन दोनों खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया था. उन्होंने कहा कि नवजोत सिद्धू के राष्ट्रीय टीम में चयन का श्रेय भी शीशमहल टूर्नामेंट को श्रेय दिया जा सकता है. सहारा के सुब्रतो रॉय की टीम के लिए खेलते हुए, सिद्धू ने दो शतक लगाए थे और नेशनल टीम में वापसी की थी. भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने 17 साल की उम्र में और बाद में भारतीय उद्योगपति सुब्रतो रॉय की टीम के लिए टूर्नामेंट खेला.
लखनऊ में खेलने वाले दिग्गज क्रिकेटरों की लिस्ट लंबी है : सहवाग ने भी माना है उस समय गर्मियों में बहुत कम क्रिकेट होता था. इस कारण खिलाड़ियों को जहां भी मौका मिलता था, खेलते थे. शीश महल ऐसा ही एक मौका था. उन्होंने बताया कि रमन लांबा और मनोज प्रभाकर भी इस टूर्नामेंट के हिस्सा रहे हैं. नवाब पटौदी, एम.एल. जयसिम्हा, फारुख इंजीनियर और सलीम दुर्रानी ने भी अपने करियर के दौरान शीश महल टूर्नामेंट हिस्सा लिया. यह टूर्नामेंट 2010 में आईपीएल का प्रभाव बढ़ने के बाद बंद हो गया. अधिकांश स्टार खिलाड़ी इंडियन प्रीमियर लीग में व्यस्त हो गए. ऐसे में शीश महल ट्रॉफी बंद कर दी गई.
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