कोटा. कहते हैं हौसले बुलंद हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. इसको चरितार्थ किया है राजस्थान के कोटा जिले के रहने वाले अरविंद सैनी ने. मेडिकल की तैयारी कर डॉक्टर बनने का ख्वाब संजोए अरविंद की दुनिया एक हादसे ने बदल कर रख दी. हादसे में उन्हें एक पैर गंवाना पड़ा, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और इसी का नतीजा है कि अब अरविंद पैरा नेशनल गेम्स में राजस्थान की तरफ से तीरंदाजी करेंगे.
राजस्थान के कोटा जिले के रहने वाले 22 वर्षीय अरविंद सैनी का जीवन सामान्य चल रहा था. अरविंद अपनी पढ़ाई में व्यस्त थे, लेकिन एक दिन बाइक चलाते समय हादसा हुआ और उन्हें एक पैर गंवाना पड़ा. करीब डेढ़ साल तक अरविंद बेड रेस्ट पर रहे और उसके बाद जब खड़े हुए, तो उसे चलने के लिए जयपुर फुट (नकली पैर) की आवश्यकता पड़ी. परिजनों ने जयपुर फुट से अरविंद को खड़ा किया, लेकिन इसके बाद भी उसका जीवन सामान्य नहीं हुआ. इसके बाद तीरंदाजी के कोच बृजपाल सिंह सोलंकी और उनके बेटे नेशनल प्लेयर पुष्पेंद्र ने अरविंद के हाथ में तीर कमान थमाई, जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज अरविंद पैरा नेशनल गेम्स में राजस्थान की तरफ से खेलने जा रहे हैं.
यह नेशनल गेम पंजाब के पटियाला में 24 दिसम्बर से शुरू होने वाले हैं, जिसके लिए 22 दिसम्बर को अरविंद कोटा से रवाना होंगे. अरविंद का कहना है कि वह स्कूली लाइफ में ताइक्वांडो और बास्केटबॉल का खिलाड़ी रहा है, लेकिन हादसे ने सब कुछ छीन लिया था. वह मेडिकल एंट्रेंस पास कर एमबीबीएस करना चाह रहा था, लेकिन अब मेरा लक्ष्य पैरा ओलंपिक में तीरंदाजी का गोल्ड जीतना है.
3 महीने से हर दिन 8 घंटे मैदान में : तीरंदाजी के कोच बृजपाल सिंह सोलंकी का कहना है कि अरविंद फील्ड में काफी मेहनत कर रहे हैं. वह बीते 3 महीने से 8 घंटे तीरंदाजी के मैदान में डटे हुए हैं. इसके साथ ही तीरंदाजी के लिए जरूरी हर एक्सरसाइज को भी उन्होंने तन्मयता से किया. अरविंद तीरंदाजी के गुर बारीकी से सीख रहा है, ताकि भारतीय टीम में सिलेक्शन पा सके. छोटे बच्चों से लेकर बड़ी उम्र तक के लोगों को तीरंदाजी के फील्ड में देखकर उनमें भी यह जज्बा पैदा हुआ है. हमें उम्मीद है कि अरविंद कोटा का नाम रोशन करेगा और पैरा नेशनल के बाद भारतीय टीम में भी उसका चयन होगा. आगे जाकर वह पैरा ओलंपिक में भी भाग लेगा.
नेशनल प्लेयर ने पहचानी अरविंद की क्षमता : कोच बृजपाल सिंह सोलंकी के बेटे और तीरंदाजी नेशनल प्लेयर पुष्पेंद्र सिंह ने अरविंद को गोदावरी धाम हनुमानजी के मंदिर पर देखा था. पुष्पेंद्र ने अरविंद से उसका हाल-चाल पूछा तब हादसे के बारे में पता चला. इसके बाद पुष्पेंद्र ने अरविंद को तीरंदाजी करने के लिए प्रेरित किया. अरविंद इसके लिए तैयार हो गया और अगले दिन ही प्रैक्टिस के लिए फील्ड में पहुंच गया. इस बात को 3 महीने हो गए और अरविंद लगातार प्रैक्टिस के लिए आ रहा है. अब उनका चयन तीरंदाजी के नेशनल पैरा गेम्स के लिए हो गया है.
परिजन बोले गर्व से सिर हो जाता है ऊंचा : अरविंद के पिता रामजीलाल सैनी जॉब करते हैं, जबकि मां कैलाश देवी गृहणी हैं. बोरखेड़ा इलाके में 9 अप्रैल 2022 को हुए हादसे में अरविंद के एक पैर खो देने से पूरा परिवार परेशान था. अरविंद का कहना है कि उनके परिवार ने दुर्घटना के बाद काफी कुछ सहन किया. जब से मैं तीरंदाजी करने लगा हूं, तब से परिवार भी खुश है. वो खुद भी इसमें पूरी तरह से बिजी रहते हैं. जब से उनका चयन नेशनल गेम्स के लिए हुआ है, परिवार का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है. अरविंद का छोटा भाई गिरीश कुमार सैनी अब अरविंद के डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करने की तैयारी में जुटा हुआ है. वह मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहा है.
वर्तमान में 80 फीसदी निशाने सटीक : कोच बृजपाल सिंह का कहना है कि अरविंद वर्तमान में 250 से 300 निशाने प्रतिदिन लग रहा है. इसमें से 80 प्रतिशत निशाने यानी तीर सटीक लग रहे हैं. यह केवल 3 महीने की प्रैक्टिस है. अरविंद इसी तरह से मेहनत करता रहा तो वह आगे जाकर कोटा का नाम जरूर रोशन करेगा. उसकी मेहनत और जज्बे के कारण वह सामान्य बच्चों की तरह ही रोज प्रैक्टिस कर रहा है. कभी उसके चेहरे पर कोई शिकन या थकान नजर नहीं आती है. अपने निशाने को सटीक कैसे लगाया जाए, वह इस बारे में ही बात करता है. उसका व्यवहार भी सब बच्चों से अलग नजर आता है.
एक्सीडेंट से बदल गया है जीवन का प्लान : अरविंद सैनी ने एमबीबीएस करने का प्रण लिया था और वह इसकी तैयारी कोटा के कोचिंग संस्थान से कर रहे थे, लेकिन दुर्घटना के चलते उनका पूरा प्लान बदल गया. अब वो डिस्टेंस लर्निंग से पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने फार्मेसी की पढ़ाई के लिए जयपुर के कॉलेज में एडमिशन लिया है, जहां से वह ऑनलाइन क्लासेस अटेंड करते हैं. अरविंद खुद दिव्यांगों के लिए बने खास तीन पहिया स्कूटर को चलाकर प्रैक्टिस करने के लिए पहुंचते हैं और पूरा समय मैदान में देते हैं. अब उनका लक्ष्य पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडल हासिल करने का है.