पुरी: पुरी में रथयात्रा में शाम तकरीबन 6 बजे तक भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन सहित तीन किलोमीटर दूर मौजूद गुंडिचा मंदिर पहुंच गए. ये उनकी मौसी का घर है. यहां सबसे पहले भगवान बलभद्र का ताल ध्वज रथ फिर बहन सुभद्रा का दर्पदलन नाम का रथ और इसके बाद भगवान जगन्नाथ का रथ पहुंचा. ये भगवान की मौसी का घर है. यहां भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ सात दिन तक रुकेंगे. फिर इन्हीं रथों में मुख्य मंदिर लौटेंगे. गुंडिचा मंदिर पहुंचने से पहले लाखों भक्तों ने भगवान के दर्शन किए. जय जगन्नाथ, नारे लगाते हुए कीर्तन किया. रथयात्रा की रस्में सुबह मंगला आरती और पूजा के साथ शुरू हुई.
पढ़ें: पुरी में गुंडिचा मंदिर की रसोईघर में तोड़फोड़, 20 चूल्हे नष्ट
फिर भगवान को भोग लगाया गया. सुबह 7 बजे भगवान जगन्नाथ बड़े भाई और बहन के साथ मंदिर से बाहर आए. इसके बाद रथ प्रतिष्ठा और अन्य रस्में हुईं. पुरी के राजा दिव्य सिंह देव ने छोरा पोहरा की परंपरा पूरी करते हुए सोने के झाड़ू से रथों को बुहारा. इसके बाद रथयात्रा शुरू हुई. रथयात्रा में सबसे आगे भगवान बलभद्र का रथ, बीच में बहन सुभद्रा और आखिरी में भगवान जगन्नाथ का रथ था. कोविड के दो सालों के बाद इस बार रथयात्रा में लाखों लोग शामिल हुए हैं. वहीं, पीएम मोदी ने रथयात्रा की बधाई दी. उन्होंने कहा- हम भगवान जगन्नाथ से उनके निरंतर आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं. हम सभी को अच्छे स्वास्थ्य और खुशियों का आशीर्वाद मिले.