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Liquor Ban In Chhattisgarh: 6800 करोड़ का राजस्व और हर साल 30 परसेंट ग्रोथ, इसलिए छ्त्तीसगढ़ में शराबबंदी दूर की कौड़ी

Liquor Ban In Chhattisgarh विधानसभा चुनाव 2023 नजदीक आते ही शराबबंदी का मुद्दा भी जोर शोर से उछाला जाने लगा है. कांग्रेस पर शराबबंदी के वादे से मुकरने का आरोप लगाते हुए मानसून सत्र में भाजपा हमलावर है. वहीं कांग्रेस से की ओर से अब छत्तीसगढ़ को नशा मुक्त बनाने का अभियान छेड़ दिया गया है.

Liquor Ban In Chhattisgarh
छ्त्तीसगढ़ में शराबबंदी दूर की कौड़ी
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Published : Jul 20, 2023, 10:59 PM IST

Updated : Jul 22, 2023, 9:53 PM IST

छ्त्तीसगढ़ में शराबबंदी दूर की कौड़ी

रायपुर: छत्तीसगढ़ में शराबबंदी का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस ने अब तक प्रदेश में शराबबंदी नहीं की है. विधानसभा चुनाव को कुछ ही महीने बचे हुए हैं. ऐसे में अब शराबबंदी के वादे को लेकर लगातार भारतीय जनता पार्टी और अन्य विपक्षी दल कांग्रेस सरकार को लगातार घेर रहे हैं. मानसून सत्र में भी यह मुद्दा जोर शोर से उछाला गया. छत्तीसगढ़ में शराबबंदी लागू करने के लिए सरकार ने एक राजनीतिक समिति बनाई गई है, जिसके अध्यक्ष कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा हैं. छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर सरकार की ओर से उठाए गए कदम क्या रहे, आखिर क्या कारण है कि छत्तीसगढ़ में अब तक शराबबंदी लागू नहीं हो पाई, पढ़िए खास रिपोर्ट.

पहले जान लें आबकारी विभाग के राजस्व की स्तिथि: 2019-20 में चार हजार 952 करोड़ 79 लाख रुपये का राजस्व आबकारी विभाग को मिला. 2020-21 में 4 हजार 636 करोड़ 90 लाख रुपये, 2021-22 में 5 हजार 110 करोड़ 15 लाख रुपये प्राप्त हुए. वहीं 2022-23 में 1 अप्रैल से 6 फरवरी 2023 तक 5 हजार 525 करोड़ 99 लाख रुपये का राजस्व सरकार के खाते में आया है.

Liquor Ban In Chhattisgarh
छ्त्तीसगढ़ में शराबबंदी दूर की कौड़ी

शराबबंदी को लेकर भाजपा है हमलावर: भाजपा मीडिया विभाग के प्रमुख अमित चिमनानी कांग्रेस पर झूठे वादे करने का आरोप लगाते हैं. छ्त्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी का वादा करने वाली भूपेश बघेल सरकार पर वादाखिलाफी करने और विश्वसनीयता खो देने की भी बात कही.

पिछले पौने पांच साल में तरह तरह के वादे बयानबाजी, यहां तक कि मुख्यमंत्री ने यह कह दिया कि आप खुद शराब बंद कर दो. सरकार ने फिर प्रदेश में शराबबंदी का वादा क्यों किया था. प्रदेश में शराबबंदी नहीं हुई है और ना ही शराबबंदी होने के आसार नजर आते हैं. कांग्रेस अपनी विश्वसनीयता खो चुकी है. कांग्रेस अब जनता से कोई भी वादा करेगी लेकिन जनता उन्हें नहीं मानेगी. -अमित चिमनानी, मीडिया प्रमुख, भाजपा

नोटबंदी की तरह तुरंत नहीं कर सकते बंद-सत्यनारायण शर्मा: प्रदेश में शराबबंदी करने के लिए सरकार की ओर से बनाई गई समिति के अध्यक्ष और वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा ने शराब को सामाजिक समस्या बताया. इतना ही नहीं नोटबंदी की तर्ज पर शराबबंदी तुरंत लागू करने से इनकार किया. इससे धीरे धीरे लागू करने का दावा किया. वहीं शराबबंदी के साथ सूखे नशे पर भी पाबंदी की बात कही.

अगर शराबबंदी कर दी जाए और दूसरे प्रदेशों से जहरीली शराब आएगी तो उसका कौन जिम्मेदार होगा. गुजरात पंजाब और बिहार जैसे राज्यों में जहरीली शराब के कारण कितने लोग मर गए. छत्तीसगढ़ में धीरे-धीरे शराबबंदी करना ठीक रहेगा. हम प्रदेश में शराबबंदी के लिए शराब दुकानें कम करेंगे, नशा मुक्ति केंद्र बढ़ाएंगे और जन जागरूकता करेंगे. या फिर केंद्र सरकार वन नेशन वन राशन की तरह एक साथ पूरे देश में शराबबंदी कर दे तो फिर लिकर वॉर बन्द हो जाएगा. -सत्यनारायण शर्मा, अध्यक्ष, शराबबंदी समिति

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छत्तीसगढ़ में इसलिए आसान नहीं शराबबंदी: छत्तीसगढ़ में अगर कोई भी सरकार आती है तो वह शराबबंदी नहीं करेगी. व्यापारिक बात यह है कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में पेसा कानून लागू, जिन क्षेत्रों में पेशा कानून लागू है और हर आदिवासी को 5 लीटर शराब रखने का अधिकार है. ऐसे में शराबबंदी नहीं की जा सकती. छत्तीसगढ़ राज्य 7 राज्यों से घिरा हुआ है. प्रदेश में शराबबंदी करने के बावजूद भी प्रदेश में अवैध शराब की आवाजाही हो सकती है तो यह भौगोलिक स्थिति से भी ठीक नहीं है. पर्यटन की दृष्टि से भी शराबबंदी ठीक नहीं है. यह चुनावी मुद्दे इसलिए रह जाते हैं क्योंकि जब कोई पार्टी सत्ता में आती है तब उन्हें बातों की गंभीरता पता चलती है.

Liquor Ban In Chhattisgarh
छ्त्तीसगढ़ में शराबबंदी दूर की कौड़ी

शराब का मुद्दा सीधा रिवेन्यू से जुड़ा हुआ है. कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले अपने संकल्प पत्र में शराबबंदी का वादा किया. छत्तीसगढ़ में शराब से 6800 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता है. हर साल आबकारी से आने वाले राजस्व में 30 परसेंट की वृद्धि होती है. कोई भी सरकार शराब बंदी कराने के लिए इच्छुक नहीं होगी, क्योंकि यह सीधा रेवेन्यू से जुड़ा हुआ मामला है. -उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार



छत्तीसगढ़ में संचालित हैं 800 शराब दुकानें: वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 800 शराब दुकानें संचालित हैं. शराबबंदी को लेकर सरकार शराब आउटलेट घटाने की बात करती है. जिन गांव में 3 हजार या 5 हजार जनसंख्या है, वहां संचालित होने वाली शराब दुकान को बंद कर दिया जाता है. लेकिन शराब लेने वाले लोग आसपास की दुकानों में जाकर शराब खरीद लेते हैं. ऐसे में शराब दुकानें बंद होती तो नजर आती हैं, लेकिन वास्तव में आबकारी से आने वाले राजस्व में कोई कमी नहीं होती. शराबबंदी एक चुनावी वादा है. इसे लेकर सरकारें दिखावे के लिए काम करती रहेंगी.

छ्त्तीसगढ़ में शराबबंदी दूर की कौड़ी

रायपुर: छत्तीसगढ़ में शराबबंदी का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस ने अब तक प्रदेश में शराबबंदी नहीं की है. विधानसभा चुनाव को कुछ ही महीने बचे हुए हैं. ऐसे में अब शराबबंदी के वादे को लेकर लगातार भारतीय जनता पार्टी और अन्य विपक्षी दल कांग्रेस सरकार को लगातार घेर रहे हैं. मानसून सत्र में भी यह मुद्दा जोर शोर से उछाला गया. छत्तीसगढ़ में शराबबंदी लागू करने के लिए सरकार ने एक राजनीतिक समिति बनाई गई है, जिसके अध्यक्ष कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा हैं. छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर सरकार की ओर से उठाए गए कदम क्या रहे, आखिर क्या कारण है कि छत्तीसगढ़ में अब तक शराबबंदी लागू नहीं हो पाई, पढ़िए खास रिपोर्ट.

पहले जान लें आबकारी विभाग के राजस्व की स्तिथि: 2019-20 में चार हजार 952 करोड़ 79 लाख रुपये का राजस्व आबकारी विभाग को मिला. 2020-21 में 4 हजार 636 करोड़ 90 लाख रुपये, 2021-22 में 5 हजार 110 करोड़ 15 लाख रुपये प्राप्त हुए. वहीं 2022-23 में 1 अप्रैल से 6 फरवरी 2023 तक 5 हजार 525 करोड़ 99 लाख रुपये का राजस्व सरकार के खाते में आया है.

Liquor Ban In Chhattisgarh
छ्त्तीसगढ़ में शराबबंदी दूर की कौड़ी

शराबबंदी को लेकर भाजपा है हमलावर: भाजपा मीडिया विभाग के प्रमुख अमित चिमनानी कांग्रेस पर झूठे वादे करने का आरोप लगाते हैं. छ्त्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी का वादा करने वाली भूपेश बघेल सरकार पर वादाखिलाफी करने और विश्वसनीयता खो देने की भी बात कही.

पिछले पौने पांच साल में तरह तरह के वादे बयानबाजी, यहां तक कि मुख्यमंत्री ने यह कह दिया कि आप खुद शराब बंद कर दो. सरकार ने फिर प्रदेश में शराबबंदी का वादा क्यों किया था. प्रदेश में शराबबंदी नहीं हुई है और ना ही शराबबंदी होने के आसार नजर आते हैं. कांग्रेस अपनी विश्वसनीयता खो चुकी है. कांग्रेस अब जनता से कोई भी वादा करेगी लेकिन जनता उन्हें नहीं मानेगी. -अमित चिमनानी, मीडिया प्रमुख, भाजपा

नोटबंदी की तरह तुरंत नहीं कर सकते बंद-सत्यनारायण शर्मा: प्रदेश में शराबबंदी करने के लिए सरकार की ओर से बनाई गई समिति के अध्यक्ष और वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा ने शराब को सामाजिक समस्या बताया. इतना ही नहीं नोटबंदी की तर्ज पर शराबबंदी तुरंत लागू करने से इनकार किया. इससे धीरे धीरे लागू करने का दावा किया. वहीं शराबबंदी के साथ सूखे नशे पर भी पाबंदी की बात कही.

अगर शराबबंदी कर दी जाए और दूसरे प्रदेशों से जहरीली शराब आएगी तो उसका कौन जिम्मेदार होगा. गुजरात पंजाब और बिहार जैसे राज्यों में जहरीली शराब के कारण कितने लोग मर गए. छत्तीसगढ़ में धीरे-धीरे शराबबंदी करना ठीक रहेगा. हम प्रदेश में शराबबंदी के लिए शराब दुकानें कम करेंगे, नशा मुक्ति केंद्र बढ़ाएंगे और जन जागरूकता करेंगे. या फिर केंद्र सरकार वन नेशन वन राशन की तरह एक साथ पूरे देश में शराबबंदी कर दे तो फिर लिकर वॉर बन्द हो जाएगा. -सत्यनारायण शर्मा, अध्यक्ष, शराबबंदी समिति

Ajay Chandrakar: अजय चंद्राकर ने कवासी लखमा और सीएम भूपेश को कहा I love you, कुत्ते को भी किया याद, सीएम भूपेश ने कह दी बड़ी बात
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छत्तीसगढ़ में इसलिए आसान नहीं शराबबंदी: छत्तीसगढ़ में अगर कोई भी सरकार आती है तो वह शराबबंदी नहीं करेगी. व्यापारिक बात यह है कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में पेसा कानून लागू, जिन क्षेत्रों में पेशा कानून लागू है और हर आदिवासी को 5 लीटर शराब रखने का अधिकार है. ऐसे में शराबबंदी नहीं की जा सकती. छत्तीसगढ़ राज्य 7 राज्यों से घिरा हुआ है. प्रदेश में शराबबंदी करने के बावजूद भी प्रदेश में अवैध शराब की आवाजाही हो सकती है तो यह भौगोलिक स्थिति से भी ठीक नहीं है. पर्यटन की दृष्टि से भी शराबबंदी ठीक नहीं है. यह चुनावी मुद्दे इसलिए रह जाते हैं क्योंकि जब कोई पार्टी सत्ता में आती है तब उन्हें बातों की गंभीरता पता चलती है.

Liquor Ban In Chhattisgarh
छ्त्तीसगढ़ में शराबबंदी दूर की कौड़ी

शराब का मुद्दा सीधा रिवेन्यू से जुड़ा हुआ है. कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले अपने संकल्प पत्र में शराबबंदी का वादा किया. छत्तीसगढ़ में शराब से 6800 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता है. हर साल आबकारी से आने वाले राजस्व में 30 परसेंट की वृद्धि होती है. कोई भी सरकार शराब बंदी कराने के लिए इच्छुक नहीं होगी, क्योंकि यह सीधा रेवेन्यू से जुड़ा हुआ मामला है. -उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार



छत्तीसगढ़ में संचालित हैं 800 शराब दुकानें: वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 800 शराब दुकानें संचालित हैं. शराबबंदी को लेकर सरकार शराब आउटलेट घटाने की बात करती है. जिन गांव में 3 हजार या 5 हजार जनसंख्या है, वहां संचालित होने वाली शराब दुकान को बंद कर दिया जाता है. लेकिन शराब लेने वाले लोग आसपास की दुकानों में जाकर शराब खरीद लेते हैं. ऐसे में शराब दुकानें बंद होती तो नजर आती हैं, लेकिन वास्तव में आबकारी से आने वाले राजस्व में कोई कमी नहीं होती. शराबबंदी एक चुनावी वादा है. इसे लेकर सरकारें दिखावे के लिए काम करती रहेंगी.

Last Updated : Jul 22, 2023, 9:53 PM IST
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