लखनऊ : डेढ़ साल की दुधमूही बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी रिश्तेदार को पाक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश आशुतोष कुमार सिंह ने उम्रकैद की सजा के साथ-साथ पचास हजार रुपए की जुर्माने से दंडित किया है. अदालत ने कहा है कि अर्थदण्ड की कुल धनराशि पीड़िता को उसके चिकित्सीय व मानसिक आघात की पूर्ति के लिए प्रदान किया जाएगा. इसके साथ ही कोर्ट ने विवेचना में लापरवाही बरतने पर विवेचक के खिलाफ कार्रवाई के भी आदेश दिए हैं.
अभियोजन की ओर से अदालत के समक्ष विशेष लोक अभियोजक पंकज श्रीवास्तव, अनुपमा श्रीवास्तव एवं विनय तिवारी का तर्क था कि इस मामले की रिपोर्ट बच्ची की मां द्वारा थाना पीजीआई में 2018 को दर्ज कराई गई थी, जिसमें कहा गया है कि उसके पड़ोसी के यहां शादी थी जिसमें उसका ममिया ससुर उसके घर करीब 10:30 बजे आया था. कहा गया है कि उस समय वादिनी खाना बना रही थी तथा उसकी छोटी पुत्री पीड़िता जिसकी उम्र लगभग डेढ़ वर्ष थी रो रही थी, बच्ची को चुप कराने के बहाने बाहर बरामदे में ले गया. कहा गया कि बच्ची को ले जाते हुए वादिनी की देवरानी ने भी देखा था. कुछ देर बाद बच्ची के रोने की आवाज आई, तब चुप करने के दौरान पता चला कि बच्चों के गुप्तांग से खून निकल रहा है. अदालत को बताया गया कि शोर शराबा करने पर उसके सास-ससुर और मोहल्ले के बहुत लोग आ गए, जिन्होंने आरोपी को पकड़कर उसकी पिटाई की तथा पुलिस के हवाले कर दिया था.
वहीं दुराचार जैसे गंभीर मामलों में विवेचक द्वारा लापरवाही बरते जाने पर अदालत ने कहा है कि डॉक्टर रिपोर्ट में पीड़िता के शरीर पर खून के धब्बे एवं खरोच के निशान पाए गए थे, जिससे खून निकल रहा था और इस खून के सैम्पल को विवेचक ने 72 घंटे बाद परीक्षण के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया, जिसके परिणाम स्वरूप रिपोर्ट में आरोपों से संबंधित तथ्य नहीं मिला. अदालत ने विवेचक की लापरवाही एवं त्रुटि पूर्ण कृत्य के लिए पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया है कि वह विवेचक के उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करते हुए उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई किया जाना सुनिश्चित करेंगे तथा कृत कार्रवाई से इस न्यायालय को भी अवगत कराएंगे.