नई दिल्ली: राउज एवेन्यू कोर्ट ने पत्रकार विवेक रघुवंशी और उनके सहयोगी पूर्व-नौसेना कमांडर आशीष पाठक की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) रिमांड को पांच दिनों के लिए बढ़ा दिया. दोनों पर कथित तौर पर विदेशों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति संवेदनशील जानकारी साझा करने के आरोप है. मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) अंजनी महाजन ने सीबीआई की दलीलों पर ध्यान देने के बाद विवेक रघुवंशी और आशीष पाठक की रिमांड अवधि को और बढ़ा दिया. उन्हें पहले 17 मई, 2023 को अदालत में पेश किया गया था और तब से वे सीबीआई रिमांड पर थे.
सीबीआई ने पहले कहा था कि भारतीय दंड संहिता की आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की धारा 3 आर/डब्ल्यू धारा 120-बी के तहत दर्ज एक मामले की चल रही जांच में गिरफ्तारियां की गई हैं. सीबीआई ने नौ दिसंबर, 2022 को एक व्यक्ति के खिलाफ डीआरडीओ रक्षा परियोजनाओं के मिनट विवरण और उनकी प्रगति, भारतीय सशस्त्र बलों की भविष्य की खरीद के बारे में संवेदनशील विवरण सहित संवेदनशील जानकारी के अवैध संग्रह में कथित संलिप्तता के लिए उक्त मामला दर्ज किया था. जो देश के वर्गीकृत संचार और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित सूचनाओं की सामरिक तैयारी, हमारे मित्र देशों के साथ भारत की सामरिक और राजनयिक वार्ता का विवरण और विदेशों की खुफिया एजेंसियों के साथ ऐसी वर्गीकृत जानकारी साझा करने का खुलासा करते हैं.
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सीबीआई ने जयपुर और एनसीआर में लगभग 15 स्थानों पर तलाशी ली. सीबीआई ने तलाशी के दौरान नामजद अभियुक्तों और उक्त अभियुक्तों से जुड़े अन्य लोगों की प्राथमिकी से संबंधित लैपटॉप, टैबलेट, मोबाइल फोन, हार्ड डिस्क और पेन ड्राइव आदि सहित 48 इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए हैं. सीबीआई ने कहा कि भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों से संबंधित डेटा को भी जब्त कर लिया गया है.
क्लाउड-आधारित खातों, ईमेल और अभियुक्तों / अन्य से संबंधित सोशल मीडिया खातों में संग्रहीत डेटा भी सीबीआई के डिजिटल फोरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा बरामद किया गया है. सीबीआई द्वारा यह भी आरोप लगाया गया कि आरोपी और उसके साथी पूर्व-नौसेना कमांडर वर्तमान में एक निजी फर्म के साथ काम कर रहे हैं. उनके पास भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों से संबंधित वर्गीकृत गुप्त दस्तावेज थे.
अब तक बरामद उपकरणों की जांच से यह भी पता चला है कि अभियुक्त विभिन्न स्रोतों से भारत की रक्षा खरीद से संबंधित गोपनीय जानकारी एकत्र करने में शामिल था. और वह कई विदेशी संस्थाओं, एजेंटों व व्यक्तियों के संपर्क में था. उसने कई विदेशी संस्थाओं के साथ गोपनीय जानकारी साझा करने के लिए अनुबंध व समझौते किए थे. सीबीआई द्वारा यह भी आरोप लगाया गया था कि आरोपी और उसके परिवार के सदस्यों ने विदेशी स्रोतों से बड़ी मात्रा में धन प्राप्त किया था.
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