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नेता क्षेत्र में आते ही नहीं हैं, तो आपकी स्थिति कौन सुधारेगा : प्रशांत किशोर - बिहार न्यूज

राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनेताओं को सवालों के घेरे में खड़ा किया है. जनसुराज पदयात्रा के दौरान पश्चिमी चंपारण के बैरिया के रनाहा पंचायत में प्रशांत किशोर ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, जब आपके द्वारा चुने हुए नेता क्षेत्र में आते ही नहीं हैं, तो आपकी स्थिति कौन सुधारेगा?. पढ़ें पूरी खबर

नेताओं पर भड़के प्रशांत किशोर
नेताओं पर भड़के प्रशांत किशोर
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Published : Nov 8, 2022, 2:09 PM IST

पश्चिम चंपारण: चुनावी रणनीतिकार के रूप में चर्चित प्रशांत किशोर अब बिहार में अपने लिए जमीन तलाश रहे हैं. इसी क्रम में उनकी जन सुराज पदयात्रा पश्चिमी चंपारण के रनाहा पंचायत पहुंची (Prashant Kishor in west champaran). यहां प्रशांत किशोर ने लोगों को संबोधित (Prashant Kishor Attacks on politician) करते हुए कहा, "आपके नेता आपके क्षेत्र में आते ही नहीं हैं, आपकी समस्या से अवगत ही नहीं है, तो फिर आपकी यह स्थिति कौन सुधारेगा?

ये भी पढ़ें: प्रशांत किशोर बनाएंगे राजनीति पार्टी?: बोले- '12 नवंबर को तय होगा'

'आपके नेता क्षेत्र में आते ही नहीं हैं' : प्रशांत किशोर ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, "आपके नेता आपके क्षेत्र में आते ही नहीं हैं, आपकी समस्या से अवगत ही नहीं है, तो फिर आपकी यह स्थिति कौन सुधारेगा. आगे पदयात्रा का अनुभव साझा करते हुए बताया कि अफसरशाही का आलम ऐसा है कि विकास के सारे प्रयास बस कागजों पर ही हैं. नेता जी को अफसर ने बता दिया कि आपके गांव, पंचायत को ओडीएफ प्रमाणित किया गया और नेताजी ये मान बैठें हैं.''

''पदयात्रा के दौरान हमने देखा कि लोग आज भी सड़कों पर ही शौच करने को मजबूर हैं. धरातल पर प्रत्यक्ष रूप से हमें देखने को मिल रहा है कि कैसे सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार हुआ है. मोदी जी का स्वच्छ भारत और नीतीश कुमार का शौचालय सिर्फ कागजों पर ही बना है." - प्रशांत किशोर, चुनावी रणनीतिकार

पीके ने बताए यात्रा के तीन मुख्य लक्ष्य : बता दें कि प्रशांत किशोर ने अपनी 3500 किलोमीटर की पदयात्रा की शुरुआत पश्चिम चंपारण के भितिहारवा में गांधी आश्रम से की थी, जहां राष्ट्रपिता ने 1917 में अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था. कहा गया है कि यात्रा के तीन मुख्य लक्ष्य हैं. जिसमें जमीनी स्तर पर सही लोगों की पहचान करना और उन्हें एक लोकतांत्रिक मंच पर लाना शामिल है. यह यात्रा शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और उद्योग सहित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के विचारों को शामिल करके राज्य के लिए एक विजन दस्तावेज बनाने का भी काम करेगी.

बिहार में राजनीतिक जमीन तलाश रहे प्रशांत किशोर: दरअसल, प्रशांत किशोर ने राजनीति में आने की अपनी घोषणा के दौरान पदयात्रा का जिक्र किया था. अब उसी संकल्प के तहत वे पदयात्रा निकाल रहे हैं. उन्होंने आने वाले 10 वर्षों में बिहार को देश के शीर्ष दस राज्यों में शामिल करने के संकल्प के साथ जन सुराज अभियान के तहत इस पदयात्रा से जुड़ने की अपील की है.

12 नवंबर को राजनीतिक दल पर लेंगे फैसला : पदयात्रा के एक महीने पूरे होने पर प्रशांत किशोर कह चुके है कि वे राजनीतिक दल बनाने को लेकर 12 नवंबर को ही फैसला लेंगे. पीके ने कहा था कि हम जल्द ही जन सुराज अभियान के जिला सम्मेलन की बैठक के बाद 12 नवंबर को अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने को लेकर निर्णय लेंगे.

पश्चिम चंपारण: चुनावी रणनीतिकार के रूप में चर्चित प्रशांत किशोर अब बिहार में अपने लिए जमीन तलाश रहे हैं. इसी क्रम में उनकी जन सुराज पदयात्रा पश्चिमी चंपारण के रनाहा पंचायत पहुंची (Prashant Kishor in west champaran). यहां प्रशांत किशोर ने लोगों को संबोधित (Prashant Kishor Attacks on politician) करते हुए कहा, "आपके नेता आपके क्षेत्र में आते ही नहीं हैं, आपकी समस्या से अवगत ही नहीं है, तो फिर आपकी यह स्थिति कौन सुधारेगा?

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'आपके नेता क्षेत्र में आते ही नहीं हैं' : प्रशांत किशोर ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, "आपके नेता आपके क्षेत्र में आते ही नहीं हैं, आपकी समस्या से अवगत ही नहीं है, तो फिर आपकी यह स्थिति कौन सुधारेगा. आगे पदयात्रा का अनुभव साझा करते हुए बताया कि अफसरशाही का आलम ऐसा है कि विकास के सारे प्रयास बस कागजों पर ही हैं. नेता जी को अफसर ने बता दिया कि आपके गांव, पंचायत को ओडीएफ प्रमाणित किया गया और नेताजी ये मान बैठें हैं.''

''पदयात्रा के दौरान हमने देखा कि लोग आज भी सड़कों पर ही शौच करने को मजबूर हैं. धरातल पर प्रत्यक्ष रूप से हमें देखने को मिल रहा है कि कैसे सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार हुआ है. मोदी जी का स्वच्छ भारत और नीतीश कुमार का शौचालय सिर्फ कागजों पर ही बना है." - प्रशांत किशोर, चुनावी रणनीतिकार

पीके ने बताए यात्रा के तीन मुख्य लक्ष्य : बता दें कि प्रशांत किशोर ने अपनी 3500 किलोमीटर की पदयात्रा की शुरुआत पश्चिम चंपारण के भितिहारवा में गांधी आश्रम से की थी, जहां राष्ट्रपिता ने 1917 में अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था. कहा गया है कि यात्रा के तीन मुख्य लक्ष्य हैं. जिसमें जमीनी स्तर पर सही लोगों की पहचान करना और उन्हें एक लोकतांत्रिक मंच पर लाना शामिल है. यह यात्रा शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और उद्योग सहित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के विचारों को शामिल करके राज्य के लिए एक विजन दस्तावेज बनाने का भी काम करेगी.

बिहार में राजनीतिक जमीन तलाश रहे प्रशांत किशोर: दरअसल, प्रशांत किशोर ने राजनीति में आने की अपनी घोषणा के दौरान पदयात्रा का जिक्र किया था. अब उसी संकल्प के तहत वे पदयात्रा निकाल रहे हैं. उन्होंने आने वाले 10 वर्षों में बिहार को देश के शीर्ष दस राज्यों में शामिल करने के संकल्प के साथ जन सुराज अभियान के तहत इस पदयात्रा से जुड़ने की अपील की है.

12 नवंबर को राजनीतिक दल पर लेंगे फैसला : पदयात्रा के एक महीने पूरे होने पर प्रशांत किशोर कह चुके है कि वे राजनीतिक दल बनाने को लेकर 12 नवंबर को ही फैसला लेंगे. पीके ने कहा था कि हम जल्द ही जन सुराज अभियान के जिला सम्मेलन की बैठक के बाद 12 नवंबर को अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने को लेकर निर्णय लेंगे.

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