वाराणसीः लाल बहादुर शास्त्री की जयंती (Lal Bahadur Shastri Jayanti) पर हम आपको बताने जा रहे हैं काशी से उनके जुड़ाव के बारे में. आपको बताएंगे कि काशी के नन्हे कैसे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री (Prime Minister of India) बने.
बीएचूय के प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने बताया कि 2 अक्टूबर 1904 में लाल बहादुर शास्त्री का जन्म वाराणसी के रामनगर कस्बे में हुआ था. लाल बहादुर शास्त्री के बचपन का नाम नन्हे था. उनके पिता मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव अध्यापक थे और माता का नाम रामदुलारी था. 1927 में 23 वर्ष की आयु में उनका विवाह ललिता शास्त्री से हुआ था. देश के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में लाल बहादुर शास्त्री ने 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक लगभग 18 महीने तक देश सेवा की.
बनारस से लगभग 7 किलोमीटर दूर रामनगर में लाल बहादुर शास्त्री रहते थे. बाढ़ के दिनों में जब पीपा का पुल टूट जाता था तब वह तैरकर काशी विद्यापीठ पढ़ने आते थे. प्रधानमंत्री होने से पहले वह उत्तर प्रदेश सरकार में लाल बहादुर शास्त्री परिवहन और पुलिस मंत्री हुआ करते थे. उसे दौरान एक बार अपनी मांग को लेकर जनता प्रदर्शन कर रही थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने लाठीचार्ज की बात कही तो शास्त्री जी ने इसकी जानकारी की और पहली बार लोगों पर पानी का छिड़काव कर भीड़ को हटवाया. उनका कहना था कि हम अपने लोगों पर लाठी नहीं चला सकते बल्कि उन्हें प्यार से समझा सकते हैं.
बनारस शहर से लगभग 7 किलोमीटर की दर रामनगर में लाल बहादुर शास्त्री का पैतृक आवास है. उसे अब लाल बहादुर शास्त्री संग्रहालय बना दिया गया है. यहां पर लाल बहादुर शास्त्री से जुड़ीं बहुत सी तस्वीरें हैं. उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल की फोटो है जिसे फोटो गैलरी बनाया गया है. उसके साथ ही उनकी बहुत सी वस्तुएं यहां पर संजा कर रखी गई है. उनका एक सूटकेस है जिसे वह लेकर हमेशा चला करते थे. आवास को इस तरह सजाया गया है जैसे लाल बहादुर शास्त्री के समय रहता था. इसमें शास्त्री जी का एक मिट्टी का रूम भी शामिल है.
यहां के केयरटेकर महेंद्र नाथ लाल ने बताया कि यह लाल बहादुर शास्त्री का पैतृक आवास है. यहां पर उनके पिता और माता जी रहते थे. यहां पर फोटो गैलरी, लाल बहादुर शास्त्री की कच्ची रसोई, ललिता शास्त्री का कमरा, लाल बहादुर शास्त्री का बेडरूम उनकी सीट आदि हैं. उनका सूटकेस भी मौजूद है जिसमें वह दो धोती और कुर्ता ले जाया करते थे.
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