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लखीमपुर मामला: आशीष मिश्रा को मिली जमानत के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के लिए बेंच गठित करेगा सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को जमानत दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन करेगा.

Lakhimpur case: SC to set up bench to hear plea against bail granted to Ashish Mishra
लखीमपुर मामला: आशीष मिश्रा को मिली जमानत के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के लिए बेंच गठित करेगा सुप्रीम कोर्ट
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Published : Mar 15, 2022, 1:28 PM IST

Updated : Mar 15, 2022, 1:54 PM IST

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को जमानत दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन करेगा. लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी.

मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कुछ किसानों की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण के इस तर्क पर गौर किया कि मामले के मुख्य गवाहों में से एक पर हमला हुआ था. प्रशांत भूषण ने कहा कि गवाह पर हमला करने वाले लोगों ने यह कहकर धमकी दी कि अब भाजपा जीत गई है, वे उसका ख्याल रखेंगे. उन्होंने कहा कि अन्य सह-आरोपी भी आशीष मिश्रा को जमानत देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर जमानत की मांग कर रहे हैं. चीफ जस्टिस ( CJI) ने कहा कि वह उस पीठ का गठन करेंगे जिसने पहले मामले की सुनवाई की थी और इसे बुधवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

CJI, जस्टिस सूर्य कांत और हेमा कोहली की पीठ ने पहले उस घटना से संबंधित मामले की सुनवाई की थी जिसमें चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी और जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त किया था. 11 मार्च को शीर्ष अदालत ने मामले में मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका को मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की थी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी को मिश्रा को जमानत दे दी थी. मिश्रा चार महीने हिरासत में बिताए थे.

हिंसा में मारे गए किसानों के परिवार के तीन सदस्यों ने उच्च न्यायालय के 10 फरवरी के जमानत आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि यह फैसला कानून की नजर में टिकाऊ नहीं है क्योंकि राज्य की ओर से इस मामले में अदालत को कोई सार्थक और प्रभावी सहायता नहीं मिली है. हाल ही में अधिवक्ता शिव कुमार त्रिपाठी और सी एस पांडा ने आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग करते हुए एक और याचिका दायर की थी, जिनके पत्र पर शीर्ष अदालत ने घटना का स्वत: संज्ञान लिया था.

ये भी पढ़ें- Hijab Row: हिजाब इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं, याचिका खारिज

गौरतलब है कि किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ पिछले साल तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कथित तौर पर कुचल दिया. इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक को कथित तौर पर पीट-पीट कर मार डाला, जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई. किसान नेताओं ने दावा किया है कि उस वाहन में आशीष मिश्रा थे, जिसने प्रदर्शनकारियों को कुचला था। हालांकि, उन्होंने आरोपों को खारिज किया है.

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को जमानत दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन करेगा. लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी.

मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कुछ किसानों की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण के इस तर्क पर गौर किया कि मामले के मुख्य गवाहों में से एक पर हमला हुआ था. प्रशांत भूषण ने कहा कि गवाह पर हमला करने वाले लोगों ने यह कहकर धमकी दी कि अब भाजपा जीत गई है, वे उसका ख्याल रखेंगे. उन्होंने कहा कि अन्य सह-आरोपी भी आशीष मिश्रा को जमानत देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर जमानत की मांग कर रहे हैं. चीफ जस्टिस ( CJI) ने कहा कि वह उस पीठ का गठन करेंगे जिसने पहले मामले की सुनवाई की थी और इसे बुधवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

CJI, जस्टिस सूर्य कांत और हेमा कोहली की पीठ ने पहले उस घटना से संबंधित मामले की सुनवाई की थी जिसमें चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी और जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त किया था. 11 मार्च को शीर्ष अदालत ने मामले में मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका को मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की थी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी को मिश्रा को जमानत दे दी थी. मिश्रा चार महीने हिरासत में बिताए थे.

हिंसा में मारे गए किसानों के परिवार के तीन सदस्यों ने उच्च न्यायालय के 10 फरवरी के जमानत आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि यह फैसला कानून की नजर में टिकाऊ नहीं है क्योंकि राज्य की ओर से इस मामले में अदालत को कोई सार्थक और प्रभावी सहायता नहीं मिली है. हाल ही में अधिवक्ता शिव कुमार त्रिपाठी और सी एस पांडा ने आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग करते हुए एक और याचिका दायर की थी, जिनके पत्र पर शीर्ष अदालत ने घटना का स्वत: संज्ञान लिया था.

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गौरतलब है कि किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ पिछले साल तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कथित तौर पर कुचल दिया. इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक को कथित तौर पर पीट-पीट कर मार डाला, जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई. किसान नेताओं ने दावा किया है कि उस वाहन में आशीष मिश्रा थे, जिसने प्रदर्शनकारियों को कुचला था। हालांकि, उन्होंने आरोपों को खारिज किया है.

Last Updated : Mar 15, 2022, 1:54 PM IST
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