नई दिल्ली : श्रम एवं रोजगार मंत्रालय सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के तहत विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लाभ, सेवाएं या भुगतान प्राप्त करने के लिये पंजीकरण को लेकर कर्मचारियों और असंगठित क्षेत्रों के कामगारों जैसे लोगों से 12 अंकों वाली विशिष्ट पहचान संख्या यानी आधार की मांग कर सकेगा. हालांकि मंत्रालय के दायरे में आने वाली विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत सेवाओं की आपूर्ति के लिये आधार को अनिवार्य नहीं बनाया जाएगा, क्योंकि सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 को अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है.
संहिता के तहत नियमों को अंतिम रूप दे दिया गया है, लेकिन उसे अभी अधिसूचित नहीं किया गया है. मंत्रालय को मिले इस अधिकार का मकसद मुख्य रूप से प्रवासी मजदूर समेत असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों के आंकड़ा तैयार करने को सुगम बनाना है.
पढ़ें- प्रधान वैज्ञानिक ने किया आगाह, कोविड की तीसरी लहर के लिए तैयार रहना होगा
श्रम सचिव अपूर्व चंद्र ने कहा, अब हम सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत लाभार्थियों से आधार संख्या मांगना शुरू करेंगे. यह प्रवासी मजदूर समेत असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिये हमारे डाटाबेस के लिये जरूरी है. हालांकि, आधार उपलब्ध नहीं कराने पर विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की डिलिवरी में कोई कमी नहीं होगी.
इस संदर्भ में तीन मई को मंत्रालय ने अधिसूचना जारी किया. इसके तहत श्रम एवं रोजगार मंत्रालय तथा उसके अतंर्गत आने वाले निकाय विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत अपने डाटाबेस के लिए लाभार्थियों के आधार का विवरण प्राप्त करने में सक्षम होगा. संहिता को पिछले साल संसद ने पारित किया था.
अधिसूचना के अनुसार, आधार की प्रासंगिकता को कवर करने वाली सामाजिक सुरक्षा संहिता- 2020 की धारा 144 को अधिसूचित कर दिया है. यह प्रावधान तीन मई, 2021 से अमल में आ गया है.
पढ़ें- क्या गडकरी को मिलेगी स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी ?
इस धारा के तहत संहिता के अंतर्गत लाभ और सेवाएं लेने के लिये आधार के जरिये कर्मचारियों की पहचान की व्यवस्था की गयी है.
केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने बयान में कहा कि सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत इस धारा को प्रवासी मजदूरों सहित अन्य श्रमिकों के डाटाबेस को एकत्रित करने के लिए अधिसूचित किया गया है. आधार के अभाव में किसी भी मज़दूर को सरकारी लाभ से वंचित नहीं रखा जाएगा.