दार्जिलिंग: कर्सियांग से बीजेपी विधायक बिष्णु प्रसाद शर्मा ने एक बार फिर 'भूमिपुत्र' (Bhumiputra) मुद्दे को सामने ला दिया है. बीजेपी विधायक ने चेतावनी दी है कि अगर 2024 में दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी किसी बाहरी व्यक्ति को उम्मीदवार बनाती है तो वह खुद उस उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. उनकी इस टिप्पणी के बाद पश्चिम बंगाल के राजनीतिक गलियारों में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है.
गुरुवार को विधायक बिष्णु प्रसाद शर्मा ने कहा कि 'पच्चीस वर्षों से हम बाहरी लोगों को पहाड़ों से चुनाव जीतने में मदद कर रहे हैं... पहले कांग्रेस... फिर भाजपा. लेकिन पहाड़ी मुद्दों पर कोई काम नहीं कर रहा है. जीतने के बाद वे वादे भूल जाते हैं. दार्जिलिंग कोई फुटबॉल का मैदान नहीं है, जहां कोई भी आकर खेल सकता है और हम दर्शक बनकर देखते रहेंगे. अगर इस बार पहाड़ के मूल निवासी को चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया तो मैं उन्हें जिताने की पूरी कोशिश करूंगा. लेकिन अगर कोई बाहरी व्यक्ति दोबारा नामांकित होता है तो मैं उसके खिलाफ चुनाव लड़ूंगा.'
उन्होंने यह भी कहा, 'अगर कोई बाहर से आता है और यहां घर खरीदता है, तो वह माउंटेन मैन नहीं बन जाता. उसे पहाड़ों को जानना होगा, पहाड़वासियों की भावनाओं को समझना होगा.'
संयोग से, पहाड़ी क्षेत्र की दार्जिलिंग लोकसभा सीट पर 25 वर्षों से राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक दलों का कब्जा रहा है. कांग्रेस के यशवंत सिन्हा के बाद सुरिंदर सिंह अहलूवालिया, फिर राजू बिस्ता, वर्तमान में सांसद हैं.
लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही बिष्णु प्रसाद शर्मा के गुस्से ने भगवा खेमे को असहज कर दिया है. बांग्ला राजनीति में हिल्स चर्चा में सबसे ऊपर हैं. 2017 के गोरखालैंड आंदोलन के बाद भी बीजेपी यह सीट जीतने में कामयाब रही. जीएनएलएफ और मोर्चा ने बाहर से बीजेपी का समर्थन किया. लेकिन इस बार पहाड़ का समीकरण बिल्कुल अलग है. पहाड़वासियों के लिए अलग राज्य की मांग के साथ-साथ छठी अनुसूची राष्ट्र की मान्यता की भी मांग है.
इसके अलावा, स्थायी राजनीतिक समाधान की मांग भी लंबे समय से चली आ रही है. आश्वासन के बावजूद अभी तक मांग पूरी नहीं हुई है. अब देखना यह है कि लोकसभा चुनाव को लेकर क्या नए समीकरण बनते हैं.