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इस बार 50 साल पुराने रूप में दिखेगा अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव - दशहरा ढालपुर मैदान

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में दशहरा सबसे अलग और अनोखे अंदाज में मनाया जाता है. यहां इस त्योहार को दशमी कहते हैं. जब पूरे भारत में विजयादशमी की समाप्ति होती है. उस दिन से कुल्लू की घाटी में इस उत्सव का रंग और भी अधिक चढ़ने लगता है.

Kullu
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Published : Oct 15, 2021, 1:50 PM IST

कुल्लू : कुल्लू में सात दिनों तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय दशहरा पर्व का आगाज अधिष्ठाता देवता रघुनाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा से होगा. राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) बतौर मुख्य अतिथि अटल सदन में संध्या 7 बजे सात दिवसीय दशहरा उत्सव का शुभारंभ करेंगे.

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में दशहरा सबसे अलग और अनोखे अंदाज में मनाया जाता है. जब पूरे भारत में विजयादशमी की समाप्ति होती है. उस दिन से कुल्लू की घाटी में इस उत्सव का रंग और भी अधिक बढ़ने लगता है. अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव इस बार 50 साल पुराने रूप में नजर आएगा. इस बार दशहरा उत्सव में न तो व्यापारिक गतिविधियां होंगी और न ही सांस्कृतिक कार्यक्रम. सिर्फ देवता और उनके रथ ही ढालपुर मैदान की शोभा बढ़ाएंगे.

साल 1966 में दशहरा उत्सव को राज्य स्तरीय उत्सव का दर्जा दिया गया और 1970 को इस उत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्तर का दर्जा देने की घोषणा तो हुई, लेकिन मान्यता नहीं मिली. इसके बाद करीब 47 साल बाद यानी 2017 में इसे अंतरराष्ट्रीय उत्सव का दर्जा प्राप्त हुआ है. दशहरा उत्सव के दौरान राज परिवार प्राचीन परम्पराओं का निर्वाहन करता है. भगवान रघुनाथ की पूजा, हार-श्रृंगार, नरसिंह भगवान की जलेब के साथ लंका दहन की प्राचीन परम्परा भी निभाई जाती है.

दशहरा उत्सव के दौरान कानून- व्यवस्था बनाए रखने के लिए 500 पुलिस जवानों तथा 50 गृह रक्षकों की तैनाती की गई है. इसके अतिरिक्त किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए दो क्यूआरटी की टीमों की तैनाती की गई है.

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को मेला पुलिस अधिकारी नियुक्त किया गया है और ओवरऑल सुपरविजन का कार्य उनके जिम्मे होगा.

ये भी पढ़ें -Dussehra 2021: पीएम मोदी, शाह समेत दिग्गजों ने दी विजयादशमी की शुभकामनाएं

कुल्लू : कुल्लू में सात दिनों तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय दशहरा पर्व का आगाज अधिष्ठाता देवता रघुनाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा से होगा. राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) बतौर मुख्य अतिथि अटल सदन में संध्या 7 बजे सात दिवसीय दशहरा उत्सव का शुभारंभ करेंगे.

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में दशहरा सबसे अलग और अनोखे अंदाज में मनाया जाता है. जब पूरे भारत में विजयादशमी की समाप्ति होती है. उस दिन से कुल्लू की घाटी में इस उत्सव का रंग और भी अधिक बढ़ने लगता है. अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव इस बार 50 साल पुराने रूप में नजर आएगा. इस बार दशहरा उत्सव में न तो व्यापारिक गतिविधियां होंगी और न ही सांस्कृतिक कार्यक्रम. सिर्फ देवता और उनके रथ ही ढालपुर मैदान की शोभा बढ़ाएंगे.

साल 1966 में दशहरा उत्सव को राज्य स्तरीय उत्सव का दर्जा दिया गया और 1970 को इस उत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्तर का दर्जा देने की घोषणा तो हुई, लेकिन मान्यता नहीं मिली. इसके बाद करीब 47 साल बाद यानी 2017 में इसे अंतरराष्ट्रीय उत्सव का दर्जा प्राप्त हुआ है. दशहरा उत्सव के दौरान राज परिवार प्राचीन परम्पराओं का निर्वाहन करता है. भगवान रघुनाथ की पूजा, हार-श्रृंगार, नरसिंह भगवान की जलेब के साथ लंका दहन की प्राचीन परम्परा भी निभाई जाती है.

दशहरा उत्सव के दौरान कानून- व्यवस्था बनाए रखने के लिए 500 पुलिस जवानों तथा 50 गृह रक्षकों की तैनाती की गई है. इसके अतिरिक्त किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए दो क्यूआरटी की टीमों की तैनाती की गई है.

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को मेला पुलिस अधिकारी नियुक्त किया गया है और ओवरऑल सुपरविजन का कार्य उनके जिम्मे होगा.

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