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Dantewada Naxal attack :जानिए कौन थे शहीद हरिराम उर्फ राजू मंडावी - जानिए कौन थे शहीद हरिराम उर्फ राजू मंडावी

देश की निगाहें इस वक्त छत्तीसगढ़ पर टिकी हैं. क्योंकि बस्तर की माटी जवानों के खून से रंग गई है. नक्सलियों ने फिर से कायराना करतूत को अंजाम देते हुए आईईडी ब्लास्ट किया है. जिसमें बस्तर के 10 लाल शहीद हो गए हैं, जबकि एक वाहन चालक भी कुर्बान हो गया है.

HARIRAM MANDAVI
हरिराम उर्फ राजू मण्डावी
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Published : Apr 27, 2023, 7:21 PM IST

रायपुर : खास बात यह है कि शहादात देने वालों में एक ऐसा भी जवान है, जो एक समय में जवानों पर ही गोलियां दागा करता था. उनके नाम पर पांच लाख का इनाम भी था, लेकिन समय के फेर ने उसे ऐसा बदला कि उसने समाज की मुख्य धारा से जुड़ने का फैसला किया और लाल सलाम से नाता तोड़ कर खुद को पुलिस के हवाले कर लिया. उसके बाद डीआरजी में भर्ती होकर लाल आतंक के खिलाफ ही हथियार उठा लिया और शहादत देकर बस्तर की माटी के लिए कर्ज चुका दिया.

HARIRAM MANDAVI
हरिराम उर्फ राजू मण्डावी

कौन हैं शहीद जवान हरिराम : हम बात कर रहे हैं आईईडी ब्लास्ट में शहीद हुए जवान हरिराम उर्फ राजू मण्डावी की. राजू का जन्म दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण क्षेत्र के सूरनार गांव में एक जनवरी 1987 को हुआ था. उनके पिता का नाम बोटी, माता का नाम कोसी मण्डावी और पत्नी का नाम पायके मण्डावी है. इस शहीद जवान की एक बेटी और दो बेटे हैं. डीआरजी में भर्ती होने से पहले हरिराम नक्सली था. पेदारास एलओसी का सदस्य था. उनके खिलाफ दंतेवाड़ा पुलिस ने 5 लाख का इनाम भी घोषित किया था, लेकिन पांच साल पहले हरिराम ने खुद को आत्मसमर्पण कर समाज के मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला किया. उसके बाद एक अगस्त 2020 को डीआरजी में भर्ती हुआ. तब से लेकर शहादत तक हरिराम नक्सलियों से लोहा ले रहे थे.

ये भी पढ़ें- दंतेवाड़ा नक्सल अटैक का वीडियो वायरल, 10 जवान हुए हैं शहीद

बलिदान देकर चुकाया कर्ज : शहीद हरिराम आत्म समर्पित नक्सली थे. उन्होंने समर्पण से पहले सर्चिंग पर निकले जवानों पर कई दफे हमला किए थे, लेकिन अपने परिवार की वजह से उन्होंने खुद को समर्पण किया और मुख्य धारा में जुड़कर अपना जीवन व्यतित करना शुरू किया. इसके बाद डीआरजी में शामिल होकर उनके खिलाफ हथियार उठाए जिनके साथ मिलकर बस्तर की माटी को छलनी करते थे. उन्होंने कई मोर्चों पर नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है, लेकिन अब हरिराम ने बलिदान देकर अपना कर्ज चुकाया है.

रायपुर : खास बात यह है कि शहादात देने वालों में एक ऐसा भी जवान है, जो एक समय में जवानों पर ही गोलियां दागा करता था. उनके नाम पर पांच लाख का इनाम भी था, लेकिन समय के फेर ने उसे ऐसा बदला कि उसने समाज की मुख्य धारा से जुड़ने का फैसला किया और लाल सलाम से नाता तोड़ कर खुद को पुलिस के हवाले कर लिया. उसके बाद डीआरजी में भर्ती होकर लाल आतंक के खिलाफ ही हथियार उठा लिया और शहादत देकर बस्तर की माटी के लिए कर्ज चुका दिया.

HARIRAM MANDAVI
हरिराम उर्फ राजू मण्डावी

कौन हैं शहीद जवान हरिराम : हम बात कर रहे हैं आईईडी ब्लास्ट में शहीद हुए जवान हरिराम उर्फ राजू मण्डावी की. राजू का जन्म दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण क्षेत्र के सूरनार गांव में एक जनवरी 1987 को हुआ था. उनके पिता का नाम बोटी, माता का नाम कोसी मण्डावी और पत्नी का नाम पायके मण्डावी है. इस शहीद जवान की एक बेटी और दो बेटे हैं. डीआरजी में भर्ती होने से पहले हरिराम नक्सली था. पेदारास एलओसी का सदस्य था. उनके खिलाफ दंतेवाड़ा पुलिस ने 5 लाख का इनाम भी घोषित किया था, लेकिन पांच साल पहले हरिराम ने खुद को आत्मसमर्पण कर समाज के मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला किया. उसके बाद एक अगस्त 2020 को डीआरजी में भर्ती हुआ. तब से लेकर शहादत तक हरिराम नक्सलियों से लोहा ले रहे थे.

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बलिदान देकर चुकाया कर्ज : शहीद हरिराम आत्म समर्पित नक्सली थे. उन्होंने समर्पण से पहले सर्चिंग पर निकले जवानों पर कई दफे हमला किए थे, लेकिन अपने परिवार की वजह से उन्होंने खुद को समर्पण किया और मुख्य धारा में जुड़कर अपना जीवन व्यतित करना शुरू किया. इसके बाद डीआरजी में शामिल होकर उनके खिलाफ हथियार उठाए जिनके साथ मिलकर बस्तर की माटी को छलनी करते थे. उन्होंने कई मोर्चों पर नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है, लेकिन अब हरिराम ने बलिदान देकर अपना कर्ज चुकाया है.

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