देहरादून (उत्तराखंड): कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपने तीन दिवसीय केदारनाथ भ्रमण के बाद दिल्ली लौट चुके हैं. राहुल गांधी 5 नवंबर को केदारनाथ धाम पहुंचे थे और बाबा केदार की शरण में तीन दिन बिताने के बाद 7 नवंबर को दोपहर तक दिल्ली लौट गए. उसी दिन भाजपा के पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी भी केदारनाथ धाम सपरिवार पहुंचे. इस बीच चर्चाएं जोरों पर है कि दोनों चचेरे भाईयों के बीच बंद कमरे में लगभग 4 मिनट तक बातचीत हुई. लेकिन अब इस मुलाकात और बातचीत की पूरी हकीकत सामने आ गई है.
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राम और भारत मिलाप हो चुका है
— Garima Mehra Dasauni (@garimadasauni) November 8, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
दो भाई @RahulGandhi और @varungandhi80 एक मुट्ठी बनेंगे
नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलेंगे और शुरुआत घर से होगी
जय कांग्रेस pic.twitter.com/wr6zOYX2kM
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— Garima Mehra Dasauni (@garimadasauni) November 8, 2023
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नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलेंगे और शुरुआत घर से होगी
जय कांग्रेस pic.twitter.com/wr6zOYX2kMराम और भारत मिलाप हो चुका है
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दोनों भाइयों ने जाना हालचाल: 7 नंबर को राहुल गांधी केदारनाथ धाम से दिल्ली के लिए रवाना हो रहे थे, ठीक उसी वक्त केदारनाथ हेलीपैड पर सांसद वरुण गांधी अपनी पत्नी यामिनी और बेटी अनुसूइया के साथ पहुंचे. बताया जा रहा है कि इस दौरान दोनों भाई एक-दूसरे से मिले और हाल चाल पूछा. राहुल गांधी ने वरुण की पत्नी यामिनी और बेटी अनुसूइया से भी उनका हाल चाल जाना. राहुल गांधी ने अनुसूइया से सिर पर हाथ भी फेरा और आशीर्वाद भी दिया.
संयोगवश थी मुलाकात: केदारनाथ में संयोगवश हुई दोनों भाइयों की मुलाकात लगभग 1 से 2 मिनट की हुई. वहां मौजूद मंदिर समिति के ही एक पदाधिकारी बताते हैं कि यह मुलाकात कोई राजनीतिक मुलाकात नहीं रही. जिस तरह से मायने निकाले जा रहे हैं कि बंद कमरे में मुलाकात हुई. ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. आप ऐसा कह सकते हैं कि संयोगवश दोनों की मुलाकात हुई. दोनों नेताओं के बीच इतना जरूर हुआ कि दोनों ने हंसकर एक-दूसरे की बात का जवाब दिया.
हालांकि, लंबे समय से यह चर्चाएं तेजी से पनप रही थी कि वरुण गांधी भाजपा में रहकर अपनी ही पार्टी के खिलाफ इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि आने वाले समय में वे कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं. लेकिन हमेशा से ही वरुण गांधी इस बात को सिरे से खारिज करते आए हैं और हमेशा से अपने आप को भाजपा का ही सिपाही बताते आए हैं.
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