जयपुर: राजस्थान की गहलोत सरकार फरवरी के दूसरे सप्ताह में वर्ष 2021-22 का बजट पेश करने जा रही है. कोरोना काल के बीच आ रहे इस बजट से क्या आम क्या-खास सभी को खासा उम्मीदें हैं. खासकर कर्मचारी वर्ग को, जिसने कोरोना संक्रमण में ना केवल फ्रंट में रहते हुए काम किया, बल्कि सरकार का साथ देने के लिए वेतन कटौती तक भी सामना किया. अब जब हालात सामान्य होने लगे हैं, तो इन कर्मचारी को सरकार से बहुत सी उम्मीदें हैं. जानिए इस खास रिपोर्ट में...
राजस्थान सरकार और कर्मचारियों के बीच कमोबेश टकराव की स्थति रही है. अपने पहले शासन में सख्त रहे अशोक गहलोत अपने दूसरे और तीसरे कार्यकाल में कर्मचारियों पर जम कर मेहरबान रहे. लेकिन, कर्मचारी है कि सरकार से खुश होने को तैयार नहीं है. यही वजह है कि समय-समय पर कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद करता रहा. अब एक बार फिर कर्मचारियों ने सरकार के सामने आस जगाई है.
क्या इस बार आस होगी पूरी...
कोरोना काल में राजस्थान सरकार का बजट 2021 के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले प्रदेश के आठ लाख कर्मचारी सरकार के सामने वर्ष 2021-22 के बजट में उम्मीद लिए खड़े हैं. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री तेज सिंह राठौड़ बताते हैं कि कोरोना संकट में सरकार के साथ साथ कंन्धे से कंधा मिला कर चलने वाला कर्मचारी इस बजट से खास उम्मीद लेकर चल रहा है. कर्मचारियों को आस है कि गहलोत सरकार 2017 की वेतन कटौती वापस लेने, स्थगित वेतन देने, सरेंडर लीव पर रोक हटाने, 7वें वेतन आयोग से वंचित विभागों को लाभ देने, संविदाकर्मियों को स्थायी करने सहित संघ की मांगों की घोषणा करेंगे.
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क्या हैं उम्मीदें...
कोरोना के वक्त फ्रंट वॉरियर्स के रूप में काम करने वाले नर्सिंग संघ भी सरकार से उम्मीद कर रहा है. खासकर महिला नर्सिंग कर्मचारी, राजस्थान नर्सेज वुमन वेल्फेर संघ की प्रदेश अध्यक्ष विनीता शेखावत ने कहा कि प्रदेश की हजारों नर्सिंग महिला कर्मचारी गहलोत सरकार के बजट से विशेष उम्मीद लगाये बैठी है. सीएम गहलोत हमेशा से ही कर्मचारी हितेषी रहे हैं. खासकर महिला सशक्तिकरण की बात करते है, ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि प्रदेश नर्सिंग महिलाओं के लिए एक आवासीय निदेशालय बनाये, ताकि दूर दराज जिलों से स्वास्थ्य भवन काम से आने वाली नर्सिंग महिलाओं के ठहरने की व्यवस्था हो सके. एकल महिला को जब जयपुर में रुकना और पढ़ता होता है, तो उसे होटल में जाना पड़ता है. जिससे वह असुरक्षित रहती है. इसके साथ ही सभी बड़े अस्पतालों में क्रेच खोलने की मांग भी रखी. विनीता ने कहा कि नर्सिंग स्टाफ में 80 फीसदी फीमेल है. ऐसे में नर्सिंग स्टाफ अपने छोटे बच्चे की केयर को लेकर परेशान रहती है. अगर सभी अस्पतालों मे क्रेच की व्यवस्था होगी, तो वह अपने बच्चे को समय-समय पर अपना दूध पिला पाएगी. इसके साथ, उन्होंने सीएम गहलोत से पदनाम का तोहफा देने की भी मांग की.
इंडियन पब्लिक सर्विस एम्पलाइज फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष विजय ने कहा कि गहलोत सरकार कर्मचारियों की वेतन कटौती, रोक गया वेतन, समय बद्द पदोन्नति का नियम लागू किया जाए, सामंत कमेटी लागू की जाए. बहरहाल, कर्मचारी हमेशा सरकार के सामने अपनी मागों को लेकर आंदोलन की चेतावनी देते रहते है. लेकिन, कोरोना काल मे कर्मचारियों ने केवल अपनी पर चुप्पी साधी, बल्कि वेतन कटौती को स्वीकार कर सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाया. लेकिन, अब कोरोना के बीच आ रहे बजट से कर्मचारी उम्मीद लगाये बैठे हैं. ऐसे में देखना होगा कि क्या गहलोत सरकार के पिटारे से कर्मचारियों को कितनी राहत मिलती है.