नई दिल्ली : करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को और भी मजबूत करता है. इस तरह के रीति रिवाज सभी के रिश्तों में मिठास घोलते हैं. करवा चौथ पर पत्नी अपने पति के लिए निर्जला उपवास करती है और रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलती है. जैसे कि हर त्योहार के मौके पर लोग वॉट्सएप मैसेज, वॉट्सएप स्टेटस, फेसबुक मैसेंजर, फेसबुक आदि के माध्यम से अपनों को शुभकामना संदेश भेजते हैं, वैसे ही एक फौजी की पत्नी अपने पति को वॉट्सएप के माध्यम से देखकर व्रत खोलती है.
हर फौजियों की पत्नी का कहना है कि हमें याद रखना पड़ता है कि हमारे पति ने हमसे पहले फौज से शादी की है.
एक सैनिक का सबसे पहला धर्म और कर्तव्य होता है देश सेवा और देश के लिए समर्पण. परिवार उनके लिए दूसरे नंबर पर आता है.
वीडियो कॉलिंग में करवा चौथ
फौजियों की पत्नी करवा चौथ में वीडियो कॉलिंग कर उपवास खोल लेती है. बता दें, पहले तो ये साधन भी नहीं थे. उन्हें फौजी पति को सुरक्षित देखकर खुशी मिल जाती है. क्योंकि फौज में यह भी कहा जाता है कि यदि कोई खबर नहीं है तो सब अच्छा है.
शादी के बाद ही करवा चौथ मनाया अकेले
फौजी की पत्नियों को अकेले ही करवा चौथ मनाना पड़ता है. फौजियों को एक्सरसाइज के लिए बाहर भेज दिया जाता है. ऐसे में फौजी की पत्नियों को अकेले ही करवा चौथ मनाना पड़ता है. कई-कई समय वीडियो कॉल तो दूर फोन पर बात करना भी मुश्किल होता है, तो पत्नी तस्वीर देखकर भी व्रत खोल लेती थी. पत्नियों को बहुत दुख होता है, लेकिन फिर समझ में आता है कि फौज में रहना शायद इसी को कहते हैं. पहले देश फिर कोई और बात.
करवा चौथ पूजन का समय
पंडित अरुणेश शर्मा ने बताया कि करवा चौथ का व्रत कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इस व्रत में शिव परिवार सहित चंद्र देवता की पूजा की जाती है. करवा चौथ का व्रत सुहागन महिलाओं के लिए काफी खास होता है. इस दिन का महिलाएं बेसब्री से इंतजार करती हैं. इस व्रत को रखने के पीछे महिलाओं का मकसद पति की लंबी उम्र की कामना होती है. करवा चौथ के इस व्रत को चंद्रोदय के बाद तोड़ा जाता है. मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ती होती है. करवा चौथ के व्रत के लिए पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 30 मिनट से शाम 7 बजे तक रहेगा. इसके बाद रात 8 बजकर 11 मिनट में चंद्रमा के दर्शन करने के बाद महिलाएं करवा चौथ का यह व्रत तोड़ती हैं.
करवा चौथ व्रत कथा
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक एक साहूकार के सात बेटे थे और उसकी करवा नाम की एक बेटी थी. एक बार करवा चौथ के दिन साहूकार के परिवार में व्रत रखा गया. रात को जब सब भोजन करने लगे, तो करवा के भाइयों ने उसे भी भोजन करने के लिए कहा, लेकिन उसने मना कर दिया. उसने कहा कि वह चांद को अर्घ्य देकर ही भोजन करेगी. सुबह से भूखी प्यासी बहन की हालत भाइयों से देखी नहीं जा रही थी. इस कारण सबसे छोटा भाई दूर एक पीपल के पेड़ पर एक दीप प्रज्वलित कर आया और अपनी बहन से बोला व्रत तोड़ लो, चांद निकल आया. बहन करवा अपने भाई की चतुराई को समझ नहीं पाई और उसने खाने का निवाला मुंह में रख लिया. जैसे ही उसने निवाला खाया उसके पति की मृत्यु की सूचना मिली. दुख के कारण वह अपने पति के शव को लेकर एक साल तक बैठी रही. शव के ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही. अगले साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी फिर से आने पर उसने पूरे विधि विधान से करवा चौथ का व्रत किया. जिसके फलस्वरूप उसका पति जीवित हो उठा. तभी से हर सुहागन महिला करवा चौथ का व्रत पूरे नियम के साथ रखती आ रही हैं.