नई दिल्ली: ऐसे समय में जब भारत में सुरक्षा बलों ने इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की है, एक खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कुकी-चिन नेशनल फ्रंट (KNF) बांग्लादेश स्थित जमात उल अंसार फिल नाम के इस्लामिक आतंकवादी संगठन को प्रशिक्षण और सहायता दे रहा है (KNF training). हिंडाल शरकिया को आमतौर पर शरकिया समूह के नाम से जाना जाता है.
ईटीवी भारत द्वारा देखी गई खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्लामिक आतंकवादी सदस्यों को इस तरह का प्रशिक्षण बांग्लादेश के चटगांव हिल ट्रैक्ट्स (सीएचटी) में प्रदान किया जाता है. बॉम पार्टी के नाम से भी जाने जानी वाली केएनएफ की स्थापना 2017 में बांग्लादेश के भीतर एक अलग राज्य बनाने के उद्देश्य से की गई थी. हालांकि, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने दावा किया कि समूह को बांग्लादेश सेना द्वारा सीएचटी की 11 स्वदेशी जनजातियों के बीच विभाजन बनाने के लिए खड़ा किया गया था, जिन्हें सामूहिक रूप से जुम्मा कहा जाता है.
भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इस संवाददाता को बताया कि 'ऐसी रिपोर्ट भारत की सुरक्षा के लिहाज से बेहद गंभीर है. हम पहले से ही कई इस्लामिक आतंकवादी संगठनों के खिलाफ लड़ रहे हैं. और अगर शरकिया समूह भारत में अपनी गतिविधियां शुरू करता है, तो यह हमारे लिए एक बड़ी सुरक्षा चुनौती हो सकती है.'
रिपोर्ट के अनुसार, केएनएफ ने प्रति माह 3 लाख बांग्लादेशी टका के अनुबंध और भोजन के खर्च के लिए शरकिया समूह के सदस्यों को आश्रय और प्रशिक्षण प्रदान करना शुरू किया.
गौरतलब है कि शरकिया समूह की गतिविधियां तब प्रकाश में आईं जब बांग्लादेश की रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) ने पिछले साल कोमिला से सात युवकों के लापता होने की जांच शुरू की. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, केएनएफ के अध्यक्ष नाथन बॉम और शरकिया समूह के कई शीर्ष नेता भारत, बांग्लादेश और म्यांमार (मिजोरम के पास) को जोड़ने वाले इलाकों में छिपे हुए हैं.
शरकिया समूह को पाकिस्तान स्थित भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (एक्यूआईएस) और हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी (हूजी) की बांग्लादेश इकाई का समर्थन प्राप्त है. शरकिया समूहों पर खुफिया रिपोर्ट मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष की पृष्ठभूमि में आई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, बावम समुदाय (Bawm community) के कई लोग हाल ही में सीएचटी में अपने स्थान से भागकर मिजोरम चले गए हैं. बावम्स अपनी वंशावली को बड़े चिन-कुकी जातीय समूह से जोड़ते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक 'नवीनतम आमद इस बात का संकेत है कि बांग्लादेश सरकार और कुकी-चिन नेशनल फ्रंट के बीच चल रही शांति वार्ता, जिसके कारण इस साल जून में युद्धविराम हुआ था, सकारात्मक परिणाम नहीं दे पाई और बांग्लादेशी सेना ने कुकी चिन के खिलाफ विशेष अभियान फिर से शुरू कर दिया है. राष्ट्रीय सेना (KNA), KNF की सशस्त्र शाखा है.'
पिछले साल बांग्लादेश सेना ने केएनएफ के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की, जिसके परिणामस्वरूप हजारों बावम ग्रामीणों का विस्थापन हुआ. हाल ही में, पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम बांग्लादेश के बावम समुदाय के लिए आश्रय लेने का स्थान बन गया है.
दरअसल, मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा ने खुले तौर पर चिन-कुकी जातीय समूह को अपना समर्थन दिया है, जो कथित तौर पर मणिपुर में कुकी और मैतेई के बीच चल रहे जातीय संघर्ष में शामिल थे. रिपोर्ट में कहा गया है, '23 अगस्त को, पांच महिलाओं और पांच बच्चों सहित कम से कम 16 लोग बांग्लादेश के चटगांव डिवीजन के रुमाना गांव में अपना घर छोड़कर मिजोरम पहुंचे.' हालांकि, शरणार्थियों के भेष में KNF और KNA उग्रवादियों की घुसपैठ ने स्थिति को और खराब कर दिया है.
हालांकि, शरणार्थियों के भेष में KNF और KNA उग्रवादियों की घुसपैठ ने स्थिति को और खराब कर दिया है. 26 जून को दक्षिण मिजोरम के लॉन्ग्टलाई जिले के चामदुर 'पी' गांव के पास घने जंगल में एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोट के बाद, सुरक्षा एजेंसियों को मिजोरम के वन क्षेत्र में आतंकवादी संगठनों के प्रशिक्षण अड्डे की मौजूदगी का संदेह है.