त्रिशूर: केरल धान किसानों को रॉयल्टी प्रदान करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है, क्योंकि राज्य सरकार ने गुरुवार को राज्य में धान के खेतों के लिए एक रॉयल्टी की घोषणा की है. धान की खेती को संरक्षित करने और बनाए रखने के लिए रॉयल्टी देने का फैसला लिया गया है. इसके पीछे का कारण यह भी बताया जा रहा है कि यहां के किसान धान के खेतों का इस्तेमाल किसी और चीज के लिए न कर सकें और धान की खेती को बढ़ावा दें.
फसलों का आधार मूल्य तय करने की योजना
केरल में धान किसानों को रॉयल्टी देने के बाद सरकार कृषि उपज का आधार मूल्य तय करने की एक और फायदेमंद योजना लेकर आ रही है. खेत मालिकों को प्रति हेक्टेयर 2000 रुपये की वार्षिक रॉयल्टी प्रदान की जाएगी. योजना का शुभारंभ केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने आधिकारिक रूप से गुरुवार को त्रिशूर में किया.
केरल सरकार के कार्यक्रम के तहत धान के खेतों को संरक्षित करने वाले खेत मालिकों को धान की खेती के लिए खेत तैयार करने और किसी अन्य उपयोग के लिए भूमि को बदले बिना धान के खेतों को बनाए रखने की अनुमति दी जाएगी.
यह हैं नियम
जिस भूमि पर धान की खेती की जा रही है, उसके मालिक भी योजना से लाभान्वित होने के पात्र हैं. इसके अलावा धान के खेत जिसमें दलहन, सब्जियों, तिल, मूंगफली और ऐसी फसलों की खेती की जाती है, जो धान के बुनियादी ढांचे में बदलाव किए बिना राज्य की रॉयल्टी के लिए पात्र हैं.
जिन जमीन मालिकों ने अपने धान के खेत बंजर छोड़ दिए हैं, वे अपनी जमीन का इस्तेमाल एजेंटों के जरिए धान की खेती के लिए कर सकते हैं या खुद रॉयल्टी के योग्य हो सकते हैं. यदि किसी कृषि भूमि को तीन साल से लगातार बंजर छोड़ दिया गया है तो मालिक रॉयल्टी के लिए पात्र नहीं होंगे. इसके बाद, जब खेती को पुनर्जीवित किया जाता है, तो मालिक रॉयल्टी के लिए फिर से आवेदन कर सकता है.
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करना होगा ऑनलाइन आवेदन
राज्य के किसानों को धान की रॉयल्टी के लिए www.aims.kerala.gov.in पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. किसान आवेदन जमा करने के लिए अपनी व्यक्तिगत लॉग-इन आईडी का उपयोग करके या अक्षय केंद्र के माध्यम से व्यक्तियों के रूप में लॉग-इन कर सकते हैं.