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गैर हिंदू नृत्यांगना को कुडलमाणिक्यम मंदिर में नृत्य की अनुमति देने से इंकार

एक नास्तिक नृत्यांगना को सोमवार को यह कहकर विख्यात कुडलमाणिक्यम मंदिर में नृत्य करने की इजाजत नहीं दी गई कि वह एक गैर हिंदू है. यह मंदिर इरिंजालकुडा के पास स्थित है, जहां आगामी समारोह के लिए नृत्यांगना को नृत्य करना था.

गैर हिंदू नृत्यांगना को कुडलमाणिक्यम मंदिर में नृत्य की अनुमति देने से इंकार
गैर हिंदू नृत्यांगना को कुडलमाणिक्यम मंदिर में नृत्य की अनुमति देने से इंकार
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Published : Mar 29, 2022, 10:57 PM IST

त्रिशूर: एक नास्तिक नृत्यांगना को सोमवार को यह कहकर विख्यात कुडलमाणिक्यम मंदिर में नृत्य करने की इजाजत नहीं दी गई कि वह एक गैर हिंदू है. यह मंदिर इरिंजालकुडा के पास स्थित है, जहां आगामी समारोह के लिए नृत्यांगना को नृत्य करना था. भरतनाट्यम नृत्यांगना मानसिया वीपी ने शास्त्रीय नृत्य में पीएचडी किया है. उन्होंने फेसबुक पर सोमवार को कहा कि मंदिर के अधिकारियों ने उन्हें नृत्य नहीं करने दिया, जबकि कार्यक्रम से संबंधित नोटिस में उनका नाम शामिल था.

मंदिर के अधिकारियों ने दावा किया कि उन्हें मंजूरी नहीं दी गई, क्योंकि मंदिर की परंपरा के अनुसार गैर हिंदू को परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं है. मानसिया का जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ है. लेकिन उनकी शादी एक हिन्दु लड़के से हुई. उन्हें मंदिर की ओर से आयोजित नृत्य और संगीत के 10 दिवसीय राष्ट्रीय समारोह में भाग लेना था, जिसके लिए वह मंदिर में नृत्य पेश करने गई थी. समारोह का आयोजन 15 अप्रैल से 25 अप्रैल तक होगा जिसमें करीब 800 कलाकारों के हिस्सा लेने की संभावना है. कुडलमाणिक्यम देवस्वओम के चेयरमैन प्रदीप मेनन ने कहा कि मंदिर की परंपरा के अनुसार यह फैसला लिया गया. मेनन ने कहा कि हम उनकी बहुत इज्जत करते हैं, वह एक महान कलाकार हैं, लेकिन हमें मंदिर की परंपरा का पालन करना है.

पढ़ें: 2 अप्रैल से हिंदू नव संवत्सर की शुरुआत, राजा होंगे शनि तो बृहस्पति मंत्री, देखिए इस वर्ष क्या होगा कहां...

नृत्यांगना को मंदिर में नृत्य की अनुमति नहीं मिलने पर थरूर ने बोले, कला पर धर्म हावी हुआ : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने मंगलवार को इस विष पर कहा कि कला का कोई धर्म या जाति नहीं होती, लेकिन इस मामले में धर्म कला पर हावी हो गया. थरूर ने से कहा कि कला का कोई धर्म या जाति नहीं होती, लेकिन यहां धर्म कला पर हावी हो गया. उन्होंने कहा कि दूसरे धर्मों के मानने वाले अन्य लोगों को अपने धर्म का सम्मान करने के लिए अपनी ओर खींचते हैं तथा मस्जिदों, गिरजाघरों और गुरुद्वारों के दरवाजे खोलते हैं.

लोकसभा सदस्य ने कहा कि तिरुवनंतपुरम के जन प्रतिनिधि के तौर पर मैं सेंट जोसेफ गिरजाघर में ‘किसमस ईव मास’ में शामिल हुआ, जुमा मस्जिद में ईद मनायी और ईसाई धर्म के हर पंथ के पवित्र स्थलों पर गया. थरूर ने केरल के इस मामले का हवाला देते हुए कहा कि यह वसुधैव कुटुम्बकम और सर्वधर्म सम्भाव का धर्म नहीं है. ये नियम ‘छोटी सोच’ के लोगों ने बनाया है जिनमें उनके पूर्वाग्रह दिखाई देते हैं.

त्रिशूर: एक नास्तिक नृत्यांगना को सोमवार को यह कहकर विख्यात कुडलमाणिक्यम मंदिर में नृत्य करने की इजाजत नहीं दी गई कि वह एक गैर हिंदू है. यह मंदिर इरिंजालकुडा के पास स्थित है, जहां आगामी समारोह के लिए नृत्यांगना को नृत्य करना था. भरतनाट्यम नृत्यांगना मानसिया वीपी ने शास्त्रीय नृत्य में पीएचडी किया है. उन्होंने फेसबुक पर सोमवार को कहा कि मंदिर के अधिकारियों ने उन्हें नृत्य नहीं करने दिया, जबकि कार्यक्रम से संबंधित नोटिस में उनका नाम शामिल था.

मंदिर के अधिकारियों ने दावा किया कि उन्हें मंजूरी नहीं दी गई, क्योंकि मंदिर की परंपरा के अनुसार गैर हिंदू को परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं है. मानसिया का जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ है. लेकिन उनकी शादी एक हिन्दु लड़के से हुई. उन्हें मंदिर की ओर से आयोजित नृत्य और संगीत के 10 दिवसीय राष्ट्रीय समारोह में भाग लेना था, जिसके लिए वह मंदिर में नृत्य पेश करने गई थी. समारोह का आयोजन 15 अप्रैल से 25 अप्रैल तक होगा जिसमें करीब 800 कलाकारों के हिस्सा लेने की संभावना है. कुडलमाणिक्यम देवस्वओम के चेयरमैन प्रदीप मेनन ने कहा कि मंदिर की परंपरा के अनुसार यह फैसला लिया गया. मेनन ने कहा कि हम उनकी बहुत इज्जत करते हैं, वह एक महान कलाकार हैं, लेकिन हमें मंदिर की परंपरा का पालन करना है.

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नृत्यांगना को मंदिर में नृत्य की अनुमति नहीं मिलने पर थरूर ने बोले, कला पर धर्म हावी हुआ : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने मंगलवार को इस विष पर कहा कि कला का कोई धर्म या जाति नहीं होती, लेकिन इस मामले में धर्म कला पर हावी हो गया. थरूर ने से कहा कि कला का कोई धर्म या जाति नहीं होती, लेकिन यहां धर्म कला पर हावी हो गया. उन्होंने कहा कि दूसरे धर्मों के मानने वाले अन्य लोगों को अपने धर्म का सम्मान करने के लिए अपनी ओर खींचते हैं तथा मस्जिदों, गिरजाघरों और गुरुद्वारों के दरवाजे खोलते हैं.

लोकसभा सदस्य ने कहा कि तिरुवनंतपुरम के जन प्रतिनिधि के तौर पर मैं सेंट जोसेफ गिरजाघर में ‘किसमस ईव मास’ में शामिल हुआ, जुमा मस्जिद में ईद मनायी और ईसाई धर्म के हर पंथ के पवित्र स्थलों पर गया. थरूर ने केरल के इस मामले का हवाला देते हुए कहा कि यह वसुधैव कुटुम्बकम और सर्वधर्म सम्भाव का धर्म नहीं है. ये नियम ‘छोटी सोच’ के लोगों ने बनाया है जिनमें उनके पूर्वाग्रह दिखाई देते हैं.

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