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Kerala Nun Rape case: बिशप फ्रैंको मुलक्कल के बरी होने के खिलाफ HC में अपील की तैयारी - नन बलात्कार मामला

कानूनी सलाह यह है कि निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील के साथ उच्च न्यायालय जाने के लिए पर्याप्त सामग्री है.

Kerala Nun Rape case
बिशप फ्रैंको मुलक्कल
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Published : Jan 22, 2022, 11:04 PM IST

कोट्टायम : केरल के नन बलात्कार (Kerala Nun Rape case) मामले में बिशप फ्रैंको मुलक्कल को बरी करने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अभियोजन पक्ष अपील कर सकता है. अभियोजक जितेश बाबू ने शनिवार को कोट्टायम जिले के एसपी डी शिल्पा को इस संबंध में कानूनी सलाह दी है. कानूनी सलाह यह है कि निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील के साथ उच्च न्यायालय जाने के लिए पर्याप्त सामग्री है.

निचली अदालत के आदेश में बलात्कार पीड़िता द्वारा दिए गए बयानों को ध्यान में नहीं रखा गया था और ना ही अभियोजन पक्ष के गवाहों को उचित महत्व मिला था. अभियोजन 60 दिनों के भीतर फैसले के खिलाफ अपील कर सकता है. इससे पहले सिस्टर पिछले शुक्रवार को सिस्टर अनुपमा ने कहा कि वह पीड़िता के न्याय के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं. भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी एस. हरिशंकर ने कहा कि फैसला स्वीकार्य नहीं है और इसके खिलाफ अपील की जानी चाहिए. हरिशंकर ने बिशप के खिलाफ रेप मामले में विशेष जांच दल का नेतृत्व किया था.

पढ़ेंः नन बलात्कार मामले में कैथोलिक बिशप फ्रैंको मुलक्कल बरी

नन ने जून 2018 में पुलिस को दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि 2014 से 2016 के बीच मुलक्कल ने उनका यौन शोषण किया था. वह तब रोमन कैथोलिक चर्च के जालंधर डायोसिस के बिशप थे. कोट्टायम जिले की पुलिस ने जून 2018 में ही बिशप के खिलाफ रेप का मामला दर्ज किया था.

मामले की तहकीकात करने वाले विशेष जांच दल ने बिशप को सितंबर 2018 में गिरफ्तार किया था और उन पर बंधक बनाने, रेप करने, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और आपराधिक धमकी देने के आरोप लगाये थे. मामले में नवंबर 2019 में सुनवाई शुरू हुई, जो 10 जनवरी को पूरी हुई थी. अदालत ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर उसकी अनुमति के बिना मुकदमे से संबंधित किसी भी सामग्री को प्रकाशित/प्रसारित करने से रोक लगा दी थी.

कोट्टायम : केरल के नन बलात्कार (Kerala Nun Rape case) मामले में बिशप फ्रैंको मुलक्कल को बरी करने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अभियोजन पक्ष अपील कर सकता है. अभियोजक जितेश बाबू ने शनिवार को कोट्टायम जिले के एसपी डी शिल्पा को इस संबंध में कानूनी सलाह दी है. कानूनी सलाह यह है कि निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील के साथ उच्च न्यायालय जाने के लिए पर्याप्त सामग्री है.

निचली अदालत के आदेश में बलात्कार पीड़िता द्वारा दिए गए बयानों को ध्यान में नहीं रखा गया था और ना ही अभियोजन पक्ष के गवाहों को उचित महत्व मिला था. अभियोजन 60 दिनों के भीतर फैसले के खिलाफ अपील कर सकता है. इससे पहले सिस्टर पिछले शुक्रवार को सिस्टर अनुपमा ने कहा कि वह पीड़िता के न्याय के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं. भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी एस. हरिशंकर ने कहा कि फैसला स्वीकार्य नहीं है और इसके खिलाफ अपील की जानी चाहिए. हरिशंकर ने बिशप के खिलाफ रेप मामले में विशेष जांच दल का नेतृत्व किया था.

पढ़ेंः नन बलात्कार मामले में कैथोलिक बिशप फ्रैंको मुलक्कल बरी

नन ने जून 2018 में पुलिस को दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि 2014 से 2016 के बीच मुलक्कल ने उनका यौन शोषण किया था. वह तब रोमन कैथोलिक चर्च के जालंधर डायोसिस के बिशप थे. कोट्टायम जिले की पुलिस ने जून 2018 में ही बिशप के खिलाफ रेप का मामला दर्ज किया था.

मामले की तहकीकात करने वाले विशेष जांच दल ने बिशप को सितंबर 2018 में गिरफ्तार किया था और उन पर बंधक बनाने, रेप करने, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और आपराधिक धमकी देने के आरोप लगाये थे. मामले में नवंबर 2019 में सुनवाई शुरू हुई, जो 10 जनवरी को पूरी हुई थी. अदालत ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर उसकी अनुमति के बिना मुकदमे से संबंधित किसी भी सामग्री को प्रकाशित/प्रसारित करने से रोक लगा दी थी.

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