तिरुवनंतपुरम : केरल में पिछले दिनों एक मरीज द्वारा एक डॉक्टर की हत्या किए जाने के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों और मेडिकल छात्रों की सुरक्षा से जुड़े एक अध्यादेश को बुधवार को मंजूरी दे दी, जिसके तहत स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कार्यरत लोगों के खिलाफ हिंसा करने वालों के खिलाफ अधिकतम सात साल की सजा और पांच लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है. इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज (Health Minister Veena George) ने कहा कि जब वह इसे लाएंगे तो इस बात का ध्यान रखेंगे कि कानून का दुरुपयोग न हो. उन्होंने कहा कि कानून में जो छूट गया है, उस पर विचार किया जाएगा. वहीं विधानसभा में विधेयक के रूप में अध्यादेश पेश किए जाने पर विस्तृत चर्चा होगी. मंत्री ने कहा कि अगर कुछ छूट गया है तो उस पर विस्तार से चर्चा कर शामिल किया जाएगा.
बता दें कि राज्य के कोल्लम जिले में तालुक अस्पताल में पिछले सप्ताह चिकित्सक वंदना दास की एक मरीज द्वारा सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले ब्लेड से हमला कर कर दी गई थी. सरकार की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Kerala Chief Minister Pinarayi Vijayan) की अध्यक्षता में आज मंत्रिमंडल की बैठक में 'केरल स्वास्थ्य देखभाल सेवा कार्यकर्ता तथा स्वास्थ्य देखभाल सेवा संस्थान (हिंसा व संपत्ति को नुकसान की रोकथाम) संशोधन अध्यादेश 2012' को मंजूरी दी गई.
बयान के अनुसार, अध्यादेश के तहत किसी भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता या पेशेवर को गंभीर शारीरिक नुकसान पहुंचाने के दोषी व्यक्ति को एक साल से सात साल तक के कारावास की सजा दी जाएगी और उस पर एक लाख रुपये से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा. यदि कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्य कर्मियों या स्वास्थ्य संस्थानों में काम करने वालों के खिलाफ हिंसा करता है या इसकी कोशिश करता है या ऐसा करने के लिए उकसाता है तो उसे कम से कम छह महीने से पांच साल तक की कैद की सजा तथा 50,000 रुपये से दो लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा.
संशोधन से पहले तक केरल हेल्थकेयर सर्विस वर्कर्स एंड हेल्थकेयर सर्विस इंस्टीट्यूशंस (हिंसा व संपत्ति को नुकसान की रोकथाम) अधिनियम 2012 के तहत, स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों के खिलाफ हिंसा के किसी भी कृत्य या किसी चिकित्सकीय संस्थान की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए अधिकतम तीन साल की कैद और 50,000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान था. बयान के अनुसार, मौजूदा असंशोधित कानून में पंजीकृत तथा अनंतिम (प्रोविजनल) रूप से पंजीकृत चिकित्सक, पंजीकृत नर्स, मेडिकल छात्र, नर्सिंग छात्र और स्वास्थ्य संस्थानों में कार्यरत पैरामेडिकल कर्मी शामिल हैं. अध्यादेश के तहत पैरामेडिकल छात्रों को भी कानून के तहत सुरक्षा प्रदान की जाएगी.
बयान में कहा गया, इनके अलावा, पैरामेडिकल कर्मियों, सुरक्षा गार्ड, प्रबंधकीय कर्मचारी, एम्बुलेंस चालक, सहायक जो स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों में तैनात हैं या उनमें काम करते हैं और समय-समय पर आधिकारिक सरकारी राजपत्र में अधिसूचित स्वास्थ्य कार्यकर्ता अध्यादेश के अधीन आएंगे. बयान में कहा गया, सजा बढ़ाने के अलावा अध्यादेश में कहा गया है कि अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमों की सुनवाई समयबद्ध तरीके से पूरे की जाए और यह प्रत्येक जिले में विशेष अदालतों को शीघ्र न्याय सुनिश्चित करने के लिए नामित किया जाएगा. अध्यादेश के अनुसार अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की जांच एक ऐसे पुलिस अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए जो निरीक्षक के पद से नीचे का न हो और प्राथमिकी दर्ज होने के 60 दिन के भीतर जांच पूरी की जाए. अध्यादेश को अब केरल के राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.
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(अतिरिक्त इनपुट- एजेंसी)