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केरल : राज्यपाल ने पुलिस अधिनियम संशोधन अध्यादेश को मंजूरी दी

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Published : Nov 21, 2020, 4:35 PM IST

महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले साइबर हमलों को रोकने के लिए केरल सरकार ने पुलिस अधिनियम संशोधन अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. हालांकि विपक्ष ने इसका विरोध किया है.

कॉनसेप्ट इमेज
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तिरुवनंतपुरम : राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले साइबर हमलों को रोकने के लिए राज्य की माकपा नीत सरकार द्वारा लाए गए केरल पुलिस अधिनियम संशोधन अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. हालांकि, विपक्ष ने इस अध्यादेश से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बाधित होने का आरोप लगाया है.

राजभवन के सूत्र ने इस बात की पुष्टि की कि राज्यपाल ने इस दक्षिणी राज्य में व्यापक विवाद को जन्म देने वाले इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल कोविड-19 से मुक्त होकर हाल ही में राजभवन लौटे हैं.

विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि यह संशोधन पुलिस को और शक्ति देगा एवं प्रेस की आजादी में कटौती करेगा. हालांकि, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने यह कहते हुए इस आरोप का खंडन किया कि यह निर्णय व्यक्तियों की छवि बिगाड़ने के लिए सोशल मीडिया के दुरुपयोग जैसे कारकों के आधार पर लिया गया है.

पिछले महीने राज्य मंत्रिमंडल ने धारा 118 ए को शामिल करने की सिफारिश करके पुलिस अधिनियम को और सशक्त बनाने का फैसला किया था.

पढ़ें - सी वी रमन की 50 वीं पुण्यतिथि पर जाने उनके बारे में रोचक बातें

इस संशोधन के अनुसार, जो कोई भी सोशल मीडिया के माध्यम से किसी पर धौंस दिखाने, अपमानित करने या बदनाम करने के इरादे से कोई सामग्री डालता है अथवा प्रकाशित/प्रसारित करता है, उसे पांच साल तक कैद या 10,000 रुपये तक के जुर्माने या फिर दोनों सजा हो सकती है.

तिरुवनंतपुरम : राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले साइबर हमलों को रोकने के लिए राज्य की माकपा नीत सरकार द्वारा लाए गए केरल पुलिस अधिनियम संशोधन अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. हालांकि, विपक्ष ने इस अध्यादेश से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बाधित होने का आरोप लगाया है.

राजभवन के सूत्र ने इस बात की पुष्टि की कि राज्यपाल ने इस दक्षिणी राज्य में व्यापक विवाद को जन्म देने वाले इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल कोविड-19 से मुक्त होकर हाल ही में राजभवन लौटे हैं.

विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि यह संशोधन पुलिस को और शक्ति देगा एवं प्रेस की आजादी में कटौती करेगा. हालांकि, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने यह कहते हुए इस आरोप का खंडन किया कि यह निर्णय व्यक्तियों की छवि बिगाड़ने के लिए सोशल मीडिया के दुरुपयोग जैसे कारकों के आधार पर लिया गया है.

पिछले महीने राज्य मंत्रिमंडल ने धारा 118 ए को शामिल करने की सिफारिश करके पुलिस अधिनियम को और सशक्त बनाने का फैसला किया था.

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इस संशोधन के अनुसार, जो कोई भी सोशल मीडिया के माध्यम से किसी पर धौंस दिखाने, अपमानित करने या बदनाम करने के इरादे से कोई सामग्री डालता है अथवा प्रकाशित/प्रसारित करता है, उसे पांच साल तक कैद या 10,000 रुपये तक के जुर्माने या फिर दोनों सजा हो सकती है.

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