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कर्नाटक का रथोत्सव सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल, हर धर्म के लोग होते हैं शामिल

देश में एक ओर जहां मंदिर-मस्जिद को लेकर विवाद खड़े हो रहे हैं, वहीं कर्नाटक का रथोत्सव सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देता है. आपको जानकर खुशी होगी कि यहां के रथोत्सव में जहां रथ का निर्माण मुसलमानों द्वारा किया जाता है वहीं ईसाइयों द्वारा रथोत्सव की अन्य तैयारियां की जाती हैं. पढ़ें पूरी खबर..

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रथोत्सव में सांप्रदायिक सौहार्द कर्नाटक
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Published : May 14, 2022, 5:53 PM IST

सिरसी : कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में इस वक्त रथोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं. यहां के सिरसी तालुका स्थित स्वर्णावल्ली मठ में हर साल रथोत्सव के लिए रथ का निर्माण किया जाता है. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह रथ मुसलमानों द्वारा तैयार किया जाता है. बताया जाता है कि ये लोग पीढ़ियों से रथ का निर्माण करते आ रहे हैं. स्वर्णावल्ली मठ के महंत श्री गंगाधरेंद्र सरस्वती महास्वामी ने अजान मामला और हिजाब विवाद के बावजूद, मठ की इस परंपरा को जारी रखा है.

सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है कर्नाटक का रथोत्सव

सैकड़ों वर्षों से चले आ रहे रिवाज के तहत इस साल भी रथों का निर्माण किया जा रहा है. मठ के महंत का कहना है कि वर्षों से मुसलमानों द्वारा रथ बनाने की परंपरा को बंद नहीं किया जा सकता. हमारा मानना है कि हर तरफ मैत्रीपूर्ण माहौल हो. वहीं रथ के निर्माण कार्य में लगे हसनसाब काजी ने कहा कि करीब 300 सालों से मुसलमान यहां रथोत्सव के लिए रथ बनाते आ रहे हैं. हम अल्लाह को भी मानते हैं और भगवान नरसिंह को भी. हम सभी साथ रहते हैं और हम कोई भेद नहीं करते.

यह भी पढ़ें-मिसाल: पिता की इच्छा का दो हिन्दू बेटियों ने किया सम्मान, 4 बीघा जमीन ईदगाह को दी दान

बता दें कि रथोत्सव के लिए रथ को लकड़ी और रस्सी से बनाया जाता है. वहीं रथोत्सव में भी हिंदुओं के साथ मुसलमान भी भाग लेते हैं. इतना ही नहीं, स्वर्णावल्ली मठ में उत्सव के लिए पटाखों की व्यवस्था ईसाइयों द्वारा की जाती है. कर्नाटक का यह रथोत्सव, देश के सांमप्रदायिक सौहार्द को बखूबी दर्शाता है. रथोत्सव का आयोजन इस महीने के अंत में किया जाएगा.

सिरसी : कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में इस वक्त रथोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं. यहां के सिरसी तालुका स्थित स्वर्णावल्ली मठ में हर साल रथोत्सव के लिए रथ का निर्माण किया जाता है. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह रथ मुसलमानों द्वारा तैयार किया जाता है. बताया जाता है कि ये लोग पीढ़ियों से रथ का निर्माण करते आ रहे हैं. स्वर्णावल्ली मठ के महंत श्री गंगाधरेंद्र सरस्वती महास्वामी ने अजान मामला और हिजाब विवाद के बावजूद, मठ की इस परंपरा को जारी रखा है.

सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है कर्नाटक का रथोत्सव

सैकड़ों वर्षों से चले आ रहे रिवाज के तहत इस साल भी रथों का निर्माण किया जा रहा है. मठ के महंत का कहना है कि वर्षों से मुसलमानों द्वारा रथ बनाने की परंपरा को बंद नहीं किया जा सकता. हमारा मानना है कि हर तरफ मैत्रीपूर्ण माहौल हो. वहीं रथ के निर्माण कार्य में लगे हसनसाब काजी ने कहा कि करीब 300 सालों से मुसलमान यहां रथोत्सव के लिए रथ बनाते आ रहे हैं. हम अल्लाह को भी मानते हैं और भगवान नरसिंह को भी. हम सभी साथ रहते हैं और हम कोई भेद नहीं करते.

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बता दें कि रथोत्सव के लिए रथ को लकड़ी और रस्सी से बनाया जाता है. वहीं रथोत्सव में भी हिंदुओं के साथ मुसलमान भी भाग लेते हैं. इतना ही नहीं, स्वर्णावल्ली मठ में उत्सव के लिए पटाखों की व्यवस्था ईसाइयों द्वारा की जाती है. कर्नाटक का यह रथोत्सव, देश के सांमप्रदायिक सौहार्द को बखूबी दर्शाता है. रथोत्सव का आयोजन इस महीने के अंत में किया जाएगा.

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