बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि उनकी सरकार ने राज्य की भाषा के साथ कोई समझौता नहीं किया है. उनकी सरकार ने 'कन्नड़' को अधिकतम महत्व दिया है. मुख्यमंत्री बोम्मई ने शुक्रवार को कर्नाटक रक्षण वेदिके (केआरवी) के रजत जयंती समारोह में यह बात कही है. उन्होंने कहा कि जब पड़ोसी महाराष्ट्र ने सीमा पर परेशानी पैदा की तो सरकार ने अपना साहसिक रुख दिखाया है.
मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि सांगोली रायन्ना की मूर्ति तैयार है, बसवन्ना और केम्पे गौड़ा की मूर्तियाँ तैयार हो रही हैं. इन मूर्तियों को विधानसभा के सामने स्थापित किया जाएगा. ये दो व्यक्तित्व कर्नाटक की संस्कृति, साहित्य, विरासत और प्रशासन का प्रतिबिंब हैं. उन्होंने कहा कि कन्नडियों के लिए एक रोजगार नीति तैयार की गई है, जिसमें ए, बी, सी और डी समूहों के लिए 80 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया है.
उन्होंने कहा कि कर्नाटक रक्षण वैदिक के अध्यक्ष नारायणगौड़ा के लिए संगठन बनाना आसान नहीं था और वह इस प्रयास में सफल रहे हैं. कई संघों और संगठनों की यात्रा लंबे समय तक नहीं चलेगी, लेकिन जब भी कन्नड़ भाषा को खतरा होता है, नारायणगौड़ा द्वारा शुरू की गई क्रांति सक्रिय हो जाती है.
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मुख्यमंत्री ने जाति, रंग, धर्म या पंथ भेदभाव के बिना कन्नड़ भाषा की निस्वार्थ सेवा के लिए केआरवी अध्यक्ष नारायणगौड़ा की सराहना की. बोम्मई ने कहा, वह (नारायणगौड़ा) कई आंदोलनों में पुलिस द्वारा पीटे जाने के बावजूद डटे रहे. उन्होंने पिछले 25 वर्षों में कन्नड़ की रक्षा की है. इसलिए अगले 25 वर्षों तक कर्नाटक की भूमि, भाषा और जल की रक्षा करनी चाहिए.
(एएनआई)