बेंगलुरु : कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया आज यानी शुक्रवार को राज्य का बजट पेश करेंगे. यह 10 मई के चुनाव के बाद राज्य में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद पहला बजट होगा. लोगों की निगाह इसपर रहेगी कि कांग्रेस चुनाव पूर्व किये गये अपने वादों को पूरा करने के लिए बजट में क्या समायोजन करती है. इसके साथ ही वित्त वर्ष 2023-24 के दूसरे बजट में राजस्व सृजन बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित करने की भी उम्मीद की जा रही है. ताकि कुछ बड़ी योजनाओं को लागू किया जा सके.
मुख्यमंत्री के रूप में यह सिद्धारमैया का सातवां बजट होगा. उन्होंने 2013 से 2018 तक अपने कार्यकाल के दौरान छह बजट पेश किए थे. यह 14वां बजट भी होगा जिसमें सिद्धारमैया भाग लेंगे. मुख्यमंत्री ने जब घोषणा की थी कि बजट का आकार 3.35 लाख करोड़ रुपये है, तो नौकरशाही हलकों में कुछ नाराजगी हुई थी, उनका तर्क था कि यह बजट आकार को गुप्त रखने की स्थापित परंपराओं के खिलाफ था. इस साल फरवरी में पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने 3.09 लाख करोड़ रुपये के बजट की घोषणा की थी.
सूत्रों के अनुसार, इस बार बजट में विभाग-वार आवंटन होगा, जोकि पिछले पांच बजटों में विभिन्न क्षेत्रों को किए गए आवंटन के विपरीत होगा. जैसा कि कोविड के वर्षों के दौरान प्रथा शुरू हुई थी. गारंटियों को निधि देने के लिए अतिरिक्त उधार लेने की भी उम्मीद है. हालांकि, सरकार को उम्मीद थी कि गारंटी योजनाएं आने वाले महीनों में अतिरिक्त राजस्व बढ़ाने में मदद करेंगी.
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ऐसी भी अटकलें हैं कि सरकार सरकारी खजाने पर बोझ कम करने के लिए कुछ पुरानी योजनाओं को खत्म कर सकती है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के अनुसार, गारंटी योजनाओं पर सालाना 60,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. हालांकि, आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि वास्तविक आवंटन लगभग 10-15 प्रतिशत कम हो सकता है. बेंगलुरु के लिए आवंटन के संबंध में भी बजट पर निगाहें होंगी क्योंकि बेंगलुरु को वैश्विक केंद्र के रूप में बदलना घोषणापत्र में किए गए वादों में से एक था। यह भी देखना बाकी है कि क्या कांग्रेस सरकार बेंगलुरु में यातायात को आसान बनाने के लिए प्रस्तावित सुरंग सड़क परियोजना के लिए धन आवंटित करेगी.