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Karnataka Assembly Elections 2023 : बीजेपी से टिकट न मिलने पर पूर्व सीएम शेट्टार बोले- 'किसी भी कीमत पर चुनाव लड़ूंगा' - पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार

कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव 2023 से पहले भाजपा को अपने पहले बड़े विद्रोह का सामना करना पड़ा. पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ विधायक जगदीश शेट्टार ने मंगलवार को हुबली-धारवाड़ केंद्रीय निर्वाचन क्षेत्र से एक बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का संकेत दिया है.

Karnataka Assembly Elections 2023
पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार की फाइल फोटो
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Published : Apr 12, 2023, 8:26 AM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के लिए भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है. इसके साथ ही पार्टी में बगावत के सुर उठने लगे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और सीनियर लीडर जगदीश शेट्टार को पहली सूची में शामिल नहीं किया गया है. इसको लेकर पार्टी के कुछ कार्यकताओं और खुद जगदीश शेट्टार को निराशा हाथ लगी है. छह बार के विधायक शेट्टार ने पार्टी से पुनर्विचार करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि पार्टी उम्मीवारों की सूची पर फिर से विचार कर ले. उन्होंने साफ कहा कि वह किसी भी कीमत पर चुनाव लड़ेंगे. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शेट्टार को दिल्ली बुलाया है. जहां उनसे इस मामले में बात की जायेगी.

मंगलवार शाम को, शेट्टार ने एक प्रेस कॉफ्रेंस आयोजित की. जहां उन्होंने खुलासा किया कि आलाकमान ने उन्हें अंतिम समय में आगामी चुनाव नहीं लड़ने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि मैं पूरी तरह से निराश हूं. मैंने 30 साल से अधिक समय तक पार्टी के लिए काम किया है. इसे कर्नाटक में खड़ा किया है. पार्टी मुझे 2-3 महीने पहले सूचित कर सकती थी. मैंने इसे स्वीकार कर लिया होता, लेकिन नामांकन दाखिल करने से कुछ दिन पहले मुझे चुनाव न लड़ने की सूचना दी गई है. मैंने पहले ही निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार शुरू कर दिया है.

पढ़ें : Govt employees increment: सेवानिवृत्त होने के एक दिन पहले भी सरकारी कर्मचारी सालाना वेतनवृद्धि के हकदार: न्यायालय

उन्होंने कहा कि जब उन्होंने मुझे चुनाव नहीं लड़ने के लिए कहा, तो मैंने उन्हें बता दिया कि मैं किसी भी कीमत पर चुनाव लड़ूंगा. उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी को पुनर्विचार करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी से पूछा है कि क्या कारण है कि मुझे टिकट नहीं दिया गया. क्या मेरे खिलाफ कोई लहर है या कोई आरोप हैं. शेट्टार ने कहा कि उन्होंने विश्वास है कि पार्टी मेरे अनुरोध पर विचार करेगी.
शेट्टार ने कहा कि उन्हें मंगलवार को आलाकमान का फोन आया था.

उन्होंने कहा कि विधानसभा क्षेत्र के सर्वेक्षण ने भी सुझाव दिया है कि भाजपा के प्रति लोगों में लहर है. उन्होंने कहा कि मेरी राजनीति पर कोई काला धब्बा नहीं है. मैं पार्टी के प्रति वफादार रहा हूं और मुझे लगता है कि वफादारी एक समस्या बन गई है. शेट्टार हुबली-धारवाड़ से विधायक हैं. उन्हें 2018 में 75,794 (51.31%) वोट मिले थे. बी एस येदियुरप्पा के भरोसेमंद सहयोगी, शेट्टार 2012 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने जब राज्य भाजपा खनन विवाद में फंस गई थी.

पढ़ें : भाजपा नेतृत्व ने शेट्टार को चुनाव नहीं लड़ने के लिए कहा, पहली लिस्ट में नाम नहीं

उन्होंने तब डी वी सदानंद गौड़ा का स्थान लिया था. वह कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे हैं. शेट्टार का परिवार पांच दशकों से जनसंघ से जुड़ा है. उनका परिवार आरएसएस के साथ भी काम करता रहा है. उनके भाई प्रदीप शेट्टार एमएलसी हैं, जबकि उनके चाचा सदाशिव शेट्टार हुबली निर्वाचन क्षेत्र से विधायक थे. उनके पिता एस एस शेट्टार को हुबली-धारवाड़ नगर निगम के मेयर के रूप में चुना गया था. लगभग दो दशकों से हुबली-धारवाड़ जिले की राजनीति पर जगदीश शेट्टार और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी की मजबूत पकड़ रही है.

पढ़ें : Karnataka Assembly Election: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता ईश्वरप्पा ने चुनावी राजनीति से लिया संन्यास, नड्डा को लिखा पत्र

बेंगलुरु : कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के लिए भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है. इसके साथ ही पार्टी में बगावत के सुर उठने लगे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और सीनियर लीडर जगदीश शेट्टार को पहली सूची में शामिल नहीं किया गया है. इसको लेकर पार्टी के कुछ कार्यकताओं और खुद जगदीश शेट्टार को निराशा हाथ लगी है. छह बार के विधायक शेट्टार ने पार्टी से पुनर्विचार करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि पार्टी उम्मीवारों की सूची पर फिर से विचार कर ले. उन्होंने साफ कहा कि वह किसी भी कीमत पर चुनाव लड़ेंगे. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शेट्टार को दिल्ली बुलाया है. जहां उनसे इस मामले में बात की जायेगी.

मंगलवार शाम को, शेट्टार ने एक प्रेस कॉफ्रेंस आयोजित की. जहां उन्होंने खुलासा किया कि आलाकमान ने उन्हें अंतिम समय में आगामी चुनाव नहीं लड़ने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि मैं पूरी तरह से निराश हूं. मैंने 30 साल से अधिक समय तक पार्टी के लिए काम किया है. इसे कर्नाटक में खड़ा किया है. पार्टी मुझे 2-3 महीने पहले सूचित कर सकती थी. मैंने इसे स्वीकार कर लिया होता, लेकिन नामांकन दाखिल करने से कुछ दिन पहले मुझे चुनाव न लड़ने की सूचना दी गई है. मैंने पहले ही निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार शुरू कर दिया है.

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उन्होंने कहा कि जब उन्होंने मुझे चुनाव नहीं लड़ने के लिए कहा, तो मैंने उन्हें बता दिया कि मैं किसी भी कीमत पर चुनाव लड़ूंगा. उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी को पुनर्विचार करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी से पूछा है कि क्या कारण है कि मुझे टिकट नहीं दिया गया. क्या मेरे खिलाफ कोई लहर है या कोई आरोप हैं. शेट्टार ने कहा कि उन्होंने विश्वास है कि पार्टी मेरे अनुरोध पर विचार करेगी.
शेट्टार ने कहा कि उन्हें मंगलवार को आलाकमान का फोन आया था.

उन्होंने कहा कि विधानसभा क्षेत्र के सर्वेक्षण ने भी सुझाव दिया है कि भाजपा के प्रति लोगों में लहर है. उन्होंने कहा कि मेरी राजनीति पर कोई काला धब्बा नहीं है. मैं पार्टी के प्रति वफादार रहा हूं और मुझे लगता है कि वफादारी एक समस्या बन गई है. शेट्टार हुबली-धारवाड़ से विधायक हैं. उन्हें 2018 में 75,794 (51.31%) वोट मिले थे. बी एस येदियुरप्पा के भरोसेमंद सहयोगी, शेट्टार 2012 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने जब राज्य भाजपा खनन विवाद में फंस गई थी.

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उन्होंने तब डी वी सदानंद गौड़ा का स्थान लिया था. वह कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे हैं. शेट्टार का परिवार पांच दशकों से जनसंघ से जुड़ा है. उनका परिवार आरएसएस के साथ भी काम करता रहा है. उनके भाई प्रदीप शेट्टार एमएलसी हैं, जबकि उनके चाचा सदाशिव शेट्टार हुबली निर्वाचन क्षेत्र से विधायक थे. उनके पिता एस एस शेट्टार को हुबली-धारवाड़ नगर निगम के मेयर के रूप में चुना गया था. लगभग दो दशकों से हुबली-धारवाड़ जिले की राजनीति पर जगदीश शेट्टार और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी की मजबूत पकड़ रही है.

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