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दिल्ली हिंसा मामला: उमर खालिद ने कहा, मेरे खिलाफ दंगे की साजिश का कोई सबूत नहीं

दिल्ली हिंसा मामले को लेकर कड़कड़डूमा कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट में दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद ने अपना पक्ष रखा. अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर को होगी

उमर खालिद
उमर खालिद
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Published : Nov 9, 2021, 6:53 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) मामले के आरोपी उमर खालिद (Umar Khalid) की जमानत याचिका की कड़कड़डुमा कोर्ट में सुनवाई हुई. उमर खालिद ने सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जो ये साबित कर सके कि वह साजिश में शामिल था. जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 16 नवंबर को होगी.

उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पायस ने कहा कि किसी भी गवाह या साक्ष्य ने ऐसा कुछ बताया है कि उमर खालिद ने दिल्ली हिंसा की कोई साजिश रची. उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन के आयोजनकर्ता की ओर से उम्र खालिद को किसी स्थान पर नहीं भेजा गया था, लेकिन उसके बावजूद वह जेल में बंद है.

पायस ने कहा कि एक चाय वाले का बयान है कि उमर खालिद ने दिल्ली दंगों की साजिश रची, लेकिन हास्यास्पद है कि कोई साजिशकर्ता अपनी पूरी योजना का खुलासा किसी चाय वाले के पास क्यों करेगा. इससे ये साफ है कि वो बयान किसी और ने लिखा है.

पिछले दो नवंबर को उमर खालिद ने कहा था कि उस पर लगे आरोप काल्पनिक हैं और चार्जशीट लिखने वाला स्क्रिप्ट राइटर है. सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पायस ने कहा था कि उमर खालिद न तो घटनास्थल पर मौजूद था और न ही हिंसा में उनकी कोई भूमिका थी.

उन्होंने कहा था कि UAPA में सबसे मजबूत केस वताली का माना जाता है. उस केस में तय मापदंड के मुताबिक, उमर खालिद को जमानत मिलनी चाहिए. पायस ने पहले पूरक चार्जशीट का हवाला देते हुए कहा था कि उमर खालिद के खिलाफ आरोप है कि उसने 10 दिसंबर 2019 को जंतर-मंतर पर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन में हिस्सा लिया था.

पढ़ें : दिल्ली दंगा मामला : फेसबुक इंडिया ने शांति और सद्भाव समिति के सामने पेश होने के लिए मांगा 14 दिन का समय

प्रदर्शन में हिस्सा लेने पर UAPA लगाना मेरी समझ के बाहर की बात है. उन्होंने कहा था कि पुलिस की चार्जशीट में केवल इस बात की आशंका जताई गई है कि उमर खालिद ने जामिया में बैठक की थी. ये आशंका एक पुलिस अधिकारी की है. ये केवल कल्पना पर आधारित है, जिसने चार्जशीट लिखा है वो स्क्रिप्ट राइटर है.

बता दें कि क्राइम ब्रांच ने उमर खालिद पर दंगे भड़काने, दंगों की साजिश रचने और देशविरोधी भाषण देने के अलावा दूसरी धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल किया था. करीब 100 पेजों की चार्जशीट में कहा गया है कि आठ जनवरी 2020 को शाहीन बाग में उमर खालिद, खालिद सैफी और ताहिर हुसैन ने मिलकर दिल्ली दंगों की योजना बनाने के लिए मीटिंग की.

इस दौरान ही उमर खालिद ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में हिस्सा लिया और भड़काऊ भाषण दिए. इन भाषणों में उमर खालिद ने दंगों के लिए लोगों को भड़काया. चार्जशीट में कहा गया है कि जिन-जिन राज्यों में उमर खालिद गया, उसके लिए उसे आने-जाने और रुकने का पैसा प्रदर्शनकारियों के कर्ता-धर्ता इंतजाम करते थे.

उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 को पूछताछ के बाद स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया था. 17 सितंबर 2020 को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. 16 सितंबर 2020 को स्पेशल सेल करीब 18 हजार पन्नों का चार्जशीट लेकर दो बक्सों में पहुंची थी.

नई दिल्ली : दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) मामले के आरोपी उमर खालिद (Umar Khalid) की जमानत याचिका की कड़कड़डुमा कोर्ट में सुनवाई हुई. उमर खालिद ने सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जो ये साबित कर सके कि वह साजिश में शामिल था. जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 16 नवंबर को होगी.

उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पायस ने कहा कि किसी भी गवाह या साक्ष्य ने ऐसा कुछ बताया है कि उमर खालिद ने दिल्ली हिंसा की कोई साजिश रची. उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन के आयोजनकर्ता की ओर से उम्र खालिद को किसी स्थान पर नहीं भेजा गया था, लेकिन उसके बावजूद वह जेल में बंद है.

पायस ने कहा कि एक चाय वाले का बयान है कि उमर खालिद ने दिल्ली दंगों की साजिश रची, लेकिन हास्यास्पद है कि कोई साजिशकर्ता अपनी पूरी योजना का खुलासा किसी चाय वाले के पास क्यों करेगा. इससे ये साफ है कि वो बयान किसी और ने लिखा है.

पिछले दो नवंबर को उमर खालिद ने कहा था कि उस पर लगे आरोप काल्पनिक हैं और चार्जशीट लिखने वाला स्क्रिप्ट राइटर है. सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पायस ने कहा था कि उमर खालिद न तो घटनास्थल पर मौजूद था और न ही हिंसा में उनकी कोई भूमिका थी.

उन्होंने कहा था कि UAPA में सबसे मजबूत केस वताली का माना जाता है. उस केस में तय मापदंड के मुताबिक, उमर खालिद को जमानत मिलनी चाहिए. पायस ने पहले पूरक चार्जशीट का हवाला देते हुए कहा था कि उमर खालिद के खिलाफ आरोप है कि उसने 10 दिसंबर 2019 को जंतर-मंतर पर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन में हिस्सा लिया था.

पढ़ें : दिल्ली दंगा मामला : फेसबुक इंडिया ने शांति और सद्भाव समिति के सामने पेश होने के लिए मांगा 14 दिन का समय

प्रदर्शन में हिस्सा लेने पर UAPA लगाना मेरी समझ के बाहर की बात है. उन्होंने कहा था कि पुलिस की चार्जशीट में केवल इस बात की आशंका जताई गई है कि उमर खालिद ने जामिया में बैठक की थी. ये आशंका एक पुलिस अधिकारी की है. ये केवल कल्पना पर आधारित है, जिसने चार्जशीट लिखा है वो स्क्रिप्ट राइटर है.

बता दें कि क्राइम ब्रांच ने उमर खालिद पर दंगे भड़काने, दंगों की साजिश रचने और देशविरोधी भाषण देने के अलावा दूसरी धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल किया था. करीब 100 पेजों की चार्जशीट में कहा गया है कि आठ जनवरी 2020 को शाहीन बाग में उमर खालिद, खालिद सैफी और ताहिर हुसैन ने मिलकर दिल्ली दंगों की योजना बनाने के लिए मीटिंग की.

इस दौरान ही उमर खालिद ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में हिस्सा लिया और भड़काऊ भाषण दिए. इन भाषणों में उमर खालिद ने दंगों के लिए लोगों को भड़काया. चार्जशीट में कहा गया है कि जिन-जिन राज्यों में उमर खालिद गया, उसके लिए उसे आने-जाने और रुकने का पैसा प्रदर्शनकारियों के कर्ता-धर्ता इंतजाम करते थे.

उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 को पूछताछ के बाद स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया था. 17 सितंबर 2020 को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. 16 सितंबर 2020 को स्पेशल सेल करीब 18 हजार पन्नों का चार्जशीट लेकर दो बक्सों में पहुंची थी.

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