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23वां करगिल विजय दिवस : वीर जवानों को किया याद

भारतीय सेना ने 1999 में तीन महीने तक चले करगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को मंगलवार को विजय दिवस' पर श्रद्धांजलि दी. केंद्र शासित क्षेत्र लद्दाख के करगिल इलाके में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर छिड़े युद्ध के दौरान सैनिकों को उनकी अदम्य वीरता, साहस के लिए याद किया गया.

Kargil Vijay Diwas celebrated in Srinagar
23वां करगिल विजय दिवस
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Published : Jul 26, 2022, 9:02 PM IST

श्रीनगर: भारतीय सेना ने मंगलवार को श्रीनगर में कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) की 23वीं वर्षगांठ मनाई. जहां सबसे बड़ा समारोह लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के द्रास इलाके में आयोजित किया गया, वहीं सेना ने श्रीनगर में कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक समारोह का आयोजन किया. सेना द्वारा जारी एक बयान में एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा, 'करगिल युद्ध धैर्य, दृढ़ साहस और भारतीय सैनिकों के अदम्य संकल्प की गवाही है, जिन्होंने सबसे दुर्गम इलाकों में से एक में प्रतिकूल मौसम के दौरान यह लड़ाई लड़ी.'

देखिए वीडियो

प्रवक्ता ने कहा, '23वें करगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में, उत्तरी कमान के तत्वावधान में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसका समापन 26 जुलाई 2022 को हुआ.' प्रवक्ता ने बताया कि करगिल के मुख्य कार्यकारी काउंसिलर फिरोज अहमद खान मुख्य अतिथि थे और उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी मंगलवार के कार्यक्रम के मुख्य मेजबान थे.

प्रवक्ता ने बताया कि इन कार्यक्रमों में दो साइकिल रैलियां शामिल थीं, जिनमें से एक सियाचिन से करगिल युद्ध स्मारक तक और दूसरी दिल्ली से द्रास तक आयोजित की गई. दोनों भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना की संयुक्त पहल के तहत आयोजित की गईं. इस साल दो मोटरसाइकिल अभियान भी आयोजित किए गए. एक अभियान दिल्ली से द्रास तक का था जिसे थल सेनाध्यक्ष ने रवाना किया था. दूसरा अभियान तुरतुक से द्रास तक का था. सियाचिन से द्रास तक सूफिया का अल्ट्रा-मैराथन और बछेंद्री पाल तथा उनकी टीम द्वारा पर्वत अभियान का भी आयोजन हुआ जिसने 37 दर्रों को पार करते हुए अरुणाचल प्रदेश से द्रास तक का सफर पूरा किया .

प्रवक्ता ने कहा, 'करगिल विजय मशाल को उत्तरी कमान के पूरे क्षेत्र में ले जाया गया और अंत में यह द्रास पहुंचाई गई. इन कार्यक्रमों का समापन करगिल युद्ध स्मारक पर हुआ, जिसके बाद कई सांस्कृतिक और औपचारिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ.' पश्चिमी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, एयर मार्शल श्रीकुमार प्रभाकरन, लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी, 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेन गुप्ता और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने स्मारक पर माल्यार्पण किया.

कारगिल युद्ध में भाग लेने वाले मोहम्मद अजीम ने 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व है कि इस दिन को इस तरह याद किया जा रहा है. कारगिल विजय दिवस की 23 वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने वाले कार्यक्रम ड्रोन निगरानी में आयोजित किए गए. श्रीनगर के केंद्र लाल चौक पर भी सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए. उधर, पूर्व नौकरशाह फारूक रेंज़ू ने 'हर घर झंडा' मसले पर कहा, 'किसी को भी अपने घर पर झंडा फहराने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए. राजनेताओं को पहले अपने घरों पर झंडा फहराना चाहिए. जो हमेशा मुख्यधारा के होने का दावा करते रहे हैं, वे न तो अलगाववादी हैं और न ही जनवादी नेता.' उन्होंने लद्दाखियों को 'पाकिस्तान का हमदर्द' कहने के लिए जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला की भी आलोचना की.

जम्मू में टाइगर डिवीजन ने मनाया कारगिल विजय दिवस

श्रीनगर: भारतीय सेना ने मंगलवार को श्रीनगर में कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) की 23वीं वर्षगांठ मनाई. जहां सबसे बड़ा समारोह लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के द्रास इलाके में आयोजित किया गया, वहीं सेना ने श्रीनगर में कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक समारोह का आयोजन किया. सेना द्वारा जारी एक बयान में एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा, 'करगिल युद्ध धैर्य, दृढ़ साहस और भारतीय सैनिकों के अदम्य संकल्प की गवाही है, जिन्होंने सबसे दुर्गम इलाकों में से एक में प्रतिकूल मौसम के दौरान यह लड़ाई लड़ी.'

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प्रवक्ता ने कहा, '23वें करगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में, उत्तरी कमान के तत्वावधान में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसका समापन 26 जुलाई 2022 को हुआ.' प्रवक्ता ने बताया कि करगिल के मुख्य कार्यकारी काउंसिलर फिरोज अहमद खान मुख्य अतिथि थे और उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी मंगलवार के कार्यक्रम के मुख्य मेजबान थे.

प्रवक्ता ने बताया कि इन कार्यक्रमों में दो साइकिल रैलियां शामिल थीं, जिनमें से एक सियाचिन से करगिल युद्ध स्मारक तक और दूसरी दिल्ली से द्रास तक आयोजित की गई. दोनों भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना की संयुक्त पहल के तहत आयोजित की गईं. इस साल दो मोटरसाइकिल अभियान भी आयोजित किए गए. एक अभियान दिल्ली से द्रास तक का था जिसे थल सेनाध्यक्ष ने रवाना किया था. दूसरा अभियान तुरतुक से द्रास तक का था. सियाचिन से द्रास तक सूफिया का अल्ट्रा-मैराथन और बछेंद्री पाल तथा उनकी टीम द्वारा पर्वत अभियान का भी आयोजन हुआ जिसने 37 दर्रों को पार करते हुए अरुणाचल प्रदेश से द्रास तक का सफर पूरा किया .

प्रवक्ता ने कहा, 'करगिल विजय मशाल को उत्तरी कमान के पूरे क्षेत्र में ले जाया गया और अंत में यह द्रास पहुंचाई गई. इन कार्यक्रमों का समापन करगिल युद्ध स्मारक पर हुआ, जिसके बाद कई सांस्कृतिक और औपचारिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ.' पश्चिमी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, एयर मार्शल श्रीकुमार प्रभाकरन, लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी, 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेन गुप्ता और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने स्मारक पर माल्यार्पण किया.

कारगिल युद्ध में भाग लेने वाले मोहम्मद अजीम ने 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व है कि इस दिन को इस तरह याद किया जा रहा है. कारगिल विजय दिवस की 23 वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने वाले कार्यक्रम ड्रोन निगरानी में आयोजित किए गए. श्रीनगर के केंद्र लाल चौक पर भी सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए. उधर, पूर्व नौकरशाह फारूक रेंज़ू ने 'हर घर झंडा' मसले पर कहा, 'किसी को भी अपने घर पर झंडा फहराने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए. राजनेताओं को पहले अपने घरों पर झंडा फहराना चाहिए. जो हमेशा मुख्यधारा के होने का दावा करते रहे हैं, वे न तो अलगाववादी हैं और न ही जनवादी नेता.' उन्होंने लद्दाखियों को 'पाकिस्तान का हमदर्द' कहने के लिए जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला की भी आलोचना की.

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