नई दिल्ली : जस्टिस एन वी रमना ने शनिवार काे भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ काेविंद ने उन्हें सुप्रीम काेर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ दिलाई.
जस्टिस एन वी रमना ने देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. सीजेआई के रूप में जस्टिस रमना का कार्यकाल 26 अगस्त, 2022 तक होगा. उनका जन्म 27 अगस्त, 1957 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नवरम गाँव में एक किसान परिवार में हुआ था.
जस्टिस रमना के जीवन की कुछ खास उपलब्धियां :-
17 फरवरी, 2014 को सुप्रीम कोर्ट में अपनी पदोन्नति से पहले जस्टिस रमना दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे.
वे भारतीय रेलवे सहित विभिन्न सरकारी संगठनों के लिए पैनल वकील थे और आंध्र प्रदेश राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में भी कार्यरत थे. उन्हें सिविल और क्रिमिनल पक्ष में विशेषज्ञता प्राप्त है और संविधान, श्रम, सेवा, अंतर-राज्यीय नदी विवाद और चुनाव से संबंधित मामलों में वकालत का अनुभव है.
उन्हें 27 जून, 2000 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया.
10 मार्च 2013 से 20 मई 2013 के बीच उन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया.
आंध्र प्रदेश न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष के पद पर रहते हुए न्यायमूर्ति रमना ने भारतीय कानूनी प्रणाली के प्रचार के लिए विभिन्न पहलों की शुरुआत की थी.
उन्होंने न्यायिक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड से अर्ध-न्यायिक अधिकारी, केंद्रीय श्रम विभाग के आयुक्त और सहकारी विभाग के रजिस्ट्रार जैसे अधिकारियों के प्रशिक्षण में बड़े बदलाव किए हैं.
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न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष के अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने भारत के इतिहास में पहली बार सभी रैंक के न्यायिक अधिकारियों के लिए एक संयुक्त सम्मेलन का आयोजन किया. सम्मेलन में पुलिस अधिकारियों, सुधार सेवाओं के अधिकारियों, किशोर न्याय बोर्डों, अधिवक्ताओं, अभियोजन पक्ष, महिला निकायों, सामाजिक समूहों और मीडिया के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया था. इसका उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ बढ़ते यौन अपराध के खतरे के बारे में बातचीत करना था.