रायपुर : झीरम नक्सली हमले के चश्मदीद गवाह और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दौलत रोहड़ा का बुधवार रात निधन हो गया. दौलत रोहड़ा के निधन पर सीएम बघेल ने गुरुवार को दुख व्यक्त करते हुए अपनी श्रद्धांजलि दी. बघेल ने दौलत रोहड़ा के निधन पर ट्वीट करते हुए लिखा "कांग्रेस परिवार के वरिष्ठ सदस्य एवं दौलत रोहड़ा जी के आकस्मिक निधन का समाचार दुखद है. उन्होंने प्रदेश कांग्रेस में प्रवक्ता के पद पर अपनी सेवाएं दी. झीरम हमले में घायल होने के बाद भी वे सेवा में रहे. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति एवं परिवारजनों को दुःख सहने की हिम्मत दे."
कौन थे दौलत रोहड़ा : दौलत रोहड़ा पूर्व मंत्री विद्याचरण शुक्ल के अंतिम समय में काफी करीब रहे. झीरम नक्सली हमले को 25 मई को 10 साल पूरे हो जाएंगे. लेकिन इस घटना में पीड़ित लोगों को अब तक न्याय नहीं मिल सका है. न्याय की आस में आज भी यह लोग इंतजार कर रहे हैं. उसी में से एक दौलत रोहड़ा भी थे, जो लगातार न्याय को लेकर लड़ाई लड़ते रहे.
NIA ने नहीं लिए बयान : झीरम नक्सली हमले की जांच के लिए एनआईए टीम गठित की गई, लेकिन नक्सली हमले के चश्मदीद गवाह दौलत रोहड़ा को गवाही के लिए नहीं बुलाया गया. यह जांच काफी धीमी गति से चलती रही. बाद में इस जांच को बंद कर दिया गया. उसके बाद भी दौलत रोहड़ा इस मामले को लेकर लगातार लड़ाई लड़ते रहे. लेकिन अब उनकी सांसे थम गई हैं. दौलत इस लड़ाई को आगे नहीं ले जा सके. झीरम मामले में न्याय की आस लगाए दौलत रोहड़ा इस दुनिया से विदा कर गए.
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कब हुआ था झीरम हमला : 25 मई 2013 को परिवर्तन यात्रा के दौरान झीरम में नक्सलियों ने कांग्रेस के काफिले पर हमला बोल दिया था. इस दौरान तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल की नक्सलियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस बीच लगभग दो दर्जन से ज्यादा नेताओं को नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया था. कई जवान भी इस हमले में शहीद हो गए थे. इस पूरी घटना को दौलत रोहड़ा ने काफी नजदीक से देखा. वे आज भी इसे याद कर सहम उठते थे. उन्हें उम्मीद थी कि आज नहीं तो कल इस नक्सली हमले का खुलासा होगा और दोषी सलाखों के पीछे पहुंचेंगे.