नई दिल्ली: जनता दल (यूनाइटेड) ने राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश समेत अपने सभी राज्यसभा सदस्यों को व्हिप जारी कर 11 अगस्त तक सदन में नियमित रूप से उपस्थित रहने और विवादास्पद दिल्ली अध्यादेश विधेयक के खिलाफ मतदान करने को कहा है. जदयू नेताओं ने बताया कि उच्च सदन में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2023 पर मतदान हो सकता है, इसलिए व्हिप जारी किया गया है। संसद में अगले सप्ताह यह विधेयक लाए जाने की संभावना है.
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में तबादलों और नियुक्तियों संबंधी मामलों में निर्णय की शक्तियां दिल्ली सरकार को प्रदत्त की थीं और शीर्ष अदालत के इसी आदेश को निरस्त कराने के लिए दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर केंद्र द्वारा जारी अध्यादेश की जगह लेने के लिए यह विधेयक लाया गया है. जदयू बाकी विपक्ष की तरह विधेयक का खुलकर विरोध कर रहा है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों की नजर इस बात पर है कि हरिवंश क्या रुख अपनाएंगे क्योंकि पार्टी नेतृत्व के साथ उनके संबंधों को लेकर अटकलबाजी रही है, खासकर तब जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने हाल में सरकार के साथ उनकी कथित निकटता को लेकर उन पर हमला बोला था.
जदयू के राज्यसभा में पांच सदस्य हैं और विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' उच्च सदन में संख्या बल जुटाने के लिए पुरजोर मेहनत कर रहा है. जदयू के मुख्य सचेतक अनिल हेगड़े ने बृहस्पतिवार को व्हिप जारी किया. हेगड़े ने कहा कि व्हिप में पार्टी सदस्यों से सदन में पार्टी के रुख का समर्थन करने और विधेयक के खिलाफ मतदान करने को कहा गया है. नियमों के अनुसार व्हिप के खिलाफ मतदान करने वाले को सदन की सदस्यता से अयोग्य करार दिया जा सकता है.
पूर्व पत्रकार हरिवंश को 2018 में राज्यसभा का उप सभापति चुना गया था. तब जदयू सत्तारूढ़ गठबंधन में भाजपा की सहयोगी थी. 2020 में सदन में पुन: मनोनीत होने के बाद उन्हें फिर इस पद पर चुना गया. पिछले साल अगस्त तक भाजपा और जदयू का गठजोड़ चल रहा था. जदयू ने गठबंधन टूटने के बाद भी हरिवंश के उप सभापति पद पर बने रहने के फैसले का विरोध कभी नहीं किया, लेकिन मई में नये संसद भवन के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करने पर हरिवंश जदयू के कई नेताओं के निशाने पर आ गये.
तब ललन सिंह ने हरिवंश पर 'अंतरात्मा को कचरे की पेटी में फेंकने' का आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार ने उन्हें राज्यसभा भेजा था और उप सभापति के रूप में उनके चुनाव के लिए विभिन्न दलों से समर्थन हासिल करने में मदद की थी. हालांकि, हरिवंश ने इस महीने की शुरुआत में नीतीश के साथ लंबी बैठक की थी और उसके बाद उनके संबंधों को लेकर अटकलों का एक नया दौर शुरू हो गया था.
(पीटीआई-भाषा)