पटना: राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह को जेडीयू ने व्हिप जारी किया है. दिल्ली के ट्रांसफर पोस्टिंग कानून को लेकर जारी व्हिप हरिवंश को भी भेजा गया है. इस व्हिप में राज्यसभा के सभी सदस्यों को 27 जुलाई से लेकर 11 अगस्त कर सदन में मौजूद रहने को कहा गया है. व्हिप के जरिए पार्टी ने अपने सभी सदस्यों को दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग कानून के खिलाफ वोट करने के लिए कहा है.
पढ़ें- Prashant Kishor : 'नीतीश विश्वसनीय नहीं, अभी भी BJP से कनेक्शन' नई संसद भवन के विरोध पर बोले PK
हरिवंश को जेडीयू ने जारी किया व्हिप : जेडीयू की ओर से जारी व्हिप में लिखा है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023-चर्चा एवं पारित करना जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया जाएगा. साथ ही राज्यसभा के सभी सदस्यों से जनता दल (यूनाइटेड) ने सदन में उपस्थित रहने का अनुरोध किया है. व्हिप में लिखा गया है कि 27 जुलाई, 28 जुलाई, 31 जुलाई, 1 अगस्त, 2 अगस्त, 3 अगस्त, 4 अगस्त, 7 अगस्त, 8 अगस्त, 9 अगस्त, 10 अगस्त और 11 अगस्त, 2023 को बिना किसी असफलता के पार्टी के साथ खड़े होकर मतदान करके समर्थन करें. इस व्हिप में सभी सदस्यों के साथ ही उपसभापति का भी नाम है.
आसन पर बैठे व्यक्ति को जारी नहीं हो सकता व्हिप: नियम के मुताबिक, किसी भी पार्टी का व्हिप तब-तक उस सदस्य पर लागू नहीं हो सकता है, जबतक वह सदन चलाने के लिए आसन पर बैठा हो. ऐसे में हरिवंश नारायण सिंह को जेडीयू की ओर से जारी व्हिप पर कई सवाल उठ रहे हैं. हरिवंश का कदम क्या होगा? अगर उन्हें व्हिप से बचना है तो सदन के आसन पर बैठना होगा और सदन चलाना होगा.
जेडीयू सदस्यता कर सकती है समाप्त: अगर हरिवंश व्हिप का पालन नहीं करते हैं तो इसे पार्टी के खिलाफ माना जाएगा. जेडीयू इसके लिए हरिवंश की सदस्यता खत्म करने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है. ऐसे में उपसभापति का संसद सत्र के दौरान क्या रूख होता है इसपर सभी की नजरें टिकी हैं.
नीतीश और हरिवंश के बीच दूरियां?: बता दें कि नए संसद भवन का जब पूरा विपक्ष विरोध कर रहा था तो उद्घाटन समारोह में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश पहुंचे थे. उनके जाने पर जदयू ने कड़ी नाराजगी जाहिर की थी. इसके बाद नीतीश कुमार और हरिवंश के बीच दूरी के कयास लगाए जाने लगे थे. हालांकि 4 जुलाई को नीतीश और हरिवंश की मुलाकात के बाद अटकलों का बाजार थम गया था.
नीतीश कुमार के हरिवंश काफी करीबी माने जाते हैं. यहां तक की राजनीति में हरिवंश को नीतीश कुमार ही लेकर आए थे. वहीं बीजेपी से नीतीश की दूरी के बावजूद हरिवंश अपने पद पर बने रहे. इसको लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जाती रही हैं. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने तो यहां तक कह दिया कि बीजेपी और नीतीश के बीच हरिवंश पुल का काम कर रहे हैं. मध्यस्था कराने के लिए नीतीश कुमार ने उनको पद पर बनाए रखा है. वहीं अब पार्टी की ओर से तीन साल बाद पहली बार हरिवंश को व्हिप जारी किया गया है. इससे साफ है कि नीतीश और हरिवंश के बीच सबकुछ सामान्य नहीं है.
केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर विवाद: दरअसल केंद्र सरकार के एक अध्यादेश को लेकर विवाद हो रहा है. यह अध्यादेश दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल में ही फैसला सुनाते हुए ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिया था, लेकिन केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिए ये अधिकार फिर से उपराज्यपाल को दे दिया.