भोपाल: इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2021 (Shri Krishna Janmashtami 2021) पर ज्योतिष गणना के अनुसार 101 साल बाद जयंती योग बन रहा है, जो कि बहुत ही शुभ माना जाता है. इस योग में भक्त विधि विधान से श्री कृष्ण जी की पूजा करें, तो महालाभ होगा. पंडित विष्णु राजोरिया के मुताबिक जब अर्ध रात्रि को अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग एक साथ मिल जाता है, तब जयंती योग का निर्माण होता है. इस बार इसी योग में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा.
रात्रि में भगवान कृष्ण की पूजा का महत्व
पंडित विष्णु राजोरिया ने बताया कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत अधिक महत्व होता है. इस दिन विधि-विधान से भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात्रि में हुआ था. इसलिए जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा रात में ही की जाती है. ऐसा माना जाता है कि रात्रि में पूजा करने से महालाभ मिलता है.
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ऐसे करें भगवान कृष्ण की पूजा
पंडित राजोरिया के मुताबिक षोडशोपचार (16 तरीके से पूजा) विधि से भगवान श्री कृष्ण का पूजन किया जाना चाहिए. पहले पंचामृत से स्नान कराने के बाद बाल गोपाल को वस्त्र आभूषण पहनाए जाएं. उसके बाद माखन मिश्री और प्रिय फल का अर्पण किया जाए. पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त को रात 11:59 से देर रात 12:44 तक है. कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत में रात को लड्डू गोपाल की पूजा अर्चना करने के बाद ही प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करना चाहिए. कई लोग रोहिणी नक्षत्र के समापन के बाद ही व्रत का पारण करते है.
एक दिन पहले ही व्रत का संकल्प
पंडित राजोरिया जी का कहना है कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के एक दिन पहले से यानी सप्तमी को ही व्रत का संकल्प लिया जाता है. अगले दिन अष्टमी की रात ठीक 12 बजे शंखनाद के साथ जन्म उत्सव मनाया जाना चाहिए. इसके बाद ही व्रत खोलना चाहिए.
सभी राशि वालों के लिए शुभदायी
पंडित राजोरिया ने बताया कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी का यह पर्व जयंती योग के साथ आ रहा है, जो कि प्रत्येक राशि वाले जातकों को शुभदायी है. इस व्रत को रखने से रुके हुए कार्य पूरे होते हैं, पापों का क्षय होता है और दोष नष्ट हो जाते हैं.