ETV Bharat / bharat

जम्मू: एलजी मनोज सिन्हा के खिलाफ डोगरा, कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने भाजपा कार्यालय के बाहर किया विरोध प्रदर्शन

जम्मू में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के खिलाफ डोगरा और कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने उपराज्यपाल की वेतन को रोकने की टिप्पणी को लेकर नाराजगी जाहिर की.

author img

By

Published : Dec 22, 2022, 10:13 PM IST

Protest against LG Manoj Sinha
एलजी मनोज सिन्हा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
एलजी मनोज सिन्हा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

जम्मू: वेतन रोकने संबंधी उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की टिप्पणी से नाराज डोगरा और कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने घाटी से तबादले की मांग को लेकर महीनों से जारी अपना विरोध प्रदर्शन गुरुवार को तेज कर दिया. उपराज्यपाल की टिप्पणी के जवाब में कर्मचारियों ने सरकार को यह स्पष्ट किया कि वे तब तक कश्मीर नहीं लौटेंगे, जब तक स्थानांतरण नीति को लेकर उनकी मांग स्वीकार नहीं की जाएगी.

डोगरा कर्मचारी यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्यालय में 'ऑल जम्मू-बेस्ड रिजर्व्ड कैटेगरी एम्प्लॉइज एसोसिएशन' के बैनर तले एकत्र हुए और उन्होंने एक ऐसी नीति बनाने की अपनी मांग को लेकर धरना दिया, जिसके तहत उन्हें घाटी से उनके जम्मू क्षेत्र स्थित गृह जिलों में स्थानांतरित किया जाए. एक प्रदर्शनकारी ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'उन्हें वेतन रोकने दीजिए. जब तक स्थानांतरण नीति बनाने की हमारी मांग को स्वीकार नहीं किया जाता, तब तक कोई नौकरी पर नहीं जाएगा. वेतन जीवन से महत्वपूर्ण नहीं हैं.'

उन्होंने उपराज्यपाल की टिप्पणी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सिन्हा ने एक संवैधानिक प्रमुख के रूप में समयबद्ध तरीके से स्थानांतरण नीति पर सिफारिशें देने के लिए समिति गठित करने संबंधी कानून का उल्लंघन किया, लेकिन अब वह कह रहे हैं कि वे कश्मीर घाटी के कर्मचारी हैं. डोगरा और कश्मीरी पंडित कर्मचारी अपनी सहयोगी रजनी बाला की हत्या के बाद जम्मू लौट आए थे. सांबा जिला निवासी बाला की 31 मई को दक्षिण कश्मीर में कुलगाम जिले के एक स्कूल में आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.

प्रदर्शनकारियों ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें अपने कमरों से बाहर आना चाहिए और हमारे संघर्ष में शामिल होना चाहिए, क्योंकि उन्होंने हमसे वादा किया था कि उनकी मांग को पूरा करने के लिए एक स्थानांतरण नीति बनाई जाएगी. सिन्हा ने तबादले के लिए प्रदर्शन कर रहे सरकारी कर्मचारियों को बुधवार को यह स्पष्ट संदेश दिया कि काम पर न आने वालों को वेतन नहीं दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि घाटी में सेवारत कश्मीरी पंडितों सहित अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय किये गये हैं.

अपने दो सहकर्मियों की लक्षित हत्या के बाद मई में जम्मू के लिए घाटी छोड़ने वाले प्रवासी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों और जम्मू में तैनात आरक्षित श्रेणी के कर्मचारियों के जारी प्रदर्शन के बीच सिन्हा ने यह टिप्पणी की. उपराज्यपाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'वे हड़ताल पर हैं और मैं उनके साथ निरंतर संपर्क में हूं तथा उनके सभी लंबित मुद्दों के समाधान के लिए गंभीर प्रयास किये हैं. उनमें से लगभग सभी को जिला आयुक्तों, पुलिस अधीक्षकों और अन्य सरकारी पदाधिकारियों के परामर्श से जिला मुख्यालयों में स्थानांतरित किया गया है.'

सिन्हा ने कहा, 'हमने उनके (प्रदर्शनकारी कर्मचारियों के) 31 अगस्त तक के वेतन को मंजूरी दी है, लेकिन काम पर नहीं आने के कारण इसकी अदायगी नहीं की जा सकती. यह उन्हें एक स्पष्ट संदेश है तथा उन्हें इसे सुनना और समझना चाहिए.' प्रधानमंत्री पैकेज कर्मचारी अपने सहकर्मी राहुल भट की 12 मई को हत्या के बाद पिछले करीब सात महीने से घाटी में हड़ताल कर रहे हैं. उन्होंने भी प्रदर्शन तेज कर दिया.

पढ़ें: तिहाड़ जेल में बंद कुलदीप सेंगर ने बेटी की शादी के लिए मांगी जमानत, कोर्ट ने मांगी CBI से रिपोर्ट

प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की और तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि सरकार को प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री पैकेज कर्मचारियों की मांगों को मान लेना चाहिए और घाटी में सुरक्षा स्थिति में सुधार होने तक उन्हें अस्थायी रूप से जम्मू स्थानांतरित कर देना चाहिए. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'हमारे जीवन को खतरे के मद्देनजर हम स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं. हर सप्ताह 'हिट लिस्ट' (हत्या के लिए चुने गए लोगों की सूची) जारी की जा रही है. दूसरी ओर, सरकार सुरक्षा के अभाव में उन पर ड्यूटी में शामिल होने और मारे जाने का दबाव बनाने के लिए वेतन रोक रही है. हम शामिल नहीं होंगे.'

एलजी मनोज सिन्हा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

जम्मू: वेतन रोकने संबंधी उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की टिप्पणी से नाराज डोगरा और कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने घाटी से तबादले की मांग को लेकर महीनों से जारी अपना विरोध प्रदर्शन गुरुवार को तेज कर दिया. उपराज्यपाल की टिप्पणी के जवाब में कर्मचारियों ने सरकार को यह स्पष्ट किया कि वे तब तक कश्मीर नहीं लौटेंगे, जब तक स्थानांतरण नीति को लेकर उनकी मांग स्वीकार नहीं की जाएगी.

डोगरा कर्मचारी यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्यालय में 'ऑल जम्मू-बेस्ड रिजर्व्ड कैटेगरी एम्प्लॉइज एसोसिएशन' के बैनर तले एकत्र हुए और उन्होंने एक ऐसी नीति बनाने की अपनी मांग को लेकर धरना दिया, जिसके तहत उन्हें घाटी से उनके जम्मू क्षेत्र स्थित गृह जिलों में स्थानांतरित किया जाए. एक प्रदर्शनकारी ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'उन्हें वेतन रोकने दीजिए. जब तक स्थानांतरण नीति बनाने की हमारी मांग को स्वीकार नहीं किया जाता, तब तक कोई नौकरी पर नहीं जाएगा. वेतन जीवन से महत्वपूर्ण नहीं हैं.'

उन्होंने उपराज्यपाल की टिप्पणी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सिन्हा ने एक संवैधानिक प्रमुख के रूप में समयबद्ध तरीके से स्थानांतरण नीति पर सिफारिशें देने के लिए समिति गठित करने संबंधी कानून का उल्लंघन किया, लेकिन अब वह कह रहे हैं कि वे कश्मीर घाटी के कर्मचारी हैं. डोगरा और कश्मीरी पंडित कर्मचारी अपनी सहयोगी रजनी बाला की हत्या के बाद जम्मू लौट आए थे. सांबा जिला निवासी बाला की 31 मई को दक्षिण कश्मीर में कुलगाम जिले के एक स्कूल में आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.

प्रदर्शनकारियों ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें अपने कमरों से बाहर आना चाहिए और हमारे संघर्ष में शामिल होना चाहिए, क्योंकि उन्होंने हमसे वादा किया था कि उनकी मांग को पूरा करने के लिए एक स्थानांतरण नीति बनाई जाएगी. सिन्हा ने तबादले के लिए प्रदर्शन कर रहे सरकारी कर्मचारियों को बुधवार को यह स्पष्ट संदेश दिया कि काम पर न आने वालों को वेतन नहीं दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि घाटी में सेवारत कश्मीरी पंडितों सहित अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय किये गये हैं.

अपने दो सहकर्मियों की लक्षित हत्या के बाद मई में जम्मू के लिए घाटी छोड़ने वाले प्रवासी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों और जम्मू में तैनात आरक्षित श्रेणी के कर्मचारियों के जारी प्रदर्शन के बीच सिन्हा ने यह टिप्पणी की. उपराज्यपाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'वे हड़ताल पर हैं और मैं उनके साथ निरंतर संपर्क में हूं तथा उनके सभी लंबित मुद्दों के समाधान के लिए गंभीर प्रयास किये हैं. उनमें से लगभग सभी को जिला आयुक्तों, पुलिस अधीक्षकों और अन्य सरकारी पदाधिकारियों के परामर्श से जिला मुख्यालयों में स्थानांतरित किया गया है.'

सिन्हा ने कहा, 'हमने उनके (प्रदर्शनकारी कर्मचारियों के) 31 अगस्त तक के वेतन को मंजूरी दी है, लेकिन काम पर नहीं आने के कारण इसकी अदायगी नहीं की जा सकती. यह उन्हें एक स्पष्ट संदेश है तथा उन्हें इसे सुनना और समझना चाहिए.' प्रधानमंत्री पैकेज कर्मचारी अपने सहकर्मी राहुल भट की 12 मई को हत्या के बाद पिछले करीब सात महीने से घाटी में हड़ताल कर रहे हैं. उन्होंने भी प्रदर्शन तेज कर दिया.

पढ़ें: तिहाड़ जेल में बंद कुलदीप सेंगर ने बेटी की शादी के लिए मांगी जमानत, कोर्ट ने मांगी CBI से रिपोर्ट

प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की और तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि सरकार को प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री पैकेज कर्मचारियों की मांगों को मान लेना चाहिए और घाटी में सुरक्षा स्थिति में सुधार होने तक उन्हें अस्थायी रूप से जम्मू स्थानांतरित कर देना चाहिए. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'हमारे जीवन को खतरे के मद्देनजर हम स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं. हर सप्ताह 'हिट लिस्ट' (हत्या के लिए चुने गए लोगों की सूची) जारी की जा रही है. दूसरी ओर, सरकार सुरक्षा के अभाव में उन पर ड्यूटी में शामिल होने और मारे जाने का दबाव बनाने के लिए वेतन रोक रही है. हम शामिल नहीं होंगे.'

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.