श्रीनगर: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आधिकारिक तौर पर प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक गुट से जुड़े तीन व्यक्तियों पर जम्मू-कश्मीर में चिपचिपे बम, आईईडी और छोटे हथियारों का उपयोग करके हिंसक आतंकवादी हमलों की साजिश रचने का आरोप लगाया है. पाकिस्तानी नागरिक हबीबुल्लाह मलिक समेत आरोपियों को पुंछ और राजौरी जिलों में आतंकवाद से जुड़ी विभिन्न घटनाओं में फंसाया गया है.
एनआईए के एक बयान के अनुसार, जम्मू में एनआईए विशेष अदालत के समक्ष दायर पूरक आरोपपत्र में हबीबुल्ला मलिक, हिलाल याकूब देवा और मुसैब फैयाज बाबा शामिल हैं. मामले की जांच 21 जून, 2022 को एनआईए द्वारा स्वत: संज्ञान से शुरू की गई थी. यह मामला जम्मू-कश्मीर में भय, आतंक पैदा करने और शांति को बाधित करने के लिए प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों द्वारा भौतिक और साइबरस्पेस दोनों में रची गई साजिश के इर्द-गिर्द घूमता है.
जांच में यह सामने आया कि तीनों ने भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से क्षेत्र में सुरक्षा बलों और अन्य लोगों पर आतंकवादी हमले करने की साजिश रची थी. हबीबुल्लाह मलिक, जिसकी पहचान लश्कर-ए-तैयबा की एक शाखा, द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के एक सक्रिय कमांडर के रूप में की जाती है, उसने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के लिए कमजोर कश्मीरी युवाओं को टीआरएफ/एलईटी में शामिल होने के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
एनआईए के निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि हबीबुल्लाह ने शोपियां के हिलाल और मुसियाब को कट्टरपंथी बनाया, जिन्होंने बाद में उसके निर्देशन में ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) के रूप में काम किया. ये ओजीडब्ल्यू जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों का समर्थन करने के लिए धन और हथियार इकट्ठा करने और परिवहन करने में शामिल थे.