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जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के मौलाना का विवादित बयान, बोले- ज्यादा बच्चे करने वाली औरतों से करो शादी

अलीगढ़ में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना ने कहा कि ज्यादा बच्चा देने वाली औरतों से शादी करनी चाहिए. मौलाना ने कहा कि समान नागरिक संहिता और जनसंख्या कानून बिल के पास होने से मुसलमानों पर बहुत फर्क पड़ेगा.

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Published : Jul 16, 2023, 10:53 PM IST

अलीगढ़: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के शहर अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद अकबर कासमी का एक विवादित बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि "ज्यादा बच्चा देने वाली औरतों से शादी करो". मीडिया से बात करते हुए मौलाना ने समान नागरिक संहिता और जनसंख्या कानून के सवाल पर कहा कि यह एक तरह से लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी है. जबकि इससे कुछ नहीं होने वाला है. ये मुस्लिम, सिख और ईसाई के माइंड को डाइवर्ट करना चाहते हैं.

यह बोले मौलाना मोहम्मद अकबर कासमी.

जामा मस्जिद में श्रद्धांजलि सभा:शहर कोतवाली क्षेत्र स्थित जामा मस्जिद में बीते शुक्रवार को एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया था. जहां श्रद्धांजलि देने के लिए जमीयत उलेमा -ए-हिंद के शहर अध्यक्ष मौलाना अकबर कासमी भी पंहुचे थे. मीडिया से बात करते हुए मौलाना ने समान नागरिक संहिता और जनसंख्या कानून को लेकर सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि यह लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी के लिए किया जा रहा है.जबकि इससे कुछ नहीं होने वाला है. उन्होंने कहा कि यह बिल सिर्फ मुस्लिम, सिख और ईसाई के माइंड को डाइवर्ट करने के लिए लाया जा रहा है. इससे वह अपना दोबार वोट बैंक हासिल करना चाहते हैं. लेकिन वह यह सब भूल जांए. उन्होंने कहा कि इस मुल्क को हिंदुस्तानी गंगा-जमुनी तहजीब कहा जाता है. यहां सब लोग एक साथ मिलकर खाते, पीते और अपना बिजनेस करते हैं.

समान नागरिक संहिता बिल को नहीं मानेंगे: मौलाना ने भारतीय जनता पार्टी का नाम लिए बिना कहा कि वह यूसीसी बिल लाकर एक तरह से दिमाग को डायवर्ट करना चाह रहे हैं. जबकि यह हिंदू-मुस्लिम करने की बहुत बड़ी साजिश है. जो शायद न हिंदू होने देंगे, न मुसलमान होने देंगे और न ही सिख-ईसाई होने देंगे. उन्होंने कहा कि सभी लोग इनकी साजिश को समझ चुके हैं. लेकिन अगर वह बिल पास कर भी देते हैं तो कोई बात नहीं है. इसके बाद भी वह अपने शरीयत को ही फॉलो करेंगे. मौलाना ने कहा कि इस बिल के पास होने से मुसलमानों पर बहुत फर्क पड़ेगा. उनके मजहब ने उन्हें आजादी दी है.

एक साथ बनाया गया सिविल कोर्ट बनेगा खतराः मौलाना ने कहा कि इस्लाम कहता है तुम जिस मुल्क में रहते हो उस मुल्क के सभी नियमों को फॉलो करो और तुम अपने मजहब के मुताबिक उसको जिंदगी में लाने की कोशिश करो. उनके मजहबी इस्लाम से हर शख्स को खुली आजादी है. लोग अपनी जिंदगी गुजारने का शादी, विवाह, तलाक व मामला वगैरा है. अगर एक साथ इस सिविल कोर्ट को नासिफ कर देंगे तो हर एक लॉ अलग-अलग है. मुस्लिम का लॉ अलग है. हिंदू का लॉ अलग है, क्रिश्चियन-ईसाईयों का लॉ अलग है. अगर हम सब के लॉ को एक साथ शामिल कर देंगे तो हर धर्म के लोगों को बहुत बड़ी परेशानी खड़ी हो जाएगी. जो इस मुल्क के लिए खतरा बन सकता है. इसलिए यह बिल मुल्क को लोगों के लिए ठीक नहीं है.

अधिक बच्चा पैदा करने वाली औरतों से करो शादीः जनसंख्या कानून लाने के सवाल पर मौलाना ने कहा कि वह तो इतना कहते हैं कि भगवान जब देने पर आता है तो छप्पर फाड़ कर देता है. किसी के घर में 10 बच्चे हैं, किसी के घर में 4 बच्चे हैं तो किसी के घर में 2 बच्चे हैं. वहीं, किसी के घर में एक बच्चा है. इसे न हम रोक सकते हैं न मौजूदा सरकार रोक सकती हैं. उन्होंने कहा कि अल्लाह पाक के रसूल ने फरमाया है कि ज्यादा बच्चा पैदा करने वाली औरतों से ही शादी करो. इसलिए वह अपने रसूल के कानून को फॉलो करेंगे. इससे उनके शरीयत और इस्लाम पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. वह अपनी सोच अपने पास रखें.

यह भी पढ़ें- Maharashtra Politics: शिंदे ने रखी चाय पार्टी, नहीं पहुंचा एक भी विपक्षी नेता तो बोले- विपक्ष की तलाश करनी पड़ेगी

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अलीगढ़: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के शहर अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद अकबर कासमी का एक विवादित बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि "ज्यादा बच्चा देने वाली औरतों से शादी करो". मीडिया से बात करते हुए मौलाना ने समान नागरिक संहिता और जनसंख्या कानून के सवाल पर कहा कि यह एक तरह से लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी है. जबकि इससे कुछ नहीं होने वाला है. ये मुस्लिम, सिख और ईसाई के माइंड को डाइवर्ट करना चाहते हैं.

यह बोले मौलाना मोहम्मद अकबर कासमी.

जामा मस्जिद में श्रद्धांजलि सभा:शहर कोतवाली क्षेत्र स्थित जामा मस्जिद में बीते शुक्रवार को एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया था. जहां श्रद्धांजलि देने के लिए जमीयत उलेमा -ए-हिंद के शहर अध्यक्ष मौलाना अकबर कासमी भी पंहुचे थे. मीडिया से बात करते हुए मौलाना ने समान नागरिक संहिता और जनसंख्या कानून को लेकर सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि यह लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी के लिए किया जा रहा है.जबकि इससे कुछ नहीं होने वाला है. उन्होंने कहा कि यह बिल सिर्फ मुस्लिम, सिख और ईसाई के माइंड को डाइवर्ट करने के लिए लाया जा रहा है. इससे वह अपना दोबार वोट बैंक हासिल करना चाहते हैं. लेकिन वह यह सब भूल जांए. उन्होंने कहा कि इस मुल्क को हिंदुस्तानी गंगा-जमुनी तहजीब कहा जाता है. यहां सब लोग एक साथ मिलकर खाते, पीते और अपना बिजनेस करते हैं.

समान नागरिक संहिता बिल को नहीं मानेंगे: मौलाना ने भारतीय जनता पार्टी का नाम लिए बिना कहा कि वह यूसीसी बिल लाकर एक तरह से दिमाग को डायवर्ट करना चाह रहे हैं. जबकि यह हिंदू-मुस्लिम करने की बहुत बड़ी साजिश है. जो शायद न हिंदू होने देंगे, न मुसलमान होने देंगे और न ही सिख-ईसाई होने देंगे. उन्होंने कहा कि सभी लोग इनकी साजिश को समझ चुके हैं. लेकिन अगर वह बिल पास कर भी देते हैं तो कोई बात नहीं है. इसके बाद भी वह अपने शरीयत को ही फॉलो करेंगे. मौलाना ने कहा कि इस बिल के पास होने से मुसलमानों पर बहुत फर्क पड़ेगा. उनके मजहब ने उन्हें आजादी दी है.

एक साथ बनाया गया सिविल कोर्ट बनेगा खतराः मौलाना ने कहा कि इस्लाम कहता है तुम जिस मुल्क में रहते हो उस मुल्क के सभी नियमों को फॉलो करो और तुम अपने मजहब के मुताबिक उसको जिंदगी में लाने की कोशिश करो. उनके मजहबी इस्लाम से हर शख्स को खुली आजादी है. लोग अपनी जिंदगी गुजारने का शादी, विवाह, तलाक व मामला वगैरा है. अगर एक साथ इस सिविल कोर्ट को नासिफ कर देंगे तो हर एक लॉ अलग-अलग है. मुस्लिम का लॉ अलग है. हिंदू का लॉ अलग है, क्रिश्चियन-ईसाईयों का लॉ अलग है. अगर हम सब के लॉ को एक साथ शामिल कर देंगे तो हर धर्म के लोगों को बहुत बड़ी परेशानी खड़ी हो जाएगी. जो इस मुल्क के लिए खतरा बन सकता है. इसलिए यह बिल मुल्क को लोगों के लिए ठीक नहीं है.

अधिक बच्चा पैदा करने वाली औरतों से करो शादीः जनसंख्या कानून लाने के सवाल पर मौलाना ने कहा कि वह तो इतना कहते हैं कि भगवान जब देने पर आता है तो छप्पर फाड़ कर देता है. किसी के घर में 10 बच्चे हैं, किसी के घर में 4 बच्चे हैं तो किसी के घर में 2 बच्चे हैं. वहीं, किसी के घर में एक बच्चा है. इसे न हम रोक सकते हैं न मौजूदा सरकार रोक सकती हैं. उन्होंने कहा कि अल्लाह पाक के रसूल ने फरमाया है कि ज्यादा बच्चा पैदा करने वाली औरतों से ही शादी करो. इसलिए वह अपने रसूल के कानून को फॉलो करेंगे. इससे उनके शरीयत और इस्लाम पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. वह अपनी सोच अपने पास रखें.

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