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जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने किया हिंदू-मुस्लिम एकता का आह्वान - मौलाना जावेद कासमी

जमीयत उलेमा ए हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) ने हिंदू-मुस्लिम एकता का आह्वान करते हुए कहा है कि कुछ लोग सांप्रदायिकता को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. उक्त बातें आरएएसएस चीफ मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) की मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ मुलाकात के बाद हुई सद्भावना बैठक में यह बात कही गई. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सौरभ शर्मा की रिपोर्ट...

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जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने किया हिंदू-मुस्लिम एकता का आह्वान
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Published : Sep 24, 2022, 7:11 PM IST

Updated : Sep 24, 2022, 8:02 PM IST

नई दिल्ली : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) की मुस्लिम बुद्धिजीवियों (Muslim Intellectuals) के साथ मुलाकात के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिन्द (Jamiat Ulema-e-Hind) ने शनिवार को सद्भावना बैठक कर हिंदू-मुस्लिम एकता का आह्वान किया. इस संबंध में मौलाना जावेद कासमी (Maulana Javed Qasmi) ने ईटीवी भारत से बात करते हुए उन ताकतों पर तंज कसा जो राज्य के सांप्रदायिक सद्भाव और शांति को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह एक राजनीतिक बैठक नहीं है, बल्कि यह बैठक विभिन्न लोगों के बीच एकता का आह्वान करने के लिए आयोजित की गई. उन्होंने कहा कि धर्म और संस्कृति के आधार पर कुछ लोग सांप्रदायिकता को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन देश जानता है कि हम सब एक हैं.

एक रिपोर्ट

वहीं मुस्लिम समुदाय के साथ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की हालिया बातचीत के बारे में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने कहा कि यह अच्छा है कि भागवत जैसे लोग मुस्लिम बुद्धिजीवियों और इमामों से मिल रहे हैं. इससे एक अच्छा संदेश जाएगा. आरएसएस सुप्रीमो एक बड़े आदमी हैं ऐसे में उनके विचारों का अधिक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. बैठक में उत्तर प्रदेश, नैनीताल के अलावा अन्य स्थानों से आने वाले हिंदू धर्मगुरु भी शामिल हुए.

इसी क्रम में जमीयत के सदस्य के साथ हाथ में हाथ डाले एक प्रमुख हिंदू संत ने कहा कि यह बंधन हमारे देश का प्रतिनिधित्व करता है. हम अपनी धर्मनिरपेक्षता और बहुसंस्कृतिवाद के लिए जाने जाते हैं. कुछ लोग नफरत को हवा दे रहे हैं लेकिन राष्ट्रों को यह समझने की जरूरत है कि हम सभी हैं एक, हम एक ही खून साझा करते हैं. इसलिए हमें कोई भी अलग नहीं कर सकता.

गंगा-जमुना तहज़ीब पर जोर देते हुए, हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के सदस्यों ने कहा कि एकता हमारी ताकत है और दोहराया कि एक छोटा गुट है जो इस एकता को भंग करने का इच्छुक है लेकिन हम आशावादी हैं कि हमारी एकता भंग नहीं होगी. यह महत्वपूर्ण बैठक उत्तर प्रदेश और असम सरकारों द्वारा राज्य भर में मदरसों के सत्यापन पर हाल की घोषणाओं की पृष्ठभूमि में आयोजित की गई थी, जिसे बाद में मुस्लिम नेताओं ने एक सांप्रदायिक दृष्टिकोण बढ़ाने और मुस्लिम समुदाय को नीचा दिखाने के प्रयास के रूप में बुलाया था.बता दें कि एक दिन पहले ही यूपी की योगी सरकार ने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के सत्यापन का आदेश कथित तौर पर रिपोर्टों के कारण दिया था कि वक्फ बोर्ड के तहत संपत्तियों में अतिक्रमित संपत्ति भी शामिल है.

ये भी पढ़ें - आरएसएस प्रमुख भागवत के मस्जिद और मदरसे दौरे पर मुस्लिम समाज में बंटी राय

नई दिल्ली : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) की मुस्लिम बुद्धिजीवियों (Muslim Intellectuals) के साथ मुलाकात के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिन्द (Jamiat Ulema-e-Hind) ने शनिवार को सद्भावना बैठक कर हिंदू-मुस्लिम एकता का आह्वान किया. इस संबंध में मौलाना जावेद कासमी (Maulana Javed Qasmi) ने ईटीवी भारत से बात करते हुए उन ताकतों पर तंज कसा जो राज्य के सांप्रदायिक सद्भाव और शांति को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह एक राजनीतिक बैठक नहीं है, बल्कि यह बैठक विभिन्न लोगों के बीच एकता का आह्वान करने के लिए आयोजित की गई. उन्होंने कहा कि धर्म और संस्कृति के आधार पर कुछ लोग सांप्रदायिकता को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन देश जानता है कि हम सब एक हैं.

एक रिपोर्ट

वहीं मुस्लिम समुदाय के साथ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की हालिया बातचीत के बारे में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने कहा कि यह अच्छा है कि भागवत जैसे लोग मुस्लिम बुद्धिजीवियों और इमामों से मिल रहे हैं. इससे एक अच्छा संदेश जाएगा. आरएसएस सुप्रीमो एक बड़े आदमी हैं ऐसे में उनके विचारों का अधिक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. बैठक में उत्तर प्रदेश, नैनीताल के अलावा अन्य स्थानों से आने वाले हिंदू धर्मगुरु भी शामिल हुए.

इसी क्रम में जमीयत के सदस्य के साथ हाथ में हाथ डाले एक प्रमुख हिंदू संत ने कहा कि यह बंधन हमारे देश का प्रतिनिधित्व करता है. हम अपनी धर्मनिरपेक्षता और बहुसंस्कृतिवाद के लिए जाने जाते हैं. कुछ लोग नफरत को हवा दे रहे हैं लेकिन राष्ट्रों को यह समझने की जरूरत है कि हम सभी हैं एक, हम एक ही खून साझा करते हैं. इसलिए हमें कोई भी अलग नहीं कर सकता.

गंगा-जमुना तहज़ीब पर जोर देते हुए, हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के सदस्यों ने कहा कि एकता हमारी ताकत है और दोहराया कि एक छोटा गुट है जो इस एकता को भंग करने का इच्छुक है लेकिन हम आशावादी हैं कि हमारी एकता भंग नहीं होगी. यह महत्वपूर्ण बैठक उत्तर प्रदेश और असम सरकारों द्वारा राज्य भर में मदरसों के सत्यापन पर हाल की घोषणाओं की पृष्ठभूमि में आयोजित की गई थी, जिसे बाद में मुस्लिम नेताओं ने एक सांप्रदायिक दृष्टिकोण बढ़ाने और मुस्लिम समुदाय को नीचा दिखाने के प्रयास के रूप में बुलाया था.बता दें कि एक दिन पहले ही यूपी की योगी सरकार ने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के सत्यापन का आदेश कथित तौर पर रिपोर्टों के कारण दिया था कि वक्फ बोर्ड के तहत संपत्तियों में अतिक्रमित संपत्ति भी शामिल है.

ये भी पढ़ें - आरएसएस प्रमुख भागवत के मस्जिद और मदरसे दौरे पर मुस्लिम समाज में बंटी राय

Last Updated : Sep 24, 2022, 8:02 PM IST
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