मलप्पुरम : इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने शनिवार को केरल की एलडीएफ सरकार पर उच्च न्यायालय को गलत जानकारी देने का आरोप लगाया, जिसके परिणामस्वरूप अदालत ने आदेश पारित कर अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं में 80:20 के मौजूदा अनुपात को अमान्य घोषित कर दिया है.
बता दें, राज्य में बीते कई साल से ये योजनाएं लागू की जा रही हैं.
केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य सरकार के उन आदेशों को खारिज कर दिया, जिसमें मुस्लिम समुदाय को 80 प्रतिशत और लातिन कैथोलिक क्रिश्चन तथा धर्मांतरित ईसाइयों को 20 योग्यता-सह-साधन छात्रवृत्ति प्रदान करके अल्पसंख्यकों को उप-वर्गीकृत किया गया था. अदालत ने कहा कि यह कानूनी रूप से सही नहीं है.
आईयूएमएल के राष्ट्रीय महासचिव तथा विधायक पी के कुल्हालीकुट्टी, सांसद ई टी मुहम्मद बशीर ने उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया कि यह फैसला एलडीएफ सरकार की ओर से की गई चूक का नतीजा है.
नेताओं ने कहा कि मुस्लिम लीग आदेश के खिलाफ अपील करेगी. मुस्लिम लीग राज्य में यूडीएफ का प्रमुख साझेदार है.
न्यायालय ने राज्य सरकार के आदेशों को रद्द कर दिया था और राज्य में अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को समान रूप से और राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पास उपलब्ध ताजा जनगणना के अनुसार योग्यता-सह-साधन छात्रवृत्ति प्रदान करने का आदेश दिया था.
कुल्हालीकुट्टी ने कहा कि मुस्लिमों के पिछड़ेपन का अध्ययन करने वाली सच्चर समिति ने कहा था कि मुसलमान समुदाय की सामाजिक स्थिति अनुसूचित जाति समुदायों से भी खराब है.
उन्होंने कहा कि सच्चर समिति की रिपोर्ट के आधार पर विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के लिए ये कल्याण योजनाएं शुरू की गईं थीं.
मुस्लिम लीग के नेताओं ने कहा कि 2011 में वीएस अच्युतानंदन नीत एलडीएफ सरकार ने कल्याण योजनाओं में ईसाइयों को भी शामिल करके मुस्लिमों के लिए 80 और ईसाइयों के लिए 20 प्रतिशत कोटा निर्धारित कर दिया था.
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वहीं यूडीएफ में शामिल पी जे जोसेफ नीत केरल कांग्रेस ने आदेश का स्वागत करते हुए सरकार से इसे लागू करने का अनुरोध किया.